News in Hindi:
अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
महातपस्वी की मंगल सन्निधि में भव्य दीक्षांत समारोह का समायोजन
- जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय के 4427 विद्यार्थियों को प्रदान की गई उपाधि
- विश्वविद्यालय के आध्यात्मिक अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने विद्यार्थियों को प्रदान किया मंगल आशीष
- आचार्यश्री ने केवल ज्ञानी के पास बताए पांच अनुत्तर उपलब्धियां
- आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे पश्चिम बंगाल सरकार के उच्च शिक्षामंत्री श्री पार्थ चटर्जी
- मुख्य अतिथि के रूप में दी भावाभिव्यक्ति, आचार्यश्री से प्राप्त किया आशीष
- राजस्थान के देवस्थान विभाग के मंत्री श्री राजकुमार रिणवा व लाडनूं विधायक ठाकुर मनोहर सिंह
13.10.2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)ः
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, महातपस्वी, व जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय के अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में शुक्रवार को जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन हुआ। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षामंत्री श्री पार्थ चटर्जी, विशिष्ट अतिथि राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के मंत्री श्री राजकुमार रिणवा व लाडनूं, राजस्थान के विधायक ठाकुर मनोहर सिंह भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान के उपरान्त आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बच्छराज दूगड़ ने विश्वविद्यालय के शुभारम्भ, वर्तमान के क्रिया-कलापों, उपलब्धियों और भविष्य के योजनाओं के विषय में संपूर्ण जानकारी दी। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती सावित्री जिंदल ने दीक्षांत समारोह कार्यक्रम की अनुमति प्रदान की तो कुलपति ने कार्यक्रम के शुभारम्भ की घोषणा की। इस दीक्षांत समारोह में नियमित स्नातक के 213, स्नातकोत्तर के 64, पीएचडी के 35, डिलिट् के 2, दूरस्थ शिक्षा स्नातक के 1971 व स्नातकोत्तर के 2110 विद्यार्थियों सहित कुल 4427 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। इस दौरान कुल 32 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। समस्त उपाधि व पदक कुलाधिपति श्रीमती सावित्री जिंदल, कुलपति डा. बच्छराज दूगड़, जैन विश्व भारती संस्थान के अध्यक्ष श्री रमेशचंद बोहरा, राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के मंत्री श्री राजकुमार रिणवा व लाडनूं विधायक ठाकुर मनोहर सिंह द्वारा प्रदान किए गए।
इसके उपरान्त विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती सावित्री जिंदल ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि पूर्वाचार्यों के प्राप्त आशीर्वाद और वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमणजी के अभिसिंचन से यह विश्वविद्यालय मानवता, अहिंसा नैतिकता के साथ अनुशासनात्मक जीवन जीने की प्रेरणा विद्यार्थियों को प्रदान कर रहा है। हमें गर्व है कि जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय संपूर्ण जैन समाज को एक विचारधारा की माला से गूंथ रहा है। लाडनूं विधायक ठाकुर मनोहर सिंह ने कहा मेरे लिए यह गौरव की बात है कि आज जैन विश्व भारती के कारण लाडनूं को पूरा विश्व जानने लगा है। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को आज उपाधि मिली है। यह विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहा है।
राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के मंत्री श्री राजकुमार रिणवा ने अपनी मूल भाषा (राजस्थानी) में भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि मैं आज आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि प्राप्त कर अपने आपको अभिभूत महसूस कर रहा हूं। आचार्यश्री! मैं ऐसा मानता हूं कि आदमी केवल आचार्यश्री महाश्रमणजी की शरण में आ जाए तो उसे वास्तविक सुख की प्राप्ति हो जाएगी। आपके इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों अथवा आपके अनुयायियों की सेवा भावना देखता हूं तो मन गदगद हो जाता है। आपने जो सभी ग्रंथों का सार परमार्थ की जो शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, वह हम सभी का कल्याण करने वाली है। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय केवल किताबी शिक्षा ही जीवन को अच्छा बनाने और खुद को बेहतर बनाने की भी शिक्षा प्रदान कर रही है।
इसके उपरान्त विश्वविद्यालय के आध्यात्मिक अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने विद्यार्थियों को श्रुत प्राप्ति, एकाग्रचित्त होने, आत्मा को धर्म में स्थापित करने, असंयम को छोड़ संयमित होने, स्वाध्याय में रत रहने, प्रमाद से बचने, आवेश को नियंत्रित करने, सहिष्णुता का विकास करने का संकल्प प्रदान कर उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा आशीर्वाद से अभिसिंचन प्रदान किया।
उपस्थित समस्त विद्यार्थियों, गणमान्यों व श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि हमारी दुनिया में कुछ व्यक्ति भी होते हैं जो साधना की पराकाष्ठा तक पहुंच जाते हैं। साधु तो साधना के माध्यम से केवल ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। केवल ज्ञानी सर्वज्ञ होते हैं। उनके लिए कुछ भी अज्ञात नहीं होता। केवल ज्ञानी की पांच अनुत्तर उपलब्धियां-अनुत्तर ज्ञान, अनुत्तर दर्शन, अनुत्तर चारित्र, अनुत्तर तप और अनुत्तर विर्य प्राप्त करने वाले होते हैं। आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान की आराधना एक प्रकार की तपस्या है। ज्ञानाराधना करने वाले विद्यार्थी को पूरी निष्ठा के साथ ज्ञान ग्रहण का प्रयास प्रयास करना चाहिए। ज्ञान के साथ चारित्र, अहिंसा, नैतिकता के प्रति निष्ठा रखने का प्रयास करना चाहिए और नशामुक्त जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा को सभी ग्रंथों का सार बताते हुए कहा कि सभी के साथ मैत्री का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने आशीष वृष्टि करते हुए कहा कि विद्यार्थियों में अहिंसा की चेतना, नैतिकता के भाव सदाचार, ज्ञान और आचार अच्छा विकास हो। भ्रष्टाचार को स्थान न मिले, सदाचार बना रहे। विद्यार्थी देश के भविष्य होते हैं। जिस वि
English [Google Translate]
Non-violence travel press release
Adaptation of the grand convocation of Mahapatu Ki Mangal Sananidhi
- Jain awarded to 4427 students of Vishwa Bharati Valid University
- The spiritual disciplines of the university, Acharyashree Mahasramanji, provided the students with Mangal Ashish
- Acharyashree has only five unimaginable achievements given to the Gnani
- Shri Partha Chatterjee, Minister of Higher Education, Government of West Bengal, arrived at Mangal Sannidhi, Aacharyashree.
- The Bhavbhyavyakti, as the main guest, received the blessings from Acharyashri
- Rajkumar Rinawa, Minister of State for Rajasthan, and Ladanon MLA Thakur Manohar Singh
13.10.2017 Rajarhat, Kolkata (West Bengal):
Jain Shwetambar Terrapanth Dharmasangha's eleventh ambassador, Ahimsa Pravan Praetta, Mahatpu, and Jnan Vishva Bharati University, the disciplinary teacher of Jain Vishwajitri Mahasramanji organized a grand ceremony of 10th convocation of Jain Vishwa Bharati Valid University on Friday in Mangal Sananidhi. In this, Chief Minister of West Bengal, Shri Partha Chatterjee, Minister of State for Rajasthan, Government of Rajasthan, Mr. Rajkumar Rinawa and Ladenon, Rajasthan MLA, Thakur Manohar Singh were also present at the function of Mangal Sannidhi of Acharyashri.
After the national anthem, the program was started with Acharyashree's Mangal Mahamantrachchar. The Vice Chancellor of Jain Vishwa Bharati Vishwavidyalaya, Shri Bacharaj Dugad gave full information about the beginning of the university, the activities of the present, the achievements and the future plans. The Vice Chancellor, Mrs. Savitri Jindal, gave permission for the convocation program, so the Vice Chancellor announced the launch of the program. In this convocation, a total of 4427 students, including 213 regular graduates, 64 of postgraduate, 35 of Ph.D., 2 of dropout, 1971 of distance education and 2110 students of postgraduate were given degrees. During this time, a total of 32 students were awarded gold medal. All the titles and medals were conferred by Chancellor Mrs Savitri Jindal, Vice Chancellor Dr. Bachraj Dugad, President of Jain Vishwa Bharti Institute Mr. Ramesh Chand Bohra, Minister of Rajasthan Government of Rajasthan Shri Rajkumar Rinawa and Ladon MLA Thakur Manohar Singh.
Subsequently, the Vice Chancellor of the University Smt Savitri Jindal said that while receiving the blessings of Puravcharya and the convergence of the present Acharyashree Mahasramanji, this University is giving inspiration to the students to lead disciplinary life with humanity, non-violence ethics. We are proud that Jain Vishwa Bharati University has been interrupting the entire Jain Samaj with an ideology of ideology. Ladunun MLA Thakur Manohar Singh said, it is a matter of pride for me that today Jain has started to know Ladano the whole world due to Visva-Bharati. Students receiving education at Jain Vishwa Bharti University have got the title today. This university is doing well in the field of education.
The Minister of Rajasthan, Government of Rajasthan, Shri Rajkumar Rinawa, in his native language (Rajasthani), said that I am feeling overwhelmed by receiving the Mangal Sanknishi of Acharya Shri Mahamrishna today. Acharyashree! I believe that if man comes into the shelter of Acharyashree Maha Shramanji only then he will get real pleasure. If you see the service sentiment of students studying in your university or your followers, then the mind becomes stiff. The essence of all the texts that you are providing, the education that is giving us, is going to be a welfare of all of us. Jain Vishwa Bharati University is also providing education to only good books and to improve itself.
After this, the spiritual disciplinary teacher of the University, Acharyashree Mahasramanji resolved to develop students, to be concentrated, to set up the soul in the religion, to be restrained from incontinence, to remain in self-respect, to avoid evil, to control the charge, to tolerate Provided them with transmutation from spiritual energy blessings.
While presenting all the students, dignitaries and devotees presenting their Amritvaan juice, said that there are also some people in our world who reach the climax of Sadhana. The Sadhus can only acquire wisdom through meditation. Only the wise are omniscient. Nothing is unknown to them. Only the five unimaginable achievements of the Gnani - the uninterrupted knowledge, the unseen philosophy, the unseen character, the unseen, and the untiring beings. Acharyashree gave holy inspiration and said that the man should try to get specific knowledge. Worship of wisdom is a type of austerity. Students with knowledge should try hard to attain knowledge with complete loyalty. With knowledge, should strive to remain loyal to character, non-violence, ethics and should try to live a life free of addiction. Describing non-violence as the essence of all the texts, he said that should try to keep a sense of friendship with everyone. Acharyashree blessed the blessing and said that the awareness of non-violence in the students, ethics of virtue, goodness, knowledge and good conduct would be good development. Corruption should not get place, be honest. Students are the future of the country.