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एक मां ही अपने पुत्र की पहली शिक्षिका होती है - मुनिश्री किशनलाल
प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनिश्री किशनलालजी का तोशाम में मंगल प्रवेश
तोशाम, 8 मार्च 2018।
प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनिश्री किशनलालजी, मुनि निकुंजकुमारजी का हांसी से 5 मार्च को विहार कर 8 मार्च को तोशाम नगर में भव्य रैली के साथ प्रवेश किया। इस रैली में तोशाम व हांसी तेरापंथ समाज गणमान्य जन इस रैली में सम्मलित हुए। जैन धर्म के जयकारों के साथ रैली जैन भवन उसके पश्चात् दीक्षार्थी मुकुल जैन के निवास स्थान पर पहुंचकर धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हो गई। जहां मुनिवृंदों का स्वागत किया गया।
मुनिश्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्यश्री महाश्रमणजी का अनंत अनुग्रह से और गुरुकृपा का ही परिणाम है मैं तो केवल निमित्त हूं जो दीक्षार्थी मुकुल के दीक्षा का मन बना और यह दीक्षा लेकर 25 अप्रैल 2018 को मुनि बनेगा। उन्होंने यह भी बताया कि मैं तेरापंथ समाज का ऋणी हूं कि मुझे दीक्षित किया और आचार्य तुलसी की कृपा से मैंने अपने गांव में दीक्षा लेकर साधु बना।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मुनिश्री ने कहा कि जिस घर में महिलाएं नहीं होती वह घर नहीं हो सकता, घर की सारी व्यवस्थाएं महिलाएं संभालती है, एक मां ही अपने पुत्र की पहली शिक्षिका होती है जो अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देती है। व्यक्ति को महिलाओं का आदर सम्मान करना चाहिए। नारी शक्ति सामथ्र्य देने वाली होती है। दीक्षार्थी मुकुल के संन्यास में उसकी दादी व मां के संस्कार निमित बने जो उसकी दादी व माता की आज्ञा के बिना संभव नहीं हो सकता।
इस दौरान मुनि निकुंज कुमार, दीक्षार्थी मुकुल जैन, श्री पवन जैन श्री विक्रम जैन, श्रीमती गिन्नादेवी जैन, दीपक जैन आदि ने अपने भावनाएं व्यक्त की। हांसी से समागत श्री दर्शन कुमार जैन, श्रीमती सिद्धि जैन, संस्कृति जैन ने भी अपने भावनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ महिला मण्डल तोशाम के मंगलाचरण ‘‘करते हैं स्वागत खुशियां छाई है’’ से हुआ।
आध्यात्मिक मिलन
मुनिश्री किशनलालजी व साध्वी शुप्रभाजी आदि सहवर्ति साध्वियों का आध्यात्मिक मिलन हुआ। ज्ञातव्य है कि साध्वीश्री शुप्रभाजी आदि साध्वियों का तोशाम चातुर्मास था चातुर्मास सम्पन्नता के बाद मुनिश्री के आगमन पर आध्यात्मिक मिलन हुआ। साध्वीश्री शुप्रभाजी आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की सेवा उपासना में भी लंबे समय तक रहकर धर्मध्यान, साधना की।
- अशोक सियोल
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A mother is the first teacher of her son - Munishree Kishan Lal
Observer 'Govt Shree' Munishri Kishan Lalji enters Mars in Tosham
Toshham, March 8, 2018
On March 5, with the grand rally of 'Rajshree' Munishri Kishan Lalji, Muni Nikunjkumarji, with a lavish rally in Tosham Nagar. At this rally, Tosham and Hansi Terapanth Samaj Dasmuniya Jan attended the rally. Rally Jain Bhawan with the jains of Jainism, afterwards, after reaching the residence of the founder, Mukul Jain, became converted into a religious place. Where the receptions were welcomed.
Munishri said in his remark that Acharyashree Maha Shramanji is the result of infinite grace and Gurukra is the result of it. I am the only one who made the mind of the initiation of Mukul, the initiator and it will become a muni on April 25, 2018. He also told that I am indebted to the Terrapanth Samaj that he has given me a diksha and by the grace of Acharya Tulsi, I have initiated initiation in my village and became a monk.
On International Women's Day, Munishree said that in the house where women do not have a house, it can not be a house, women handle all the arrangements in the house; a mother is the first teacher of her son who gives good education to her children. The person should respect the respect of women. Women's power is capable of strength. In the retirement of the initiator Mukul, the rites of his grandmother and mother were determined which can not be possible without the permission of his grandmother and mother.
During this time Muni Nikunj Kumar, Dikshayari Mukul Jain, Shri Pawan Jain Shri Vikram Jain, Smt. Ginnadevi Jain, Deepak Jain etc. expressed their feelings. Shree Darshan Kumar Jain, Shrimati Siddhi Jain, and Jain, Jana also expressed their feelings. The program started with the introduction of the Teerapanth Mahila Mandal Tosham, "Welcome to Happy Happiness".
Spiritual union
Munishri Kishan Lalji and Sadhvi Shuparabaji etc. were the spiritual companions of the Samvardi Sadhvis. It is known that Sadhvi Shree Shuparbaji etc. were the Tosham Chaturmas of the Sadhvis, after meeting Chaturmas, there was a spiritual union on the arrival of Munishri. Sadhvi Shree Shuprababaji Acharyashree Mahapragyji's service in the service of long time, staying in the religion of religion, sadhana.
- Ashok Siol