Jhini Charcha by Jayacharya Dhal 9 Part 1

Published: 15.05.2024
Jhini Charcha was  written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics.  Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language. 
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice. 
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
Dhal 9 Stanza 1 to 18

ढाल 9 पद्य 1 से 18

ढाल : 9

दूहा

१. जंत्र आठ आत्मा तणो, भिक्षु कृत हे तास।

रचूं जोड़ रलियामणी, नवमी ढाल विमास।।

आचार्य भिक्षु द्वारा आठ आत्मा विषयक यंत्र निर्मित किया गया है। में उसकी पद्यात्मक रचना करता हुं। नवमी गीतिका का यह विमर्श होगा।

२. आठ आतमा ऊपे, आखूं बोल अनेक।

भिक्खू स्वाम तणो भलो, जत्र कियो ते देख।।

में भिक्षु स्वामी द्वारा रचित यंत्र के आधार पर आठ आत्माओं के विषय में अनेक बोलों की चर्चा करूंगा।

३. केई कहे आठां बिना, अपर आतमा नांहि।

(त्यांने) एकंत झूठा जाणज्यो, (त्यारै) सुध नहीं दिल मांहि।।

कुछ लोग कहते हैं-आठ आत्माओं के अतिरिक्त अन्य कोई आत्मा नहीं है। उन्हें एकांत मिथ्यावादी समझना चाहिए। उनके अन्तःकरण में सही समझ नहीं है।

४. आठ आतमा बिन अपर, बहु आत्मा छे अनेक।

नाम कहं छूं तेहना, सुणज्यो आण विवेक।।

आठ आत्माओं के अतिरिक्त अन्य अनेक आत्माएं हैं। उनके नाम बतला रहा हं। विवेक पूर्वक सुनो।

अनेरी आत्मा के नाम

५. सुखम ने बादर सही, त्रस ने थावर ताय।

पर्ज्यापता अपर्ज्यापता, चिहं गति ने षट्काय।।

६. चवदे भेद जीवां तणां, बले डंडक चोबीस।

असिद्ध ने संसारत्था, छदास्थ अकेवली दीस।।

७. अनाणी उदेभाव ते, अजाणपणो कहिवाय।

भव्य अने अभव्य वलि, नोभव्य-अभव्य ताय1।।

सूक्ष्म आत्मा, बादर आत्मा, त्रस आत्मा, स्थावर आत्मा, पर्याप्त आत्मा, अपर्याप्त आत्मा, चतुर्गति आत्मा, षट्काय आत्मा, चतुर्दश जीव भेद आत्मा, चौबीस दण्डक आत्मा, असिद्ध आत्मा, संसारी आत्मा, छद्मस्थ आत्मा, अकेवली आत्मा, औदयिक भाव अज्ञान आत्मा-जो आज्ञान रूप होती है, भव्य आत्मा, अभव्य आत्मा और नोभव्य-अभव्य आत्मा।

८. इत्यादिक बहु नाम छे, आठां बिना अनेक।

अनेरी आत्मा तेहनो, निज-निज नाम संपेख।।

आठ आत्माओं के अतिरिक्त आत्मा के उपर्युक्त तथा इस प्रकार के अनेक नाम हैं, उन सबको अपने-अपने नाम के अनुसार अन्य आत्मा कहा जाता है।

€. पिण अधिकार अछे इहां, आठां नो इहवार।

श्रोता! चित दे सांभलो, वारू हिये विचार।।

किन्तु यहां आठ आत्माओं का ही अधिकार है। श्रोता दत्तचित्त होकर सुनो। उसे हृदय में अवधारण करो।

आत्मा का स्वरूप

✽कांइ भवियण ! हिरदे ज्ञान विचारो, झीणी चरचा धारो जी। (ध्रुपद)

भविजन! हृदय में ज्ञान का विचार करो। सूक्ष्म चर्चा को धारण करो।

१०. आठ आत्मा रा नाम कहं छूं, द्रव्य कषाय ने जोगो जी।

उपयोग ज्ञान दरर्शण ने चारित्र, वीर्य शक्ति संजोगो जी।।

अब में आठ आत्मा के नाम बतलाता हं- द्रव्य, कषाय, योग, उपयोग, ज्ञान, दर्शन, चारित्र और वीर्य।

११. द्रव्य जीव छे किसी आतमा? भाव जीव कुण होई जी?

द्रव्य आतमा द्रव्य जीव छे, भाव जीव सातोंई जी।।

कौन-सी आत्मा द्रव्य जीव है और कौन-सी आत्मा भाव जीव है? द्रव्य आत्मा द्रव्य जीव है और शेष सात आत्माएं भाव जीव हैं।

१२. किसी आतमा एक कहीजे? कुण अनेक दिल देखो जी?

द्रव्य आतमा एक कहीजे, सातूं कही अनेको जी।।

किस आत्मा को एक कहा जाता है और किस आत्मा को अनेक? द्रव्य आत्मा एक होती है और शेष सातों भाव आत्माएं अनेक।

१३. सावद्य निरवद्य किसी आतमा? निसुणो तेहनो न्यायो जी।

द्रव्य आत्मा नहि सावद निरवद्‌, कषाय सावद्य मांझ्यो जी।।

१४. जोग दर्शण ए सावद्‌ निरवद्‌, उपयोग ज्ञान अवधारो जी।

चारित्र बीरज ए च्यारूइ, निरवद्य कही विचारो जी।।

कौन-सी आत्मा सावद्य है और कौन-सी निरवद्य? इसका न्याय सुनो। द्रव्य आत्मा सावद्य और निरवद्य दोनों नहीं है। कषाय आत्मा सावद्य है। योग और दर्शन आत्मा सावद्य, निरवद्य दोनों हैं। उपयोग, ज्ञान, चारित्र और वीर्य१-ये चारों आत्माएं निरवद्य हैं।

१५. कर्म रुके छे किण आत्मा स्यूं? दर्शण चारित्र सोयो जी।

यां दोयां स्यूं कर्म रुके छे, षट्‌ स्यूं रुके न कोयो जी।।

किस आत्मा से कर्म का निरोध होता है। दर्शन और चारित्र इन दो आत्माओं से कर्म का निरोध होता है, शेष छह आत्माओं से कर्म का निरोध नहीं होता।

१६. कर्म कटे छे किण आत्मा स्यू? जोग आत्मा स्यूं जाणी जी।

सात आत्मा स्यूं कर्म कटै नहिं, अधिक न्याय दिल आणी जी।।

किस आत्मा से कर्मं की निर्जरा होती है? योग आत्मा से कर्म की निर्जरा होती है। शेष सात आत्माओं से कर्म की निर्जरा नहीं होती। इसका न्याय समझो।

१७. करणी लेखे आज्ञा मांहि, किसी आतमा वरणी जी?

जोग दर्शण चारित्र कहिये, अवर न आणां करणी जी।।

करणी (आचरण) की अपेक्षा कोन-सी आत्मा धर्म-सम्मत है? योग, दर्शन और चारित्र ये तीन आत्माएं धर्म -सम्मत हैं। शेष पांच आत्माएं धर्म-सम्मत नहीं हैं।

१८. उज्जल लेखे आणां माहि, किसी आतमा केणी जी?

द्रव्य कषाय भणी नहिं केणी, षट्‌ आत्मा ने लेणी जी।।

विशुद्धि (क्षायोपशमिक और क्षायिकभाव) की अपेक्षा कौन-सी आत्मा धर्म-सम्मत है? द्रव्य१ और कषाय आत्मा धर्म-सम्मत नहीं है। शेष छह आत्माएं विशुद्धि की अपेक्षा धर्म-सम्मत हैं।
Sources
Provided by: Sushil Bafana
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • HereNow4U
    • HN4U Team
      • Share this page on:
        Page glossary
        Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
        1. Acharya
        2. Acharya Jeetmal
        3. Agam
        4. Babita Gunecha
        5. Gunsthan
        6. Leshya
        7. Rajasthani
        8. Sushil Bafana
        9. Yog
        10. आचार्य
        11. आचार्य भिक्षु
        12. ज्ञान
        13. दर्शन
        14. निर्जरा
        15. भाव
        Page statistics
        This page has been viewed 321 times.
        © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
        Home
        About
        Contact us
        Disclaimer
        Social Networking

        HN4U Deutsche Version
        Today's Counter: