ShortNews in English
Pachpadra: 10.06.2012
Acharya Mahashraman said that Tapsya is means of purifying soul. Fast is Tapsya and to eat less than required is also Tap. Swadhayay and Meditation are also Tapsya.
News in Hindi
तपस्या आत्मशुद्धि का साधन
पचपदरा १० जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने अहिंसा संयम व तपस्या को धर्म के त्रिआयाम बताते हुए कहा कि साधना के जीवन में तपस्या का महत्वपूर्ण स्थान होता है। तपस्या आत्मशुद्धि का साधन है। साधक के लिए तपस्या धन होता है। उन्होंने कहा कि साधु का एक नाम तपोधन है। आचार्य शनिवार को पचपदरा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने अनाहार को तपस्या का रूप बताते हुए कहा कि उपवास भी एक अच्छी साधना है। उनोदरी व रात्रि भोजन का त्याग व नवकारसी को तपस्या व साधना बताते हुए आचार्य ने कहा कि गृहस्थी को रात्रि भोजन का त्याग व सचित्र पानी पीने का त्याग करना चाहिए। उन्होंने प्रायश्चित को अभ्यंतर तप का प्रकार बताया। उन्होंने कहा कि बड़ों व संतों की वंदना करना भी तपस्या है। ध्यान व स्वाध्याय भी तपस्या है, उपवास की अपेक्षा व्यवहार में बीमार संग्रहण, वृद्धों की सेवा बड़ी तपस्या है। उपवास से तो केवल स्वयं को लाभ मिलता है परंतु बीमार वृद्ध की सेवा से स्वयं के साथ दूसरों को भी लाभ व सहयोग मिलता है।
आचार्य ने मुनि यशवंत कुमार की सेवा का उल्लेख किया, जिन्होंने गुरु आज्ञा को शिरोधार्य कर मुनि शांति को गर्मी के मौसम में भी सिरियारी पहुंचाया और पुन: मुनि हर्षलाल को बाड़मेर पहुंचाने जाएंगे। मुनि हर्षलाल के बारे में आचार्य ने बताया कि हर्षलाल अच्छे संत है और बड़े विनीत संत है। कार्यक्रम के प्रारंभ में साध्वी प्रबुद्ध यशा के सामाजिक चरित्र से छेदोपस्थानीय चरित्र से विहार के लिए बड़ी दीक्षा का आयोजन हुआ। इस दौरान साध्वी प्रबुद्धयशा व साध्वी हेमप्रभा ने अपनी दीक्षा के बाद सात दिनों के अनुभवों को सुनाते हुए धर्मसंघ में रमने की भावना व्यक्त की और अपने भाग्य की सराहना की।
कार्यक्रम में मुनि राजकुमार ने जीवन की ज्योति जलेगी गीत प्रस्तुत किया। समणी सुमनप्रज्ञा ने अपनी मातृभूमि पर पूज्यवर का गुरुवंदना और अभिवंदना गीत से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।