ShortNews in English
Pachpadra: 11.06.2012
All India Terapanth Mahila Mandal organized seminar for newly wedded couple in presence of Acharya Mahashraman and in direction of Sadhvi Pramukha Kanak Prabha. Muni Kumar Shraman guided participants to follow rule of Anekant for successful wedding life. Sadhvi Kalplata told to set your vision first and then follow it. Function compeered by Smt. Neelam Sethia.
News in Hindi
सेमिनार में बताया, कैसे मजबूर रखें रिश्ते
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में नव युगलों के लिए तालमेल सेमिनार का आयोजन
पचपदरा ११ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में रविवार को दो दिवसीय नव युगल सेमीनार 'तालमेल' का आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य और साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के निर्देशन में समापन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने कहा कि भारतीय संस्कृति संस्कारों से संपोषित व आदर्शवादी रही है। यहां रिश्तों को महत्वपूर्ण व मजबूत धरोहर माना जाता है। इनके सिंचन की आवश्यकता है विश्वास को एडजस्टमेंट की, क्रेडिट की, एप्रियेशन की व निर्णय लेने की क्षमता की। कार्यशाला संयोजक पुखराज सेठिया ने 'तालमेल की फसल रिश्तों का सिंचन' विषय पर विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए शब्द चित्र आकर्षक रूप से प्रस्तुत किया। साध्वी कनकप्रभा ने बताया कि जिंदगी एक नोट बुक है इसका यूज करो या मिसयूज यह आप पर निर्भर है। विवाह संस्कृति भारत में दो व्यक्तियों का ही मिलन नहीं दो परिवारों व दो गांवों का चिंतन आपसी कुशलता पर निर्भर है। मगर सहनशीलता, विनम्रता, करुणा व पारदर्शिता का समावेश होगा तो आपका पूरा भविष्य सुखद हो जाएगा। डॉ. हिमांशु जोगी का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण विभिन्न प्रयोगों व छोटे-छोटे नुस्खों के द्वारा नव दंपतियों को प्रशिक्षण देने वाला रहा। कार्यक्रम का संचालन नीलम सेठिया ने किया।
सफल वैवाहिक जीवन के नुस्खे बताए:
दोपहर के सत्र में आचार्य ने कहा कि वैवाहिक जीवन के किए दुराग्रह का परित्याग, अनाग्रह वृति, स्वार्थ भावना का त्याग, सहन करने की क्षमता व एक दूसरे की रूचि का सम्मान होना जरूरी है। मुनि कुमार श्रमण ने कहा कि दांपत्य जीवन को सफल बनाना है तो हमें अनेकांत का दृष्टिकोण अपनाना होगा। मुनि अवित कुमार ने कहा कि दांपत्य जीवन को परस्पर सहन करने की प्रवृति होनी चाहिए। मंत्री मुनि ने कहा कि युवाओं की उम्र दायित्व ग्रहण करने की उम्र है। पहले अपने को व्यवस्थित बनाएं, फिर परिवार की व्यवस्था करवाएं, फिर समाज को सहयोग करने में तत्पर रहें। दूसरे दिन के सुबह के सत्र संस्कार मंगलाचरण के बाद साध्वी शुभयशा ने प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग करवाए। साध्वी चारित्रयशा ने कहा कि रिश्तों को मजबूती देने के लिए एक दूसरे को वक्त देना जरूरी है। साध्वी कल्पलता ने कहा कि नवयुगल अपने विजन को तय करें, संस्कृति एवं संस्कारों को पोषित करते हुए परिवार व समाज में सांमजस्य बनाए रखें। सत्र का संचालन महामंत्री पुष्पा वैद ने किया।