ShortNews in English
Jasol: 22.10.2012
Acharya Mahashraman said that devotion is important for upliftment of soul. Devotion is helpful to lessen pride and ego.
News in Hindi
आत्मोत्थान के लिए भक्ति महत्वपूर्ण' आचार्य श्री
जसोल(बालोतरा) २२ अक्तूबर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
नवरात्रा के दिनों में भक्ति मुखर देखी जाती है। मां दुर्गा की आराधना, साधना चलती है, जिन की उस में आस्था होती है। जिसकी जहां आस्था होती है। उसके प्रति भक्ति का प्रयोग भी किया जाता है। जैन शासन में वीतराग भक्ति, वीतराग के प्रति श्रद्धा का बड़ा महत्व है। अर्हत को देव के रूप में और शुद्ध साधु को गुरू मानते हैं। वीतराग द्वारा प्रज्ञपत तत्व होता है। भक्ति अंतर्मन में कितनी है। यह विवेच्य बात होती है। यह मंगल वक्तव्य तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने रविवारीय विशेष प्रवचन माला में 'मूल्य भक्ति का' विषय पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि अंतरंग भक्ति का अधिक महत्व होता है। शासन, धर्म शासन, गुरु के प्रति भक्ति होना जीवन की एक बड़ी उपलब्धि होती है तथा आत्मोत्थान की दृष्टि से भी उसका बड़ा महत्व है। आराध्य के प्रति हमारे मन में भक्ति रहनी चाहिए।
व्यक्ति का अपने इष्ट के साथ तादात्म्य का भाव बना रहना चाहिए। मोक्ष साधनों की सामग्री में भक्ति एक अच्छा मार्ग है। अपने स्वरूप का अनुसंधान करना ही भक्ति है।
भक्तिमार्ग साधना का एक प्रयोग है। भक्तिमार्ग अहंकार को कम करने और आराध्य में तल्लीनता लाने का उपाय भी है। आचार्य ने अंतरंग भक्ति करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि अंतरंग भक्ति से कर्म निर्जरा व आत्मा का उत्थान होता है। संसार में गुरु का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। जिसको गुरु के रूप में, धर्माचार्य के रूप में स्वीकार कर लिया है उनके प्रति भक्ति की भावना होनी चाहिए। उनकी स्तुति करना, अंतर्मन में उनके प्रति समर्पण का भाव रखना, उनकी आशा को शिरोधार्य करके चलना की भक्ति है। आदमी वर्तमान जीवन को ही न देखे, वह भावी जीवन को भी देखने का प्रयास करें। आदमी आत्म कल्याण की भावना से ओत-प्रोत व खूब समाधिस्थ रहे। आत्मा मोक्ष की ओर अग्रसर हो, हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए। मंत्री मुनि सुमेरमल का प्रेरणादायी उद्बोधन हुआ।