10.10.2017 ►Media Center Ahinsa Yatra ►News

Published: 10.10.2017
Updated: 15.11.2017

News in Hindi:

अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति

अवदारिक शरीर से परकल्याण का हो प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण

  • ‘ठाणं’ आगम में वर्णित शरीर के पांच भेदों को आचार्यश्री ने किया सरस विवेचन
  • मानव को प्राप्त होने वाले अवदारिक शरीर को बताया सबसे महत्त्वपूर्ण
  • ‘तेरापंथ प्रबोध’ आख्यान शृंखला में आचार्य मघवागणी के शासनकाल का आचार्यश्री ने किया वर्णन
  • आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में गीत-गायन प्रतियोगिता के विद्यार्थियों ने दी अपनी प्रस्तुति
  • विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वाले विद्यालयों व विद्यार्थियों को किया गया पुरस्कृत
  • आचार्यश्री ने विद्यार्थियों को प्रदान किया मंगल आशीष, महाप्राण ध्वनि का कराया प्रयोग
  • आचार्यश्री के आह्वान पर विद्यार्थियों ने स्वीकार की संकल्पत्रयी


10.10.2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)ः

जन मानस को पावन बनाने वाले अहिंसा यात्रा के प्रणेता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगलवार को अपने मंगल प्रवचन में लोगों को आगम में वर्णित शरीर के पांच प्रकारों का वर्णन किया। उसमें भी मनुष्य को प्राप्त अवदारिक शरीर का महत्त्व बताते हुए इस शरीर से परकल्याण की पावन प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री नित्य की भांति ‘तेरापंथ प्रबोध’ की आख्यान शृंखला को भी निरंतर जारी रखा। वहीं अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय गीत-गायन प्रतियोगिता मंे भाग लेने वाले बच्चों ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी तो आचार्यश्री ने बच्चों पर अपने शुभाशीषों की वृष्टि कर उनके कोमल मनोभावों को अभिसिंचन प्रदान किया। साथ ही आचार्यश्री ने बच्चों को महाप्राण ध्वनि का प्रयोग कराया। बच्चों ने आचार्यश्री के श्रीमुख से अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार किया कर मानों अपने जीवन के लिए अमूल्य निधि बटोर ली। विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले बालक-बालिकाओं व स्कूलों को अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के पदाधिकारियों द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। आचार्यश्री से आध्यात्मिक प्रेरणा, वात्सल्य और पुरस्कार प्राप्त कर बच्चे उल्लसित नजर आ रहे थे।

    मंगलवार को आचार्यश्री के प्रवास स्थल सभागार में आयोजित हुए मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में ‘ठाणं’ आगम के आधार पर पावन प्रवचन प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में दो प्रकार के तत्त्व होते हैं-जीव और अजीव अथवा चेतन-जड़। दुनिया का हर प्राणी शरीरधारी होता है। आगम में पांच प्रकार से शरीर बताए गए हैं-अवदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कारमण शरीर। आचार्यश्री ने सभी प्रकार के शरीरों का विधिवत वर्णन करते हुए कहा कि सभी शरीरों में महत्त्वपूर्ण और महान शरीर अवदारिक शरीर को माना गया है। यह शरीर तीर्थंकर भी धारण करते हैं। इससे जो साधना की जा सकती है, वह किसी अन्य शरीर से नहीं हो सकती। आदमी को यह शरीर अपने पूर्वकृत कर्मों को क्षीण करने और अपनी आत्मा को निर्मल बनाने के लिए प्रयोग करना चाहिए। इस शरीर से आदमी को दूसरों को दुःख देने का नहीं बल्कि परकल्याण का प्रयास करना चाहिए। इसके उपरान्त आचार्यश्री ने ‘तेरापंथ प्रबोध’ आख्यान शृंखला में आचार्यश्री मघवागणी के शासनकाल का वर्णन किया।

    आचार्यश्री ने प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने आए विभिन्न राज्यों के स्कूलों से विद्यार्थियों पर अपनी आशीष वृष्टि करते हुए कहा कि आज अणुव्रत गीत-गायन प्रतियोगिता के संदर्भ में अनेक-अनेक विद्यार्थी इससे जुड़े हुए हैं। अणुव्रत से जुड़े हुए जीवनोपयोगी गीत का संगान उनके भीतर चरित्र निर्माण और चरित्र को निर्मल रखने की प्रेरणा प्रदान कर दे गीत संगान और ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथा सार्थक हो सकता है। आचार्यश्री ने विद्यार्थियों को अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्यों-सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के विषय में अवगति प्रदान कर विद्यार्थियों को संकल्पत्रयी को स्वीकार करने का आह्वान किया तो सभी बच्चों से बुलंद आवाज में तीनों संकल्पों को गुरु प्रसाद के रूप में स्वीकार कर मानों अपने जीवन के लिए अमूल्य निधि बटोर ली। आचार्यश्री कृपावृष्टि जारी रखते हुए उन्हें महाप्राण ध्वनि का प्रयोग भी कराया और इसे अपने जीवन में अपनाने की पावन प्रेरणा प्रदान की।

    आचार्यश्री ने उन्हें ज्यादा गुस्सा नहीं करने, शांत और प्रसन्न रहने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि बच्चे ही महापुरुष बनते हैं। इसलिए अपने जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए।

    इस दौरान विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी बालक-बालिकाओं ने एकल और सामूहिक रूप में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। उसके उपरान्त अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रधान न्यासी श्री संपतमल नाहटा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं व स्कूलों की टीम को स्मृति चिन्ह और पुरस्कार राशि प्रदान की। समस्त पुरस्कार अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास से जुड़े हुए पदाधिकारियों व सदस्यों तथा अन्य महानुभावों द्वारा प्रदान किए गए। इस प्रतियोगिता में देश के कुल सोलह राज्यों के अनेक विद्यालयों के बच्चों ने प्रतिभाग किया। इस प्रतियोगिता की विशेष बात यह रही कि अणुव्रत के गीत में भाग लेने वाले अधिकांश बच्चे जैनेतर समाज के थे तथा दक्षीण भारतीय बच्चों को हिन्दी नहीं आने के कारण उन्होंने अणुव्रत गीतों को कंठस्थ कर इतनी सुन्दर प्रस्तुति दी।


English [Google Translate]

Non-violence travel press release

Attempts of Parvalyan from the underworld body: Acharyashree Mahasamani

  • 'Dhaanaa' Acharyashree performed five different parts of the body described in Agam: Saras Vivechan
  • The most important thing to be told to the unreasonable body of human
  • Acharyashree has described the reign of Acharya Mungvagani in the narrative series 'Tarapanth Prabodh'
  • The students of song-singing competition at Aankaryashree's Mars Sannidhi gave their presentation
  • Awarded for the first, second and third place schools and students in various competitions
  • Acharyashree provided students with Mangal Ashish
  • Disclosing the students to accept the call of Acharyasri


10.10.2017 Rajarhat, Kolkata (West Bengal):

The devotees of Ahimsa Yatra, who purified the people's mind, expressed their views on the five types of body described in the Agam in their Mangal discourse on Tuesday. Describing the importance of the unadulterated body found in humans, it also gives the inspiration of Parakalyan from this body. Like Acharyaree Nitya, continuation of the narrative series of 'Teerapanth Prabodh' also continued. At the same time, the children participating in the three-song song-singing competition organized by Akhil Bhartiya Nirvrut Trust, presented their presentation to Acharyashree, then the Acharyashri gave the impression of their good wishes to the children and to give their condolences to their gentle feelings. In addition, Acharyashree used the aspiring sound of the children. By accepting the three resolutions of non-violence and non-violence, the children of Acharyashree collected money for their life. In the various competitions, children, girls and schools receiving first, second and third positions were also rewarded by the office bearers of All India Nirvrat Trust. Children were feeling elated after receiving spiritual inspiration, Vatsalya and awards from Acharyashree.

In the main discourse program organized in the auditorium of the Acharyashree on Tuesday, giving 'Purna' a holy discourse on the basis of Agam said that there are two types of elements in the world - Jiva and Ajiv or Chetan-root. Every creature in the world is body. In the Agam, the body has been described in five types - Avadarik, Vyakat, Dietaar, Tejas and Karman Bana. Acharyashree duly described all types of bodies and said that all bodies have been considered important and great body non-partial body. This body also holds tirthankara. This sadhana can not be done with any other body. The man should use this body to weaken his predetermined deeds and to make his soul pure. This body should not try to hurt others, but rather to strive for charity. After this, Acharyasri described the reign of Acharyashree Mungvagani in the 'Terapanth Prabodh' narrative series.

Acharyashree said that while blessing her with the students from the various schools of different states who came to participate in the competition, many more students were associated with it in the context of the song and singing competition today. Song music can be more important and worthwhile by providing the inspiration to create the character within him and to keep the character pure. Acharyashri called upon the students to adopt the three objectives of nonviolence, goodwill, morality and disenchantment, and to call upon the students to accept the conceptual, then accepting the three resolutions in the voice of all the children, as Guru Prasad, Has collected ample funds for Acharyashri continued to use the aspirant sound as continuation of grace and provided the inspiration to adopt it in his life.

Acharyashree encouraged them not to become too angry, calm and happy, saying that children become great men. Therefore, we should strive to make our life good.

During this time the students of different schools gave their emotional presentation in single and collective form. Subsequently, the Chief Trustee of the All India Nirvrat Trust, Mr. Sumantam Nahata gave his brother-in-law. During this time, the souvenirs and prize money were awarded to the team of students and students of the first, second and third places in various competitions. All awards were provided by the office-bearers and members associated with the All India Nivrut Trust and other great leaders. In this competition, children from many schools of 16 schools of the country participated in the competition. The special feature of this competition was that most of the children participating in the song of Anuvrat were from the Jainetar society and due to the lack of Hindi in South Indian children, they made such a beautiful presentation by memorizing the atomic songs.

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