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अहिंसा से शांति संभव है: मुनि किषनलाल
15.10.2017
पंाच महाव्रत, पांच समिति तीन गुप्ति आदि तेरह नियमों से चरित्र की न केवल रक्षा होती है बल्कि चरित्र का उत्थान भी होता है। षिष्य ने भगवान से पूछा कि भंते! ऐसा क्या किया जाए जिससे पाप कम्र का बन्धन न हो। भगवान ने समस्या का समाधान करते हुए कुछ नियम व भावना बताई जो अहिंसा के सिद्धांत में समाहित होते हैं। भगवान ऋषभ व भगवान पारसनाथ के जीवन से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए आचार्यश्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती ‘षासनश्री’ प्रेक्षाप्राध्यापक मुनिश्री किषनलाल ने कहा कि परिग्रह सभी दोषों की जननी है। अहिंसा के सन्देष में सत्य, अचैर्य, ब्रह्मचर्य व परिग्रह का संयम निहित है। खाने-पीने, सोने जागने, उठने, बैठने, सुनने-सुनाने में अहिंसा से संयम आ जाएगा।
मौन की साधना भी अहिंसा है। संयम की आराधना के द्वारा अन्तराय कर्मों का क्षय होता है। संयम की आराधना गुणों के प्रति निष्ठा है। यह सब हितकारी व प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं। आवष्यकता है भावधारा को निर्मल बनाने की।
मुनिश्री ने दीपावली के परिपेक्ष में बोलते हुए कहा कि उस दिन भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था। अतः उस दिव्य आत्मा की स्मृति में ध्यान से जीवन को ज्योतिर्मय बनाने के लिए दीपावली मनाते हैं। दीपावली के इस अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप महोदय और कोरिया के राष्ट्रपति को भी शांति व अहिंसा का अनुकरण करना चाहिए।
इस अवसर पर सभाअध्यक्ष श्री दर्षनकुमार जैन, प्रेक्षा प्रषिक्षक लाजपतराय जैन, डाॅ. सुषीला जैन, तरसेम जैन, श्री तिवाड़ी व श्रीमती मालती जैन आदि विषेष रूप से उपस्थित थे।
- राहुल जैन
English by Google Translate:
Peace is possible with non-violence: Muni Kishan Lal
15.10.2017
Panchayat Mahavrat, five committees, three Gupti etc are protected not only from the character but also the uplift of the character. God asked God that Bhante! What should be done so that there is no fastening of sin. God resolved the problem and told some rules and feelings that are contained in the principle of non-violence. Presenting the example from the life of God Rishabh and Lord Parasnath, the spiritual successor of 'Acharyashree Mahasaman', 'Shanshan Shree' observer observer Munishri Kishan Lal said that the perfection is the mother of all the defects. In the revelation of non-violence, the patience of truth, Acharya, Brahmacharya and Parivrah is contained. There will be restraint from non-violence in eating, drinking, sleeping, rising, sitting and listening.
Silence of silence is also non-violence. Intermittent deeds are eroded by the worship of restraint. Adoration is a devotion to the virtues of worship. These can all be proven to be beneficial and effective. The necessity is to make the spirituality clean.
Munishri spoke in the context of Deepawali that on that day there was Nirvana of Lord Mahavira. Therefore, in the memory of that divine soul, they celebrate Deepawali with care to make life light. On this occasion of Deepawali, President of America Trump Sir and the President of Korea should also imitate peace and non-violence.
On this occasion, the meeting was attended by Shri Darshan Kumar Jain, Chairman, Lecturer Lajpat Rai Jain, Dr. Sushila Jain, Tarasam Jain, Mr. Tiwari and Mrs. Malti Jain were especially present.
- Rahul Jain