Pravachan
Delhi
18.09.2014
आज की प्रेरणा.......
प्रवचनकार - आचार्य महाश्रमण......
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - पढमं नानं तओ दया | मनुष्य के जीवन में
ज्ञान का बड़ा महत्व है | अज्ञान जीवन का अभिशाप होता है | अठारह पाप
बतलाए गए हैं किन्तु कविवर ने कहा - इन पापों से भी अज्ञान सबसे बड़ा
दुःख है| ज्ञान के अभाव में हित अहित का भी आदमी विवेचन नहीं कर पाता|
ज्ञान बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ नहीं | इसके साथ आचार भी अच्छा होना
चाहिए | ज्ञान का सार है आचार | अणुव्रत आचार्य तुलसी की एक अद्वितीय
देन है| आचरण का महत्व उपासना से भी अधिक है| अणुव्रत कहता है - तुम
किसी की उपासना करो या ना करो लेकिन आचरण अच्छा होना चाहिए |
आचरण शून्य उपासना का महत्व नहीं होता | आप किसी भी सम्प्रदाय को
मानो अणुव्रत को इसमें एतराज नहीं, शर्त यह है कि आचरण अच्छा हो |
तेरापंथ युवक परिषद् का स्वर्ण जयंती का कार्यक्रम चल रहा है | परिषद् के
सब सदस्य व्यसन मुक्त व नशा मुक्त हो, चरित्र सम्पन्न हो |
दिनांक - १८ सितम्बर, २०१४
ASHOK PARAKH
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