Pravachan
Delhi
26.09.2014
आज की प्रेरणा.......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
शिक्षा की जीवन बड़ी उपयोगिता होती है | जो अशिक्षित, अविनीत व उद्दंड
होता वह विपत्ति का भागीदार होता है, यह समझने वाला ज्ञान के क्षेत्र में
आगे बढ़ सकता है| ज्ञान प्रकाश देने वाला होता है व उसके सहारे अलौकिक
पथ में आदमी आगे बढ़ सकता है| बुद्धि का विकास भी हमारे जीवन में उप-
लब्धी प्रदान करने वाला होता है | बुद्धि एक बल है, बुद्धि के साथ भाव शुद्धि
भी होनी चाहिए | अभिभावक बच्चों को - ज्ञान सम्पन्नता, आत्म निर्भरता
व सुसंस्कार सम्पन्नता के लिए बच्चों को शिक्षा संस्थानों में भेजते है| इन
तीनों की पूर्ती की अपेक्षा होती है|बच्चे का शारीरिक विकास भी होना चाहिए
पर साथ ही साथ मानसिक व भावात्मक विकास भी जरूरी है,लौकिक विद्या
के साथ अलौकिक विद्या भी मिलनी चाहिए | आज का बालक कल का युवा
व परसों का वृद्ध बनता है | बालक अच्छे हों तभी अच्छे देश का निर्माण हो
सकता है | विद्यार्थियों में नशा मुक्ति का संकल्प पुष्ट होना चाहिए| इमान-
दारी व गुस्सा मुक्ति भी हो तथा पुरुषार्थ को वे सबसे बड़ा मित्र मानें| ये सब
बच्चों के सर्वांगीण विकास के तत्व है |
दिनांक - २६ सितम्बर, २०१४
ASHOK PARAKH
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