24.05.2016 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 24.05.2016

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आचार्य शिव मुनि के सानिध्य मे हुआ ’श्री कुसुमायतन‘ भवन का उद्घाटन

कुसुमायतन भवन मे ठहरेगे साधु-संत, श्रावक लेंगे धार्मिक और आध्यात्मिक षिक्षा
गुरु पुष्कर देवेन्द्र परम्परा का ’श्री कुसुमायतन‘ भवन 10 वां साधना स्थल

उदयुपर 23 मई 2016। श्री कुसुम षिक्षण सेवा संस्थान द्वारा आध्यात्मिक, धार्मिक षिक्षण, ध्यान, योग, साधना, सामयिक षिक्षा और साधु सन्तो के ठहरने की व्यवस्था के लिए सोमवार 23 मई 2016 को उदयपुर के हिरण मगरी सेक्टर 3 मे नवनिर्मित श्री कुसुमायतन भवन का उद्घाटन आचार्य शिव मुनि सहित संत एवं साध्वी वृन्त के सानिध्य मे रूपचन्द बम्बोरी परिवार द्वारा किया गया। इस भवन मे बने अनुपम साधना कक्ष का रामचन्द्र मादरेचा एवं दिव्य दर्षन कक्ष का उद्घाटन भंवरलाल बोकडिया परिवार द्वारा किया गया। इस दौरान आयोजित धर्म सभा मे समाज सेवा मे उल्लेखनीय कार्य करने पर समाजसेवी के.एल. कुम्भट को प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। श्रावको ने आचार्य शिवमुनि को आदर की चादर भेंट कर सम्मानित किया।
धर्म सभा का संचालन करते हुए अपने स्वागत भाषण मे संस्था के कार्याध्यक्ष भंवर सेठ ने कहा कि उपाध्याय पूज्य गुरुदेव श्री पुष्कर मुनि जी म. की सुषिष्या उपप्रवर्तिनी साध्वी दिव्यप्रभा जी की प्रेरणा से महासाध्वी कुसुमवति जी के नाम पर कुसुमायतन भवन का निमार्ण किया गया है। जिसमे समाज के कई दानदाताओं का विषेष सहयोग रहा है। उन्होने बताया कि इस भवन मे जैन शिक्षा, धार्मिक एवं आध्यात्मिक षिक्षण के साथ ही संतो के ठहरने के लिए व्यवस्था रहेगी। इस भवन मे रोजाना ध्यान, योग, साधना आदि धार्मिक क्रियाओं को पुरा किया जायेगा।
चित्त की अनुकम्पा से किया दान श्रेश्ठ
आचार्य शिवमुनि ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि दान वो है जो चित्त की अनुकम्पा से किया जाये, जहां जरूरत हो वहां किया जाये तभी वह दान श्रेष्ठ दान कहलाता है। दान देने के बाद नाम कि लालसा से मोक्ष के रास्ते बंद हो जाते है और सिर्फ पुण्य मिलता है। मुनि ने कहा कि भगवान महावीर ने क्रिया को नही बल्कि आत्म दृश्टि को महत्व दिया है। प्रवर्तक राजेन्द्र मुनि ने अपने प्रवचन मे कहा कि आध्यात्म केन्द्र हमारे मन को शांति देते है। धन कमाने मे शांति नही मिलती। जो भक्त आध्यात्म साधना वृक्ष की छाया तले जीवन को बिठा देते है वह सुख-षांति का अनुभव करते है। साध्वी डॉ. दिव्य प्रभा जी ने कहा कि नमस्कार महामंत्र के समान कोई मंत्र नही है। इसके पांच पद परमेष्ठी स्वभाव है। हमें बाहर के कृत्रिम सौंदर्य को तिलांजली देकर भीतर के प्राकृतिक सौंदर्य को प्राप्त करना है। सभा मे शाष्वत मुनि, शासति मुनि, सुरेन्द्र मुनि, साध्वी राजश्री, साध्वी अनुपमा, निरूपमा ने भी अपने प्रवचनों की धारा से श्रावको को लाभान्वित किया। धर्म सभा के दौरान संघीय मंत्री षिरीष मुनि ने श्रावकों को ध्यान योग करवाया। समाज जनों द्वारा संतो के सानिध्य मे महावीर स्वामी, शिव दरबार, गुरू पुष्कर देवेन्द्र दरबार एवं कुसुमवति म.सा. दरबार का अनावरण किया गया।

उल्लेखनीय है कि उदयपुर क्षेत्र गुरु पुष्कर देवेन्द्र के गुरुभक्तों के आमनाओं का बहुल क्षेत्र है उदयपुर में गुरु पुष्कर देवेन्द्र परम्परा का ’श्री कुसुमायतन‘ भवन 10 स्थल है जहां पर श्रद्धालुजन आकर साधना आराधना करेगें।

वृद्धाश्रम नाटक देख भर आई लोगो की आंखे -
पुष्करवाणी ग्रुप ने जानकारी लेते हुए बताया कि बदलते परिदृष्य मे वृद्धों की स्थित को दर्षाते हुए श्री दिव्य कुसुम महिला मंगल मंत्री संगठन की महिलाओं द्वारा वृद्धाश्रम पर नाट्य मंचन किया गया। नाट्य मंचन के दौरान बेटे द्वारा मां को बहाने से वृद्धाश्रम मे छोडने, मां के द्वारा बार-बार बुलाने पर बहाना बनाने और मां की उम्मीद टूटने, बेटी द्वारा भाई और भाभी को मां के साथ किये दुव्यवहार का आईना दिखाने और पोते द्वारा अपनी मां बाप को दायित्व बोध करवाने के बाद मां को वृद्धाश्रम से वापस घर लाने को दर्शाया गया जिस देखकर कई लोगो की आंखे भर आई।

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