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#शिवाचार्य #भीलवाडा #चातुर्मास 2016
कर्मों की सजा सभी को भोगनी हे - आचार्य श्री शिव मुनि
10/8/2016 भीलवाडा / मकड़ी के समान मानव अपने जीवन को बनता जा रहा है जैसे मकड़ी अपने बनाये जाल में खुद उलझ जाती है वैसे ही मनुष्य भी अपने किये गये कर्मों की सजा पाता है । यह/ कहना है जैन श्रमण संघीय आचार्य श्री शिव मुनि का । आचार्य श्री ने बुधवार को शिवाचार्य समवसरण में आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा मेंं श्रावक श्राविकाओं को उदबोधित करते हुए कहा की मकड़ी अपने जाल में उलझने के बाद भी जाल बनाना नही छोड़ती वैसे ही मनुष्य भी अपने कर्मो के ताने बाने में जीवन भर उलझा रहता है और अंत में अपने प्राण त्याग देता है । इंसान के हर कदम पर मौत मंडराती रहती है लेकिन वो यह सोचता हे की अभी तो उसे काफी जीना है तो धर्म ध्यान अभी से क्यों? लेकिन सच यह है कि मृत्यु का कोई समय निश्चित नही कई बड़े बूढ़े रह जाते हे और जवान बच्चों की मृत्यु हो जाती है । दादा से पहले पोता और पिता से पहले पुत्र की मृत्यु हो जाती है । जीवन छोटा सा हे आयुष्य का कोई भरोसा नही इसलिए जीवन को मोह के बंधन से मुक्त करते हुए प्रभु भक्ति की और लगाना ही जीवन की सार्थकता हे आत्म चिंतन और ध्यान साधना इसका मार्ग है ।
> धर्म सभा को श्रमण संघ मंत्री शिरीष मुनि ने सामायिक एंव नमोथुनम के पाठ की व्याख्या करते हुए जीवन और मोत के शास्वत सत्य पर उदबोधित किया । उन्होंने कहा कि जीवन की सार्थकता स्वयं को जान्ने में हे इस जग में जो आया है उसे एक ना एक दिन जाना है लेकिन जाने से पहले परमात्मा में मन लगाने से ही जन्म मरण के चक्र में मुक्ति मिल सकती है ।
> धर्मसभा को उद्बोधित करते हुए निशांत मुनि ने बताया की प्रभु से मन के तार अगर जोड़ने हे तो कनेक्शन एक दम सही होना चहिये जैसे गलत तार जुड़ने से चिंगारियां निकलती है वैसे ही प्रभु में ध्यान नही रमाने से जीवन में अन्धकार ही अन्धकार हो जाता है । धर्मसभा में बुधवार को विधानसभा के मुख्यसचेतक कालूलाल गुर्जर ने आचार्य श्री के दर्शन लाभ लिए ।
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श्रमण संघीय सलाहकार श्री #दिनेश मुनि जी म.
10/8/2016