20.06.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 20.06.2017
Updated: 21.06.2017

Update

आदिकाल के आदि जिनेशा.. प्रकट भए
जटाधारी ऋषभ देवा.. @ सांगानेर 😇 🔥 #मुनि_सुधासागर जी #सांगानेर में भूगर्भ से प्रतिमाए निकालने का Detailed Article #must_read #share_Please

जयपुर. सांगानेर के दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र संघीजी मंदिर में सोमवार से आस्था का सैलाब उमड़ा। अवसर था 18 वर्ष बाद मुनि पुंगव सुधासागर महाराज द्वारा यक्ष-रक्षित जिन प्रतिमाओं को भूगर्भ से निकालने के उपलक्ष्य में आयोजित अलौकिक अमृत सिद्धि दर्शन महोत्सव का। 25 जून तक चलने वाले इस महाकुंभ में ब्रह्म मुहूर्त से ही सांगानेर की ओर श्रद्धालुओं का रेला नजर आ रहा है।

98 जिनबिंब और ताम्र यंत्र खोजे
मुनि सुधासागर महाराज तलघर में से यक्ष रक्षित जिनालय को निकालने के लिए सुबह 6:30 बजे मंदिर के तलघर के द्वार पर पहुंचे। इस बार मुनिश्री गुफा से 98 जिनबिंब लेकर आए हैं। उन्होंने सर्वप्रथम प्रार्थना की। फिर भूगर्भ में उतरे। उन्होंने वहां आराधना कर संकल्पबद्ध होकर 25 जून तक के लिए यक्ष-रक्षित जिन प्रतिमाओं को बाहर लाने की विधिपूर्ण की।

मुनिश्री ने गुफा का रहस्य बताते हुए कहा कि वहां पर आक्सीजन की बहुत कमी है। मेरी हालत अर्द्ध चेतनता या वेंटिलेटर में रहने जैसी हो गई थी। दल-दल भी पिछली बार की अपेक्षा अधिक मिला। गुफा में जिस ओर पिछली बार मुझे नागराज मिले थे, उस ओर मैं गया ही नहीं। उन्होंने कहा, हमारी भी मर्यादा है। इस बार मूर्तियों के अलावा वहां मुझे बहुत सारे प्राचीन ताम्र यंत्र मिले हैं। इनके पढ़ने के बाद और रहस्यों के बारे में पता चलेगा।

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Update

Exclusive photo #president_Ramnath_Kovind #AacharyaVidyasagar आचार्य श्री के अनन्य भक्त श्री रामनाथ जी कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है.

ये सब आचार्य श्री जी का ही आशीर्वाद फलित हो रहा है चरणों मे जो आया है सब कुछ उसने पाया है राष्ट्रपति पद क्या,स्वर्ग सुख भी स्वयमेव आया है इसे कहते हैं अतिशय ओर चमत्कार* दुनिया चाहे जिसे अतिशय या चमत्कार माने ये दुनिया ही जाने ।मैंने जिस साक्षात चमत्कार को देखा बो आपसे साझा कर रहा हूँ । जिन्हें हम चलता फिरता तीर्थ कहते हैं ऐंसे तीर्थंकर के मार्ग के पथगामी इस धरती के देवता पूज्य आचार्य भगवन श्री विद्यासागरजी महाराज जब भोपाल में चातुर्मास कर रहे थे तो बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ जी कोविद ने उनका सानिध्य प्राप्त करने की इच्छा जाहिर की थी और बे शिक्षा और भारत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जैन मंदिर हबीबगंज आये थे और आचार्य श्री का विशेष आशीर्वाद उन्हें मिला था, विशेष इसलिए क्योंकि जब गुरुवर से उनकी चर्चा हो रही थी तब चातुर्मास का सोशल मीडिया प्रभारी होने के नाते में बहा उपस्थित था, गुरुबर ने जब कोविद जी को आशीर्वाद देने हाथ उठाया था तो दूसरे हाथ की उंगली से अपनी हथेली पर कुछ लिखा था शायद कोविद जी के अच्छे भविष्य की कोई इबारत लिखी थी । आज जब भाजपा ने एन डी ए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदबार के रूप में श्री रामनाथ जी कोविद के नाम की घोषणा की तो मुझे आशीर्वाद के बो अतिशयकारी पल याद आ गए । धन्य हैं वीतरागी तपोधन की दूरदृष्टि जिसमें भारत के सुनहरा भविष्य दृष्टिगोचर हो गया । *पंकज प्रधान भोपाल*

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News in Hindi

#must_read शांति की ओर पहला कदम [शांति पथ प्रदर्शन ] Initiate a step for Real Peace आज इस समय में जहाँ सभी और पैसा कमाने की होड़ लगी है धर्मं शब्द भी फालतू की बात लगती है. समय व्यर्थ करने का topic. धर्म को लेकर हमारे मन में कैसी picture उभरती है... #share_maximum

•1. बूढ़े लोगों का काम
•2. मंदिर जाना/ पूजा करना (सिर्फ इसलिए की परिवार की परंपरा है)
•3. प्रवचन सुनना
•4. विवाद का topic क्योंकि सभी अपने धर्मं (मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारा/ चुर्च) को ही अच्छा मानते है.

लेकिन यकीन मानिये... धर्म कोई बाहरी क्रिया नहीं जो किसी के कहने पर की जाये.... थोड़ी सी रूडियें अपना लेने को ही हमने धर्मं मान लिया है जो साम्प्रदायिकता के आलावा कुछ नहीं है
अभी ये प्रश्न मन में आएगा की ये कैसे हो सकता है, कैसी बात कर रहे हैं, अगर ये धर्म नहीं तो फिर धर्म क्या है। ऐसी जिज्ञासा होना ही बड़ी बात है और वही हमे आगे बदने के लिए प्रेरित करती है.

इससे पहले के हम धर्म के बारे में जाने, क्या अपने कभी सोचा है के ये धर्मं की बात सुनने की रूचि या जानने की उत्सुकता किसी की कम या जयादा क्यों होती हैं.

इसके कई कारण हैं और वे सब दूर हो जाये तो ऐसा नहीं हो सकता की समझ में न आये:
1. धर्म को फ़ोकट की वस्तु समझना -
यही हम धर्म को फ़ोकट की वस्तु न समझ कर वास्तव में कुछ हित की समझे और कानों में शब्द पड़ जाने मात्र से संतुष्ट न होकर वक्ता के या शास्त्रों के अभिप्राय (कहने का कारण) को समझने का प्रयत्न करें तो धर्मं की वास्तविकता जरूर से समझ में आएगी. " शब्द सुने जा सकते हैं अभिप्राय नहीं "
2. वक्ता (बताने वाला) की अप्रमाणिकता -
अगर बोलने वाले ने स्वयं धर्मं का सही स्वरुप न समझा हो और जो उसके खुद के जीवन से न झलकता हो तो समझो वो बोलने वाला स्वयं सिर्फ शब्दों को आप तक पहुंचा रहा है उसका अभिप्राय आप तक नहीं पहुच सकता क्योंकि वो सिर्फ अनुभव करा जा सकता है. आप खुद पहचान कर सकते हैं:
-जिसका जीवन सरल, शांत व दयापूर्ण हो,
- जिसके शब्दों में माधुर्य हो, करुणा हो और जिसके शब्दों में पक्षपात की बू न आती हो,
-जो हठी न हो,
-संप्रदाय के आधार पर सत्यता को सिद्ध करने का प्रयत्न न करता हो,
-वाद विवाद रूप चर्चा करने से डरता हो,
-आपके प्रश्नों को शांति से सुनने की क्षमता हो और उसे कोमलता से समझाने का प्रयत्न करता हो, आपकी बात सुन कर जिसे irritation न होता हो,
-जिसके मुख पर हमेशा मुस्कान रहती हो,
-विषय भोगो से जिसे उदासी हो, और त्याग करने से जिसे संतोष होता हो,
-अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न और अपनी निंदा सुनकर रुष्ट (angry) न हो

3. सुनने वाले के दोष - उतावली करना, कमियां देखना आदि
4. विवेचन (analysis) में अक्रमिकता - कही गयी बात को उसी क्रम में नहीं समझना
5. पक्षपात रखना - अगर शुरू में ही धर्मं को सांप्रदायिक रूप में मान लो तो कुछ और नया समझ नहीं आता

अगर ये पांच कारणों का आभाव हो जाये तो ऐसा नहीं हो सकता के तुम धर्मं के प्रयोजन को व उसकी महिमा को ठीक ठीक जान न पो और जानकार उससे इस जीवन में कुछ नया परिवर्तन लाकर इसके मीठे फल को प्राप्त न कर लो; और अपनी पहले की गयी धार्मिक क्रियाओं के रहस्य को समझ कर उन्हें सार्थक न बना लो.

अभी हम आगे देखंगे की धर्म की हमारे जीवन में आवश्यकता ही क्या है? हमे नहीं लगता के ये हमारे दिन प्रतिदिन के कार्यों के लिए आवश्यक है. हमारा जीवन तो बिना किसी धार्मिक क्रिया को करके भी अच्छे से चल रहा है तो फिर हमे philosopher बनने की क्या जरूरत है? प्रश्न बहुत सही है और होना भी चाहिए. मनुष्य में सोच विचार की क्षमता है यही तो उसकी खूबी है और उसके इस्तेमाल सही दिशा में हो तो कहने ही क्या..

शांति पथ प्रदर्शन श्री जिनेन्द्र वर्णी जी का लिखा ऐसा अभूतपूर्व ग्रन्थ है और इतनी easy language में आज तक कोई जैन ग्रन्थ नही लिखा गया जो धर्मं का मर्म एक ग्रन्थ में समेत सके, अगर आपने शांति पथ प्रदर्शन नहीं पढ़ा तो बोलना होगा..आप धर्मं के एक अनूठे मर्म से शायद वंचित है...एक बार जीवन में ये ग्रन्थ जरुर पढ़े, अगर आपके एरिया में ये ग्रन्थ नहीं मिल पाए तो हमें बताये...

धर्मं के लिए आपके मन में आने वाले हर प्रश्न का उत्तर इसमें आपको मिलेगा..एक बार पढ़कर तो देखो..

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