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जीवन को संयमित बनाने का समय चातुर्मास: दिनेष मुनि
42 वर्षो बाद #पूना नगरी में आगमन से मन प्रफ्फुलित: दिनेष मुनि
आंनद दरबाद में सलाहकार दिनेष मुनि का चातुर्मासिक मंगल प्रवेष
पूना, 30 जून 2017।
42 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि चातुर्मास हेतु इस पूना नगरी में पहुंचे है। धर्म शोभायात्रा के साथ शहर में अभूतपूर्व स्वागत हुआ और वर्षावास 2017 के लिए पूना षहर में आगमन से चारों ओर खुशी की लहर है। 57 वर्ष की आयु मेें सलाहकार दिनेष मुनि अपना 42वां चातुर्मास और डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि 19वां एवं श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र 16वें चातुर्मास के लिए शुक्रवार 30 जून 2017 को शुभवेला में दत्तनगर श्री सुनील कुमार दिलीप कुमार चोरडिया के निवास स्थल से आगम मंदिर तहलटी पर नवनिर्मित आंनद दरबार में प्रवेश किया।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, दत्तनगर, श्री संघ बालाजी नगर, श्री संघ वारजे मालवाड़ी, श्री संघ संतोष नगर, श्री संघ धनकवड़ी, श्री संघ पद्मावती नगर इत्यादि छः श्री संघों के संयुक्त महानगर के महासंघ के तत्वावधान में आयोजित वर्षावास के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में सलाहकार दिनेष मुनि ने कहा कि संत का आगमन जीवन का र्दुव्यसन मिटाता है संत हमेशा संदेश देता है। साधन में नहीं साधना में जीओं, भवनों में नहीं भावना में रहो। दिनेष मुनि ने आगे कहा कि चातुर्मास का लक्ष्य यही है कि अपने जीवन को संयम पथ पर मोड़ें। बुरी आदतें छोड़कर जीवन को संयमित बनाने का लक्ष्य रखें। तप व आराधना करें। वर्ष भर में यदि वर्षावास का समय निकाल दें तो कुछ भी नहीं बचता इसलिए यह चातुर्मास का समय भी जरूरी है। दुनिया में मंगल सिर्फ धर्म है। जो धर्म है वही उत्कृष्ट मंगल है। उसका माध्यम अहिंसा, सत्य और तप है। भगवान महावीर अनेकांतवादी थे। उन्होंने कहा कि अगर संत केे लिए विहार जरूरी है तो वर्षावास भी जरूरी है। त्याग, संयम और वैराग्य का समय चातुर्मास है।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संत की संगत से जीवन की रंगत जमती है। भौतिकता के सारी रंगतों कभी भी समाप्त हो जाते है। लेकिन धर्म का रंगत जीवन का अंग बनकर जीवन संवारता है। महासती रत्नज्योति ने कहा कि जिस घर का सौभाग्य होता है उसी घर की डेरी पर गुरू के चरण पड़ते है। चार माह संतों व सतियों के श्रीमुख से धर्म की गंगा बहेगी उसमें नहा कर अपने जीवन को पवित्र बनाये। डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने कहा कि जीवन में सामायिक का बहुत बड़ा महत्व है। कुछ बातों का यदि हम ध्यान रखें तो कभी समस्या नहीं होगी। धर्मस्थान में धर्म के सिवाय कोई बात नहीं करें। यदि इन्द्रियां शुद्ध रहेगी तो शरीर स्वतः शुद्ध हो जाएगा। नवदीक्षिता साध्वी मोक्षदा श्री ने ‘गुरु पुष्कर चालिसा’ का सामूहिक पाठ करवाया। इस मौके पर सुश्री सुजाता चोरिडया ने 11 उपवास के प्रत्याखान ग्रहण किए तत्पष्चात् उनका बहुमान 11 उपवास करने वाले अतुल छाजेड़ ने किया।
महासंघ संघपति बालासाहेब धोका ने शब्दों द्वारा अतिथियों का स्वागत किया और समाजजनों से अपील की कि यह सुअवसर श्रावक-श्राविकाओं को मिला है। इसका चार माह पूर्ण लाभ ले। गुरू भगवंतों की श्रीमुख से निकलने वाली धर्म गंगा का आत्मसात करे। जैन कान्फ्रेंस के पूर्व उपाध्यक्ष विजयकांत कोठारी ने वर्षावास की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता आमदार भीमराव तापकीर ने की। मुख्य अतिथि पूना शहर पूर्व महापौर दत्ता़त्रय धनकवड़े, महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी के सेकेट्ररी अभय छाजेड़, बाल विकास मंत्रालय पूना शहर अध्यक्ष रानीताई भोसले, नगरसेवक प्रवीण चोरबुले, नगरसेवक युवराज बेलदरे, नगरसेविका स्मिता कोन्डरे, नगरसेवक अष्विन कदम, नगरसेवक बाला साहेब धनकोड़े इत्यादि राजकीय गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे। इसके अलावा जैन कान्फ्रेंस के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अषोक पगारिया, जैन कान्फ्रेंस के पूर्व उपाध्यक्ष विजयकांत कोठारी, जैन कान्फ्रेंस के महाराष्ट्र युवा अध्यक्ष आदेष खिवंसरा, समाजसेवी कचरदास पोरवाल, जुगराज पालरेचा, आर. के लुकंड़, जैन कान्फ्रेंस महिला शाख पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. मधुबाला लोढा इत्यादि पूना शहर के 19 जैन श्रावक संघों के संघपतियों की उपस्थिति रही। समारोह में लुधियाना से विजय कुमार जैन, मुम्बई धारावी श्री संघ के पूर्व मंत्री जवरीलाल चौपड़ा, ट्रस्ट्री नरेष पालरेचा, ट्रस्ट्री सुरेष विनायकिया, हैदराबाद रामकोट श्रीसंघ के अध्यक्ष सुरेष किमती, फिलखाना हैदराबाद के युवाअध्यक्ष भरत भंसाली, सूरत संघ के पूर्व अध्यक्ष बसन्तीलाल भोगर, कोषाध्यक्ष दलपत सिसोदिया, सुरेष गांधी, मुम्बई से पारस चपलोत, अनील धींग, रषेषभाई दोषी, प्रकाष सिंयाल, माधवनगर से राजू बेदमुथा, जयसिंगपुर से राजेन्द्र बरडिया के आलावा देषभर के विविध शहरों से उद्योगपति एवं समाजसेवी उपस्थित हुए। आरंभ में स्वागत गीतिका मंजुषा धोका, कल्पना संचेती, दिपाली चुतर, दिव्या बाफना ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में आदि ने भी मुनिश्री के मंगल प्रवेष पर स्वागत उद्बोधन देते हुए विचार व्यक्त किए। समारोह को सफल बनाने में बालासाहेब धोका, दिलीप संचेती, कांतिलाल बाफना, सुरेष गांधी, संपत बोथरा, पारस छाजेड़ व शातिलाल भटेवरा के साथ साथ आनंद सहयोग गु्रप, आनंद दर्षन बहु मंड़ल इत्यादि ने सहयोग प्रदान किया।
अभूतपूर्व धर्म शोभायात्रा से मंगल प्रवेश
प्रचार संयोजक संजय भण्डारी ने बताया कि 42 वर्षो के उपरान्त श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि के साथ डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने वर्षावास 2017 के लिए शनिवार को प्रातः 8.30 बजे धर्म शोभायात्रा के साथ श्री जैन स्थानक दत्त नगर से प्रस्थान कर विविध मार्गों से होते हुए कात्रज स्थित आनंद दरबार में प्रवेश किया। इस मौके पर चार पीढी परिवार श्री माणचंद दुग्गड़ परिवार एवं नौपतलाल राजेष कुमार साकला परिवार ने मुनित्रय को धर्मस्थानक में प्रवेष की आज्ञा प्रदान की। धर्मशोभायात्रा का संचालन युवा शाखा के सदस्यों ने किया। श्रावक - श्राविकाओं गुरु आगमन पर मंगल गीत गान करते हुए चल रही थी। जैसे-जैसे धर्म शोभयात्रा मार्ग से आगे बढ़ रही थे वैसे-वैसे गुरू भगवंतों का श्रावक-श्राविकाओं सहित अन्य धर्मवलम्बियों के लोगों ने अभूतपूर्व स्वागत किया।
जैनत्व संस्कार दीक्षा 9 जुलाई को
समारोह में श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार 9 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर ‘जैनत्व संस्कार दीक्षा’ का आयोजन किया जाएगा। जिसमें युवापीढी को जैनत्व से परिचित करवाना और संस्कारों का बीजारोपण करेंगे।https://www.facebook.com/pg/Vihar-of-Dinesh-Muni-1592857454299755/photos/?tab=album&album_id=1881450332107131
#श्रीमद_राजचंद्र पर जारी डाक टिकिट का हुआ लोकार्पण
महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु पर हुआ #डाकटिकिट जारी
पूना, 30 जून 2017। भारत सरकार के डाक विभाग की ओर से शुक्रवार (दिनांक: 29 जून 2017) श्रीमद राजचंद्र पर 5 रुपय्ो का स्मारक डाक टिकिट जारी किय्ाा गय्ाा, जिसका लोकार्पण पूना शहर के कात्रज स्थित आनंद दरबाद में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक महासंघ एवं जैनिज्म फिलैटली ब्यूरों के पदाधिकारियों द्वारा श्रमण संघीय्ा सलाहकार दिनेश मुनि के सान्निध्य में किया गया। जिससे जैन समाज में हर्ष की लहर व्याप्त हो गई।
जैनिज्म फिलैटली के सदस्य श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने जानकारी देते हुए बताया कि महात्मा गांधी और श्रीमद राजचंद्र की मुलाकात 1891 में हुई थी और वे उनके शास्त्रों के ज्ञान और गहरी समझ से बहुत प्रभावित हुए थे जिसका जिक्र उनकी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में भी मिलता है। महात्मा गांधी ने लिखा है कि उनके अध्यात्मिक जीवन पर जिन लोगों ने सबसे अधिक असर डाला है उनमें श्रीमद राजचंद्र अग्रणी थे जिन्हें गांधी प्यार से रायचंद भाई कहते थे। अपने अफ्रीका प्रवास के दौरान गांधी सभी अंगरेजी जानने वालों को टॉल्सटॉय की किताबें और गुजराती भाइयों को रायचंद भाई की ‘आत्म सिद्धि’ पढ़ने की सलाह देते थे। श्रीमद राजचंद्र के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अपने पिछले कई जन्मों की बातें याद थीं और उनकी स्मरण शक्ति बहुत तेज थी। पूरी दुनिया उन्हें आत्म-साक्षात्कार का ज्ञान देने वाले संत के रूप में जाने जाते हैं।
यह वर्ष श्रीमद राजचंद्र की 150 वीं जन्म जयन्ती मना रहा है इसी मौके पर डाक विभाग के फिलैटली ब्यूरोें द्वारा उनकी स्मृति में पांच रु. का स्मारक डाक टिकिट जारी किया गया। लोकार्पण के अवसर पर डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, महासंघ संघपति बालासाहेब धोका, जैन कान्फ्रेंस के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अषोक पगारिया, जैन कान्फ्रेंस के पूर्व उपाध्यक्ष विजयकांत कोठारी, जैनिज्म फिलैटली के राष्ट्रीय महासचिव मीठालाल जैन, मुम्बई से पधारे रषेष भाई दोषी व प्रकाष सिंयाल, लुधियाना से विजय जैन हैदराबाद संघपति सुरेष कीमति इत्यादि गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।