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25-02-2018 Belpara, Balangir, Odisha
अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्त
आस्था पब्लिक स्कूल में लाखों श्रद्धालुओं के आस्था के केन्द्र का शुभागमन
-आचार्यश्री ने बुराइयों को छोड़ अच्छाइयों को ग्रहण करने की दी पावन प्रेरणा
25.02.2018 बेलपाड़ा, बलांगीर (ओड़िशा)ः
जन-जन के मानस को अपनी अमृतवाणी की वर्षा से पावन बनाते, लोगों को सन्मार्ग बताते हुए जनकल्याण को निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ रविवार को बलांगीर जिले के गंगासागर से लगभग सोलह किलोमीटर प्रलंब विहार कर बेलपाड़ा में पधारे। लगभग पांच दशकों के बाद अपने आराध्य को अपने घर-आंगन में पाकर उल्लसित श्रद्धालु आह्लादित थे। और उनकी हर्षाभिव्यक्ति का माध्यम बन रहे थे वह बुलंद जयघोष जो पूरे वातावरण को गुंजायमान बना रहे थे।रविवार की प्रातः आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ बलांगीर जिले के गंगासागर से प्रस्थित हुए तो आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में सैंकड़ों-सैंकड़ों उत्साही श्रद्धालु पहले ही पहुंच चुके थे। आचार्यश्री के विद्यालय परिसर से निकलते ही आचार्यश्री साथ मानों एक भव्य जुलूस निकल पड़ा। यह जुलूस अपने आराध्य की मार्ग सेवा करता हुआ चल पड़ा तो ऐसा लगा मानों इन वन क्षेत्रों में एक अलग ही आध्यात्मिक चेतना का विकास हो रहा था। आचार्यश्री के दर्शनार्थ तेरापंथी परिवारों का क्या कहना सभी धर्म और मतों को मानने वाले लोग अभिवंदना में जुटे हुए थे। चाहे वह गांव में रहने वाले ग्रामीण हों, शहर में रहने वाले व्यवसायी हों अथवा अन्य कोई भी सभी जब शांतिदूत के दर्शन कर रहे थे मानों उनके हाथ सहजतया ही जुड़ रहे थे और सिर श्रद्धा से प्रणत हो रहे थे।
फरवरी महीने में गर्मी का अहसास कराते वातावरण में भी आचार्यश्री लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलंब विहार कर बेलपाड़ा स्थित आस्था पब्लिक स्कूल में पधारे। स्कूल परिसर में प्रवेश से पूर्व ही मानों बेलपाड़ावासियों के श्रद्धा का एक सैलाब-सा उमड़ा और अपने आस्था के अनंत सागर आचार्यश्री महाश्रमणजी के श्रीचरणों में विलीन होता चला गया। विद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, ग्रामीणों व तेरापंथी श्रद्धालुओं के साथ सैंकड़ों-सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों ने आचार्यश्री का स्वागत-अभिनन्दन किया। आचार्यश्री आस्था पब्लिक स्कूल परिसर में पधारे।
विद्यालय परिसर में ही बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम साध्वीप्रमुखाजी ने अपना मंगल उद्बोधन प्रदान किया। उसके उपरान्त समणी मलयप्रज्ञाजी ने गीत का संगान किया। उसके उपरान्त आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी मंगलवाणी का रसपान कराते हुए श्रद्धालुओं को हेय, ज्ञेय और उपादेय के माध्यम से ग्रहण करने योग्य और जानने योग्य और त्यागने योग्य बातों को बताया। इसके साथ ही आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को बुराइयों को छोड़ने और अच्छाइयों को ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए और अपने जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीणों, शिक्षकों, विद्यार्थियों व अन्य तमाम श्रद्धालुओं को अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान कर अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार करने आह्वान किया तो उपस्थित समस्त लोगों ने आचार्यश्री के समक्ष अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी स्वीकार की। कार्यक्रम के शुभारम्भ से पूर्व आचार्यश्री ने बेलपाड़ा स्थित तेरापंथी सदस्यों को सम्यक्त्व (गुरुधारणा) दीक्षा प्रदान की। मंगल प्रवचन के उपरान्त बेलपाड़ा सभाध्यक्ष व इस विद्यालय के संस्थापक श्री शंकर प्रसाद जैन, श्री गौतम जैन, तेयुप अध्यक्ष श्री विकास जैन, विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री गोकुलानंद ठाकुर तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती मीना जैन ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। बेलपाड़ा महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। श्रीमती पूनम आदि महिलाओं ने गीत के माध्यम से अपनी प्रणति अर्पित की। विद्यालय के प्राथमिक कक्षा के छात्रों द्वारा भी अभिनंदन गीत का संगान किया। माध्यमिक कक्षा की छात्राओं द्वारा भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति देकर अपने आराध्य की अभिवन्दना की। सुश्री प्रेक्षा डागा ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।