06.03.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 06.03.2018
Updated: 06.03.2018

Update

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*07/03/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2
का प्रवास
*दानमल जी सुराणा के निवास स्थान*
*कृष्णानगर,वेलुर* (तमिलनाडु)
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेश जी देवड़ा के निवास स्थान विडदी* (कर्नाटक)
(Mysore - Bangalore Road)
☎9448385582,9448374523
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Javarilal ji Bumb*
C/o ranjeeth medicals
No: 17 /4 kamraj street
West *tambaram*
*Chennai:45*
☎8107033307,9840214382
9444492965
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गौतमकुमार जी सेठिया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट *तिरुवन्नामलाई*
☎9566296874,9487556076
9940744445
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*विजय जी मरोठी*
503 - वैनुराॅयल अपार्टमेंट बालाशास्त्री ले आउट
*VISAKHAPATNAM*
☎8085400108,7000790899
9849117614
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Ranjeeth ji Bhandari ke Ghar Chandrathil Road Edapally Ernakulam viraj rahe h* (केरल) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*वलाजापेट* (तमिलनाडु)
(बैगलौर = चैनैइ रोड)
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*कांचीपुरम से 11 km का विहार करके चिन्न छ्त्रम् पधारेगे* (तमिलनाडु)
(बैगलोर - चेन्नेइ हाईवे)
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*पोतुर से 13 km का विहार करके तुमलापालम पद्यारेगे*
(विजयवाडा -चेन्नैइ हाईवे)
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*अर्हम् भवन विजयनगर*
Bangalore (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*करगड़ा से विहार करके सिरकाकुलम पधारेगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎8917477918,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 19* का प्रवास
*एयरपोर्ट के पास*
*विशाखापट्नम्*
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Binny Mills Villa No 10 North Town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎8428020772,9444052840
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*Coimbatore Highway*
*Opp Saravana Bhavan*
*Konjikode,Palakkad*
☎8875762662,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*शादी भवन से 10 km का विहार करके उड़ीगाला पधारेगे*
(मैसुर-ऊटी रोड)
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7568917268
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 274* 📝

*मुक्ति-दूत आचार्य मानतुंग*

*साहित्य*

*भयहर स्तोत्र* यह स्तोत्र आचार्य मानतुंग की प्राकृत रचना है। इस स्तोत्र के 21 पद्य हैं। स्तोत्र में तीर्थंकर पार्श्वनाथ की स्तुति है। स्तोत्र रचना के साथ एक विशेष प्रसंग जुड़ा हुआ है। वह इस प्रकार है—

एक बार आचार्य मानतुंग अस्वस्थ हो गए। शलाका पुरूषों को भी कर्मों का दारुण विपाक भोगना पड़ता है। रोगोपशान्ति न होने पर आचार्य मानतुंग ने अनशन की सोची। धरणेन्द्र का स्मरण किया। धरणेन्द्र ने प्रकट होकर 18 अक्षरों का एक मंत्र उन्हें दिया। उन मंत्राक्षरों के आधार पर आचार्य मानतुंग ने भयहर नामक स्तवन की रचना की। वह स्तवन आज भी विद्यमान है। उस मंत्र के प्रभाव से मानतुंगसूरि रोगमुक्त हो गए।

भक्तामर स्तोत्र की तरह यह स्तोत्र भी चामत्कारिक और विपत्ति के समय में धैर्य प्रदान करने वाला है। सायं प्रातः शुभाशय से इस स्तोत्र का पाठ करने पर विविध प्रकार के उपसर्ग दूर होते हैं।

भक्तामर स्तोत्र हो या भयहर स्तोत्र किसी भी आध्यात्मिक स्तोत्र या ग्रंथ का भौतिक उपलब्धि के लिए नहीं, आत्म शुद्धि के लक्ष्य से पाठ करना सर्वोत्तम है।

आचार्य मानतुंग ने भौतिक कामना की सिद्धि के लिए स्तुति काव्यों की रचना नहीं की, परंतु उनकी अगाध आस्था का परिणाम था परमात्म-भक्ति में लीन होकर श्लोक रचना करने से उनकी अयोमयी श्रृंखलाओं के बंधन टूट गए। वे बाह्य बंधन से मुक्त हुए साथ ही जन्म-जन्मांतर की पाशबद्धता को शिथिल और जर्जरित करने में आचार्य मानतुंग सफल हुए।

*आचार्य मानतुंगसूरि के आचार्य काल के समय-संकेत* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 98* 📝

*उम्मेदमलजी बैद*

*प्रमुख परिवार*

उम्मेदमलजी बैद राजलदेसर के आद्य श्रावकों में से थे। पिता सावंतसिंहजी के वे ज्येष्ठ पुत्र थे। कनिष्ठ पुत्र का नाम दानसिंहजी था, जो कालांतर में बंगाल चले गए और मुर्शिदाबाद में बस गए। राजलदेसर का बैद परिवार एक प्रभावशाली परिवार था और उम्मेदमलजी उसके मुखिया थे। उनका जीवन काल सम्वत् 1861 से 1930 तक का कहा जाता है। राज्य की ओर से उन्हें 'मुंहता' बनाया गया था। तात्कालीन पद्धति के अनुसार नगर के प्रमुख एवं प्रभावशाली व्यक्ति को 'मुंहता' बनाया जाता था। वह गांव के झोड़ व झगड़े सलटाता, करों कि उगाही करता, राज्य के अनेक कार्य भी उसी के माध्यम से करवाए जाते थे। उम्मेदमलजी को राज्य की ओर से 6 हजार बीघा भूमि मिली हुई थी। उन्होंने उसे लगान पर दे रखा था। स्वयं ब्याज का कार्य किया करते थे। 50 हजार रुपये नकद उनके पास थे। वस्तुओं के तत्कालीन सस्ते भावों को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह काफी बड़ी पूंजी थी। इतना होने पर भी उस समय के प्रजाजनों में रहन-सहन तथा खान-पान का बहुत बड़ा अंतर नहीं था। प्रायः सभी लोग कच्चे मकानों में रहते, मोटा कपड़ा पहनते और बाजरी, ज्वार, मूंग एवं मोठ आदि वहीं उत्पन्न हुआ अन्न खाया करते थे।

उनके तीन पुत्र थे— लच्छीरामजी, जेसराजजी और मेघराजजी। प्रथम पुत्र लच्छीरामजी राजलदेसर में ही अपने मौसा खड्गसिंह बैद के गोद चले गए। द्वितीय पुत्र जेसराजजी अपने चाचा दानसिंहजी के गोद चले गए और मुर्शिदाबाद में रहने लगे। उम्मेदमलजी का कार्यभार संभालने के लिए कनिष्ठ पुत्र मेघराजजी ही रहे।

*श्रेष्ठ श्रावक*

उम्मेदमलजी एक श्रेष्ठ प्रजाजन होने के साथ ही श्रेष्ठ श्रावक भी थे। थली में संवत् 1887 में तेरापंथी मुनिजनों का व्यवस्थित विहरण प्रारंभ हुआ। उसी समय के आसपास राजलदेसर में प्रथम बार साधुओं का आवागमन हुआ तब ठहरने के लिए उम्मेदमलजी ने ही स्थान प्रदान किया। उनके मकान में दो झोपड़े और एक तिरबारी थी। उन्होंने एक झोपड़ा खाली करके संतो को दे दिया। इस अवसर पर संत समागम का उन्होंने अच्छा लाभ उठाया। उनके पास धर्म के रहस्य को समझ कर वे वहां के प्रथम श्रावक बने। नगर के अन्य व्यक्तियों में धार्मिक जागरण के लिए भी उनका सहयोग बड़ा प्रभावकारी रहा। शीघ्र ही राजलदेसर एक चातुर्मास योग्य श्रेष्ठ क्षेत्र बन गया। प्रथम चातुर्मास उन्हीं के झोपड़े में हुआ।

उम्मेदमलजी अत्यंत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। अस्पष्टता और मायाचार उनके जीवन से बहुत दूर था। धार्मिक रंग में रंग जाने के पश्चात् तो वे और भी अधिक सहजता से रहने लगे। उनका जीवन उत्तरोत्तर अधिकाधिक निवृत्ति परक बनता गया। अंतिम वर्षों में वे प्रतिदिन 7 सामायिक किया करते थे। उस समय में वे कंठस्थ की गई ढालें गाते तथा जप और ध्यान करते थे। समय-समय पर तपस्या भी करते रहते थे।

*सामायिक और सर्प*

एक दिन उम्मेदमलजी लीनतापूर्वक सामायिक तथा ध्यान कर रहे थे। उसी समय एक सर्प आया और उनके शरीर पर चढ़ने और लिपटने का प्रयास करने लगा। उसके लिजलिजे स्पर्श ने अवश्य ही उनके शरीर में एक विचित्र झुरझुरी उत्पन्न की होगी। परंतु वे निर्भीकता पूर्वक अपने आसन पर यथावत् स्थिर रहे। प्रायः पुरे सामायिक काल तक सर्प का वह खेल चलता रहा। जब सामायिक की समाप्ति में चार-पांच मिनट ही शेष रहे तब वह अपने गंतव्य की ओर चुपचाप खिसक गया। उसके आगमन और गमन की दिशा का कोई पता नहीं चल सका।

*लाडनूं में तेरापंथ की स्थापना में प्रथम श्रावक कहे जाने वाले लालचंदजी पाटणी के जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *तेरापंथ नेटवर्क* के सामाजिक फायदे.......

प्रस्तुति: 🔅 *तेरापंथ नेटवर्क* 🔅

संप्रसारक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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*अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण का कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती के निधन पर उनके उत्तराधिकारी को संदेश*

🌀 धार्मिक सद्भावना की अनुपम मिशाल

🌀 शासनश्री साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' बनी संदेशवाहक

💎 प्रसारक 💎
साम्प्रदायिक सौहार्द विभाग
*अणुव्रत महासमिति*

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News in Hindi

https://goo.gl/maps/wvXfAKZ9QK32
👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "बोर्डा" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - तेरापंथ भवन,बोर्डा जिला - बलांगीर (ओड़िशा)

प्रस्तुति - *संघ संवाद*

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👉 बल्लारी- जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 तेजपुर - अणुव्रत स्थापना दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित
👉 वणी (महा) - आध्यात्मिक होली का आयोजन
👉 वेलूर- मुनि वृंद का आध्यात्मिक मिलन
👉 कटक - तेरापंथ युवक परिषद कटक द्वारा होली मिलन समारोह आयोजित

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Bangalore
  2. Mysore
  3. अनशन
  4. आचार्य
  5. आचार्य महाप्रज्ञ
  6. तीर्थंकर
  7. दर्शन
  8. भाव
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