10.03.2018 ►Acharya Mahashraman Ahimsa Yatra

Published: 10.03.2018
Updated: 12.03.2018

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10-03-2018 Titilagarh, Balangir, Odisha

अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति

नकली नहीं, आदर्शवान बनें विद्यार्थी: आचार्यश्री महाश्रमणजी

  • आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए प्रभावती पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी

10.03.2018 टिटिलागढ़, बलांगीर (ओड़िशा)ः

जनमानस को आध्यात्मिक चेतना से पुष्ट बनाने को अपनी धवल सेना व अहिंसा यात्रा संग बलांगीर जिले टिटिलागढ़ में त्रिदिवसीय प्रवास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिाशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में प्रभावती पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी पहुंचे तो आचार्यश्री ने भी उन्हें खुले हाथों से ज्ञान का खजाना ही नहीं लुटाया बल्कि उन्हें अपने जीवन को नकली बनाने से बचने और जीवन को आदर्शवान बनाने की पावन प्रेरणा भी प्रदान की।

टिटिलागढ़ के श्री गोविन्द वाटिका में त्रिदिवसीय प्रवास के दूसरे दिन शनिवार को अध्यात्म समवसरण के पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम मुख्यनियोजिकाजी, साध्वीप्रमुखाजी का उद्बोधन प्राप्त हुआ। इसके उपरान्त बच्चों को जीवन विज्ञान के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि योगेशकुमारजी से भी प्रेरणा प्राप्त हुई।

इसके उपरान्त अध्यात्म समवसरण में पधारे अध्यात्म जगत के पुरोधा महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज उपस्थित विद्यार्थियों को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि ज्ञान और आचार कल्याणकारी होते हैं। पहले ज्ञान उसके बाद आचार। आदमी के पास ज्ञान हो तो उसका आचरण भी सम्यक् हो सकता है। सम्यक् ज्ञानयुक्त आचार परिपूर्णता की बात होती है। अज्ञानी को सही और गलत का तो फर्क भी नहीं सकता। जिस प्रकार सूर्य के अभाव में अंधकार होता है, उसी प्रकार ज्ञान के अभाव में जीवन में अंधकार हो जाता है। जहां ज्ञान का प्रकाश होता है, वहां अज्ञानता रूपी अंधकार नहीं आ सकता।

विद्यार्थियों को ज्ञान में विकास करने का प्रयास करना चाहिए। विद्यार्थी में पुरुषार्थ, पराक्रम और प्रयत्न होना चाहिए। विद्यार्थी को ईमानदार भी बनने का प्रयास करना चाहिए। नकल करने से विद्यार्थी नकली हो सकता है और उसका जीवन का आधार भी नकली हो सकता है। इसलिए विद्यार्थी को नकली जीवन नहीं, बल्कि अपने जीवन को आदर्शवान बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए विद्यार्थी को ईमानदार बनने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करे और अपने आचारण को सुन्दर बनाए तो विद्यार्थी का जीवन आदर्श बन सकता है। भारत के पास ज्ञान औ संत की संपदा है। इसके द्वारा भी विद्यार्थियों को अच्छा लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। विद्यार्थियों को भूगोल-खगोल, गणित, अंग्रेजी आदि विषयों के साथ ही आध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान की जाए तो विद्यार्थी अपने जीवन को अच्छा बना सकता है।

विद्यार्थियों को पावन प्रेरणा प्रदान करने के उपरान्त विद्यार्थियों को आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार करने का अह्वान किया तो उपस्थित सैंकड़ों विद्यार्थियों ने सहर्ष संकल्प स्वीकार किए। इसके उपरान्त टिटिलागढ़ महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती कृष्णा जैन व तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री सरोज जैन तथा अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री जयप्रकाश अग्रवाल ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।

ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से अपने आराध्य के श्रीचरणों की अभ्यर्थना की।

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