Update
👉 राजसमन्द: अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री अशोक जी संचेती की "संगठन यात्रा"
👉 राजगढ - अणुव्रत आचार संहिता पर विशेष कार्यक्रम आयोजित
👉 हिसार - आध्यात्मिक मंगल मिलन
👉 बेहाला (कोलकाता) -
🔹पश्चिम बंगाल प्रभारी की संगठन यात्रा
🔹प्रेरणा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*15/03/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2
का प्रवास
*नवरत्न जी बाठिया के निवास स्थान*
*Polur* (तमिलनाडु)
वेलुर- तिरुवन्नामलाई रोड
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेश जी देवड़ा के निवास स्थान विडदी* (कर्नाटक)
(Mysore - Bangalore 'द्वितिय2,9448374522
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Javarilal ji Bumb*
C/o ranjeeth medicals
No: 17 /4 kamraj street
West *tambaram*
*Chennai:45*
☎8107033307,9840214382
9444492965
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गौतमकुमार जी सेठिया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट *तिरुवन्नामलाई*
☎9566296874,9487556076
9940744445
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*पुलिस चौकी के सामने कल्याण मंडप नक्कापाली गांव पधारेंगे*
(विशाखापट्टनम -चेन्नई रोड)
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Diana Tower Vadakanchery se MP House Palakkad Padharenge*
(अर्नाकुलम- कोयम्बतुर रोड) ☎9672039432,9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जवरी लाल जी बम्ब के निवास स्थान पर*
*ताम्बरम्* चेन्नैइ-45
☎7821050720,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*ताम्बरम् से विहार करके तेरापंथ भवन पल्लावरम चेन्नैई पधारेगे* (तमिलनाडु)
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*12 km का विहार करके साई बाबा कोलेज ऑगुल के बाहर पद्यारेगे*
(विजयवाडा -चेन्नैइ हाईवे)
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*पेट्रोल पम्प के पास कल्याण मडपम् मेन रोड पर पघारेगे*
(11 km का विहार)
विजयनगरम- विशाखापट्नम् रोड
☎8917477918,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 10* का प्रवास
*श्री बाबा रामदेव मंदिर(तुनी) से 14 कि.मी.विहार कर अन्नावरम कल्याण मंडप मे पधारेंगे*
(विशाखापटनम -चेन्नैइ रोड)
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ठाणा 5* का प्रवास
*लक्ष्मीपत जी कोठारी*
Kothari nivas Lalithanagar Nager
*Visakhapatnam*
☎:9014491997,8290317048
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Ashta Mangal villa*
27 Lettangs Road, Purasavakam, Chennai-7 (तमिलनाडु)
☎8428020772,984017646
9884244004
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
विनोद जी लुणिया के निवास स्थान से प्रातः 07:00 बजे विहार करके
*निर्मल जी रांका*
Moti Magalam,67/68 Hindustan Anvenve,Nava India Road Near life Spring N Hindustan College *Coimbatore*-28 पधारेंगे
☎9629840537,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*मिशनगुडी से 9 km का विहार करके जैन रिसोर्ट पधारेगे*
(मैसुर-ऊटी रोड)
☎9601420513,8489484381
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7798028703
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Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 280* 📝
*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
आचार्य भट्ट अकलंक द्वारा किए गए उस महत्त्वपूर्ण शास्त्रार्थ का उल्लेख श्रवणबेलगोला की प्रशस्ति में प्राप्त हुआ है। वह इस प्रकार है —
*चूर्णि:— यस्येदमात्मनोऽनन्यसामान्य*
*निरवद्यविभवोपवर्णनमाकर्ण्यते*
*राजन्साहसतुङ्ग! सन्ति बहवः श्वेतातपत्राः नृपाः।*
*किन्तु त्वत्सदृशा रणे विजयिनस्त्यागोन्नता दुर्लभाः।*
*तद्वत् सन्ति बुधा न सन्ति कवयो वादीश्वरा वाग्मिनो नानाशास्त्रविचारचातुरधियः काले कलौ मद्वचाः।।*
*राजन् सर्वारिदर्पप्रविदलनपटुस्त्वं यथात्र प्रसिद्ध-स्तद्वत्ख्यातोऽहमस्यां भुवि*
*निखिलमदोत्पाटने पण्डितानाम्।*
*नो चेदेषोऽहमेते तव सदसि*
*सदा सन्ति सन्तो महान्तो*
*वक्तुं यस्यास्ति शक्तिः स वदतु*
*विदिताशेषशास्त्रो यदि स्यात्।।*
*नाहङ्कारवशीकृतेन मनसा न द्वेषिणा केवलं*
*नैरात्म्यं प्रतिपद्य नश्यति जने कारुण्यबुद्ध्यमया।*
*राज्ञः श्रीहिमशीतलस्य सदसि प्रायो विदग्धात्मनो बौद्धोद्यान् सकलान् विजित्य सुगतः पादेन विस्फोटितः।।*
राजन् साहसतुङ्ग! श्वेत आतपत्र के धारक नृप अनेक हैं, पर आपके तुल्य समर विजयी और त्याग परायण (दानी) राजा दुर्लभ हैं। इसी प्रकार पंडित बहुत हैं, परंतु मेरे समान नाना प्रकार के शास्त्रों में दक्ष कवि, वाद कुशल एवं वाग्मी इस काल में नहीं हैं।
राजन्! रिपुओं के दर्प दलन में जैसे आपकी पटुता प्रसिद्ध है वैसे ही अखिल धरा पर पंडितों के मद को चूर्ण करने में मैं प्रख्यात हूं। आपकी सभा में अनेक विद्वान् हैं, उनमें से कोई भी शक्ति संपन्न और शास्त्र का पारगामी विद्वान् मेरे साथ शास्त्रार्थ करे।
राजा हिमशीतल की सभा में तारादेवी के घट का स्फोटन कर विद्वान् बौद्धों पर विजय पाई। यह मैंने अहंकार या द्वेष की भावना से नहीं किया, किंतु अनात्मवाद के प्रचार से लोगों का अहित देख करुणा बुद्धि से प्रेरित होकर मैंने ऐसा किया है।
इस मल्लिषेण प्रशस्ति में राजा हिमशीतल की राजसभा में अकलंक की शास्त्रार्थ विजय और तारादेवी के घट-स्फोटन संबंधी प्रकरण एवं राजा साहसतुङ्ग की सभा में अकलंक के द्वारा की गई आत्मश्लाघा का प्रसंग ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
आचार्य समंतभद्र ने भी प्रतिपक्ष को ललकारते हुए ऐसा ही कहा था।
*"राजन्! यस्यास्ति शक्तिः स वदतु पुरतो जैननिर्ग्रंथवादी।"*
घट में स्थापित तारादेवी के कारण दुर्जेय बने बौद्धों को पराजित करने में अकलंक को भी जैन समाज की उपासिका चक्रेश्वरी देवी की सहायता मिली थी। आचार्य अकलंक की शास्त्रार्थ विजय में चक्रेश्वरी देवी का सहयोग होने पर भी मुख्य निमित्त उनकी वाक् कुशल प्रतिभा थी।
*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क के जीवन प्रसंगों के कुछ विशेष समालोच्य बिन्दुओं* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 104* 📝
*किशोरीलालजी धूपिया*
*भावना का गुण*
किशोरीलालजी का जन्म उदयपुर निवासी भूरजी धूपिया के घर संवत् 1870 के लगभग हुआ। वे अत्यंत दृढ़धर्मी श्रावक थे। संत समागम में उनकी बड़ी तीव्र रुचि रहा करती थी। साधु-साध्वियों की सेवा का संयोग मिलने पर शेष सब कार्यों को वे गौण कर देते थे। सामायिक, जप और स्वाध्याय आदि दैनिक चर्या के अभिन्न अंग थे। उनमें भावना का विशेष गुण था। नगर में विराजमान साधु-साध्वियों का आहार होने के पश्चात् ही वे भोजन किया करते थे। वर्षा आदि कारणों से यदि कभी साधु-साध्वियों को गोचरी करने का अवसर नहीं मिलता तो वे भी प्रतीक्षारत खड़े ही रहते। अनेक बार उन्हें भूखे ही कार्य पर चले जाना पड़ता। उनकी दान और भक्ति भावना की प्रवृत्ति से अनेक लोग प्रभावित थे तो अनेक उस विषय पर उपहास करने वाले भी थे। धूपियाजी उन दोनों ही प्रकार के व्यक्तियों से अप्रभावित अपनी पद्धति से अपना कार्य करते रहते थे।
*प्रधानमंत्री से झड़प*
महाराणा शंभूसिंह (राज्यकाल सम्वत् 1918 से 1931) के समय में किशोरीलालजी भंडार की देख-रेख किया करते थे। भंडार की चाभियां उन्हीं के पास रहती थीं। उस समय मेवाड़ के प्रधानमंत्री केशरीसिंह कोठारी थे। वे कट्टर स्थानकवासी थे, तो धूपियाजी कट्टर तेरापंथी। कोठारीजी किसी भी तेरापंथी को आगे बढ़ने देना नहीं चाहते थे। एक बार किसी ने कोठारीजी के पास धूपियाजी की शिकायत कर दी कि वे अनेक बार कार्य पर विलंब से पहुंचते हैं। कोठारीजी को इतना सा सहारा मिल जाना काफी था। उन्होंने कई व्यक्तियों के सम्मुख उन्हें झिड़क कर अपमानित किया। धूपियाजी को उनका यह व्यवहार बहुत बुरा लगा। उसी दिन से दोनों में परस्पर तनातनी चलने लगी।
एक दिन धूपियाजी महाराणा को नमस्कार करने के लिए गए, तब प्रधानमंत्री केशरीसिंहजी भी वहीं थे। महाराणा की दृष्टि से उनको गिराने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा— "धूपियाजी तो आजकल साधुओं के चक्कर में रहते हैं। सरकारी कार्य तो इनके लिए गौण है।" प्रधानमंत्री के इस व्यवहार से धूपियाजी तमतमा उठे। महाराणा के सम्मुख तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, परंतु बाद में आवेशयुक्त कह दिया— "आज के पश्चात् आपको नमस्कार करना और औरतों को नमस्कार समान है।" उस समय तो उन्होंने उक्त बात कह दी, परंतु बाद में सोचने लगे कि प्रधानमंत्री से टक्कर ले पाना उनके लिए कठिन है। वे जानते थे कि अवसर मिलते ही प्रधानमंत्री बदला लेने में नहीं चूकेंगे। उन्होंने तब नौकरी छोड़कर उदयपुर से अन्यत्र चला जाना ही उचित समझा। वे दूसरे ही दिन गए और भंडार की चाभियों का गुच्छा प्रधानमंत्री के सामने फेंक कर वापस चले आए। उदयपुर को छोड़कर वे थली में जयाचार्य की सेवा में चले गए।
*श्रावक किशोरीलालजी धूपिया के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में आगे और जानेंगे व प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 281* 📝
*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क*
*जीवन-वृत्त*
*विशेष समालोच्य बिंदु*
आचार्य अकलंक का जीवन प्रसंग न उनके ग्रंथों में प्राप्त है और न अन्य निकटवर्ती ग्रंथों में है।
प्रभाचंद्राचार्य के गद्य कथाकोष में, नेमिदत्त कृत आराधना कथाकोष में तथा 'राजवलिकथे' में जो अकलंक कथा मिलती है उसके भी समालोच्य बिंदु विद्वानों की दृष्टि में इस प्रकार हैं—
अकलंक का संबंध काञ्ची से अनुमानित होता है। मान्यखेट नगरी की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठा अमोघवर्ष के शासनकाल में हुई थी। इससे पहले के इतिहास में मान्यखेट नगरी का कोई उल्लेख नहीं मिलता। अमोघवर्ष का समय आचार्य अकलंक से उत्तरवर्ती है। आचार्य जिनसेन के समय में नरेश अमोघवर्ष विद्यमान थे।
आचार्य अकलंक के माता-पिता से संबंधित उल्लेख भी विवादास्पद है। आधुनिक शोध विद्वानों के अभिमतानुसार भट्ट अकलंक न पुरुषोत्तम के पुत्र थे, न जिनदास ब्राह्मण के पुत्र थे। तत्त्वार्थवार्तिक में अकलंक के पिता का नाम लघुहव्व बताया है। लघुहव्व जैसे नाम दक्षिण भारत में प्रयुक्त होते रहे हैं। अतः दक्षिण भारत के विद्वान् अकलंक के पिता का नाम लघुहव्व यथार्थ के निकट है।
न्याय कुमुदचंद्र की प्रस्तावना में निष्कलंक को ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं माना है। शिलालेखों में अकलंक के साथ निष्कलंक का कहीं उल्लेख नहीं है और न भट्ट अकलंक ने अपने प्राण त्यागने वाले भ्राता निष्कलंक की कहीं चर्चा की है। अतः निष्कलंक की ऐतिहासिकता अकलंक की भांति स्पष्ट नहीं है।
*कोविद-कुलालङ्कार आचार्य भट्ट अकलङ्क द्वारा रचित साहित्य* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 105* 📝
*किशोरीलालजी धूपिया*
*वैद्यराज*
धूपियाजी अनेक कार्यों में निपुण थे। राजकीय सेवा में रहते समय उन्होंने मंत्र विद्या का अच्छा अभ्यास किया था। उस विद्या के बल पर उन्होंने कई बार अपने कार्य भी निकाले थे। आयुर्वेदिक औषधियों की भी उन्हें अच्छी जानकारी थी। राज-सेवा छोड़कर जब वे जयाचार्य की सेवा में रहने के लिए थली में गए तब से वैद्यक को ही उन्होंने अपनी आजीविका का साधन बना लिया। जयाचार्य जहां भी पधारते वहीं वे साथ में रहकर सेवा भी करते और जनता को औषध भी देते। अनेक लोगों को उनकी औषधि से लाभ हुआ तो वे सब उन्हें आदर से वैद्यराज कह कर पुकारने लगे। फिर यही विशेषण उनके नाम के साथ प्रचलित हो गया।
*जयपुर में*
जयाचार्य ने सम्वत् 1938 में अपना चातुर्मास जयपुर में किया। उस समय धूपियाजी भी वहां सेवा में ही थे। चित्तौड़ निवासी ताराचंदजी ढीलीवाल भी सेवा करने के लिए वहां आए हुए थे। दोनों परम मित्र थे और वहां एक ही मकान में ठहरे हुए थे। भाद्र कृष्णा 12 को जयाचार्य दिवंगत हो गए तब उनकी बैकुंठी और शवयात्रा के सांगोपांग विवरण का एक परिपत्र ढीलीवालजी की ओर से लिथो पद्धति से छपवाकर प्रसारित किया गया। उसके लेखक संभवतः धूपियाजी ही थे। क्योंकि परिपत्र की समाप्ति पर उन्हीं के हस्ताक्षर हैं। ढीलीवालजी तथा धूपियाजी ने इस अवसर पर उक्त परिपत्र से कुछ विस्तृत किंतु उस विवरण का दूसरा हस्तलिखित पत्र उदयपुर भेजा। उसे वहां के श्रावक लक्ष्मीलालजी साहबलालजी खिमेसरा तथा धनराजजी चनणमलजी तलेसरा ने राजाज्ञा प्राप्त कर वहां के राज-यंत्रालय में छपवाकर स्थान-स्थान पर भेजा था।
भाद्र शुक्ला 3 को मघवागणी के पदासीन होने का उत्सव मनाया गया। उसकी संपन्नता पर स्वयं आचार्यश्री अनेक घरों में गोचरी के लिए पधारे। सर्वप्रथम वे उसी मकान में पधारे जहां धूपियाजी तथा ढीलीवालजी हवेली के अग्रिम भाग में ठहरे हुए थे। सर्वप्रथम उसका व्रत निपजाया और पूछा— "तुम्हारे मित्र वैद्यराजजी दिखाई नहीं दे रहे हैं।" मघवागणी तब अंदर पधारे और उनका भी व्रत निपजाया। नवीन आचार्य को दान देने का प्रथम अवसर पाकर दोनों ही व्यक्ति कृतकृत्य हो गए।
सम्वत् 1938 की समाप्ति के लगभग चैत्र मास में मगवागणी ने जयपुर से थली की ओर विहार कर दिया। संभवतः वहीं से धूपियाजी वापस उदयपुर चले गए। अनेक वर्षों तक प्रवासी बनकर लगातार गुरु की सेवा में रहने वाले शायद वे प्रथम व्यक्ति थे। वृद्धावस्था में निर्बलता के बढ़ते हुए दबाव को देखकर ही शायद उन्होंने घर जाने का निर्णय किया था। उनके दो पुत्र थे। श्रीलालजी और गणेशलालजी। अपने परिवार के साथ वे अधिक समय तक नहीं रह पाए। संवत् 1939 में उनका देहावसान हो गया।
*जयाचार्य के शासनकाल में श्रावकों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले श्रावक मोखजी खमेसरा के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
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*तेरापंथ महिला मण्डल, सूरत के स्वर्ण जयंती समारोह पर विभिन्न कार्यक्रम*
🔷 *अभातेमम अध्यक्ष कुमुद कच्छारा व पदाधिकारियों की उपस्थिति*
👉 सिविल हॉस्पिटल में कैंसर मशीन का अनुदान
👉 फिजियोथेरिपी सेंटर का जैन संस्कार विधि से उद्घाटन
👉 उन्नयन कार्यशाला व कवि सम्मेलन का आयोजन
👉 दक्षिण हावड़ा - तेरापंथ महिला मंडल द्वारा श्रीउत्सव मेला का आयोजन
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "कश्रुपाड़ा" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - जनता हाइस्कूल, बेलगांव जिला - कालाहांडी (ओड़िशा)
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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