27.03.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 27.03.2018
Updated: 27.03.2018

Update

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*28/03/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट भवन*
*ट्रिप्लीकेन* चैनैई
☎9884200325
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*गोतम कुमार जी सेठीया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट
*तिरुवन्नामलाई*
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेश जी देवड़ा के निवास स्थान*
*बिड़दी* (कर्नाटक)
(Mysore - Bangalore Road)
☎ 9448374522
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 5* का प्रवास
*Javarilal ji Bumb*
C/o ranjeeth medicals
No: 17 /4 kamraj street
West *tambaram* Chenni
☎8107033307,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गौतमकुमार जी सेठिया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट *तिरुवन्नामलाई*
☎9566296874,9487556076
9940744445
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*गोरीपटनम से13.5 km का विहार करके येर्रावरम पधारेगें*
(विशाखापट्टनम -चेन्नई रोड)
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*संपत देवी लूणिया,*
*"Lunia Kunj"*
*212-A,N.S.R. Road,*
*Near Reliance Fresh,Sai Baba Colony,*
*Coimbatore-641011.* ☎9672039432,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*Astha Mangal Villa*
27 Lettangs Road Purasavakam (चेन्नैइ)
☎8890788494,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*कागतुर से 8 km का विहार करके वेग्नाश्वरा पधारेगे*
(विजयवाडा -चेन्नैइ हाईवे)
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*हेमराज जी सुराणा के निवास स्थान पर*
*VISAKHAPATNAM*
☎7728077649,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 10* का प्रवास
*देन्दलुर से 14 कि. मी का विहार करके सत्यनारायणा योगा आश्रम ऐलुर पधारेंगे*
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ठाणा 5* का प्रवास
*लक्ष्मीपत जी कोठारी*
Kothari nivas Lalithanagar Nager
*Visakhapatnam*
☎:9014491997,8290317048
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Astha Mangal Villa*
27, Lettangs Road Purasavakam, Chennai-7
☎8428020772,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*SRI JAIN SWETAMBER TERAPANTI SABHA*
NO 150/1,BHAGWAN MAHAVEER ROAD
SHANKAR NAGAR
*SALEM* 636007
☎8875762662,9443348582
0427-4020322
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*विजय राज जी बरडिया के निवास स्थान पर*
Yash Vijay
Brook land *COONOOR*
☎9442251218
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*सुरेश जी भुतेडिया के निवास स्थान पर*
UD Hotel ke Samne
3RD Block Jaynager
Bangalore* (कर्नाटक)
☎7798028703,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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♦ *4) आचार्यश्री महाश्रमण के जीवन प्रसंग*

परमाराध्य आचार्यप्रवर एक दिन श्रद्धालुओं को उपासना करवा रहे थे। इसी क्रम में एक युवक से आचार्यवर ने पूछा--‘संवत्सरी का उपवास करते हो?

युवक- नहीं, मैं संवत्सरी का उपवास नहीं करता।

आचार्यप्रवर- क्यों नहीं करते?

युवक- मुझे आॅफिस जाना पड़ता है। उस दिन छुट्टी नहीं मिलती।

आचार्यप्रवर- संवत्सरी वर्ष में एक बार ही आती है। एक दिन छुट्टी नहीं कर सकते क्या?

युवक- यह पोसिबल नहीं है।

आचार्यप्रवर- यदि कभी तुम्हारी बहन की शादी होगी तो?

युवक- तब तो मैं जरूर छुट्टी लूंगा।

आचार्यप्रवर- यही मान लो, संवत्सरी तुम्हारी बहन है। उसके लिए एक दिन छुट्टी भी हो जाए तो क्या खास बात है।

आचार्यवर की युक्तियुक्त बात तुरन्त युवक के गले उतर गई। उसने संवत्सरी के उपवास का संकल्प स्वीकार करते हुए पूज्यचरणों में कृतज्ञता अर्पित की।

🌸 *अभिवन्दना के सुनहरे अवसर* 🌸

*आचार्यश्री महाश्रमण 57वां जन्मदिवस*
24 अप्रेल 2018

*आचार्यश्री महाश्रमण 9वां पदाभिषेक दिवस*
25 अप्रेल 2018

*आचार्यश्री महाश्रमण 45वां दीक्षा दिवस*
29 अप्रेल 2018

*वन्दन* 🙏🏼 *अभिवन्दन* 🙏🏼 *अभिनन्दन*

News in Hindi

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 292* 📝

*अमेय मेधा के धनी आचार्य हरिभद्र*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

याकिनी द्वारा दिए गए स्पष्ट और सारगर्भित उत्तर को सुनकर विद्वान् हरिभद्र प्रभावित हुए। वे झुके और बोले "*प्रसादं कृत्वा अस्य अर्थं कथयतु"* "साध्वीश्रीजी! कृपा कर मुझे इसका अर्थ समझाएं।"

अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार शिष्यत्व स्वीकार करने की बात उन्होंने साध्वी याकिनी के सामने विनम्र शब्दों में प्रस्तुत की।

प्रभावक चरित्र के अनुसार साध्वी याकिनी महत्तराजी ने जिनभट्टसूरि के पास अर्थ समझने का निर्देश दिया। विद्वान् हरिभद्र की जिज्ञासा तीव्रतर होती जा रही थी। प्रातःकाल होते ही हरिभद्र जिन भट्ट सूरि के पास पहुंचे। इससे पहले वे उस मंदिर में गए जहां घुसकर सामने से आते हुए मदोन्मत्त हाथी से प्राण बचाए थे। 'वपुरेव तवाचष्टे स्पष्टं मिष्ठान्नभोजनम्' कहकर जिन प्रतिमा का उपहास किया था। आज उस कृत्य की स्मृति मात्र से उनका मन तप्त हो रहा था। निर्मल भाव से इस बार प्रस्फुटित होने वाला कविता का रूप सर्वथा भिन्न था। मधुर शब्दों में हरिभद्र गुनगुनाए—

*वपुरेव तवाचष्टे भगवन्! वीतरागताम्।*
*न हि कोटरसंस्थेऽग्नौ तरुर्भवति शाद्वलः।।29।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 63)*

भगवन्! यह भव्य आकृति वीतरागता को प्रकट कर रही है। वह तरु कभी हरा नहीं हो सकता जिसके कोटर में अग्नि जल रही हो।

गुरु चरणों के निकट पहुंचते ही विद्वान् हरिभद्र को सात्विक प्रसन्नता हुई। उन्होंने झुककर नमन किया और अपनी जिज्ञासा उनके सामने रखी। आचार्य जिनभट्ट ने कहा "पूर्वापर संदर्भ सहित सिद्धांतों को समझने के लिए मुनि जीवन आवश्यक है।" विद्वान् हरिभद्र में श्लोकार्थ को जानने की तीव्र जिज्ञासा थी। वे मुनि बनने को तैयार हो गए। जिनभट्ट ने हरिभद्र को मुनि दीक्षा प्रदान की। श्लोक का अर्थ समझाया।

कथावली प्रसंग के अनुसार श्लोक का अर्थ पूछने पर महत्तराजी उनको अपने गुरु जिनदत्तसूरि के पास ले गईं और अपने गुरु के सामने पूर्व घटना रखी। जिनदत्तसूरि ने सविस्तार श्लोक का अर्थ बोध दिया। विद्वान् हरिभद्र, जिनदत्तसूरि से ज्ञान प्राप्त कर परम तुष्ट हुए। उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा की बात गुरु के सामने रखी। जिनदत्तसूरि ने विद्वान् हरिभद्र से कहा "तुम अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार महत्तराजी के धर्मपुत्र बन जाओ।"

राजपुरोहित ने पूछा "धर्म क्या होता है?"
जिनदत्तसूरि ने धर्म का स्वरूप समझाया।
हरिभद्र जिज्ञासु थे। उन्होंने नम्र होकर पूछा "धर्म का क्या फल होता है?"
जिनदत्तसूरि ज्ञान के भंडार थे। उन्होंने कहा "पंडितवर्य! सकाम वृत्ति वालों के लिए धर्म का फल स्वर्गादि की प्राप्ति है। निष्काम वृत्ति वालों के लिए भव-विरह (संसार संतति का विच्छेद) है।"
हरिभद्र बोले "मुझे भव-विरह प्रिय है।"
दया के सागर जिनदत्तसूरि बोले "भद्र! भव-विरह की स्थिति तक पहुंचने के लिए सर्वपाप निवारक मुनि वृत्ति को ग्रहण करो।" आचार्य जिनदत्तसूरि के दर्शन से विद्वान् हरिभद्र में सांसारिक वासना का संस्कार क्षीण हो गया। भव-विरह की बात उनके मानस को बेध गई। वे मुनि दीक्षा लेने के लिए तैयार हुए। ब्राह्मण समाज को बुलाकर उनके सामने उन्होंने जैन मुनि बनने की भावना प्रकट की। अपने संप्रदाय के प्रति दृढ़ आस्थाशील ब्राह्मणों द्वारा राजपुरोहित हरिभद्र के इन विचारों का विरोध होना स्वाभाविक था। किसी ने भी उनका समर्थन नहीं किया।

*क्या अमेय मेधा के धनी आचार्य हरिभद्र ब्राह्मण समाज को समझाने में सफल हुए...? या उनके विरोध के बावजूद भी उन्होंने मुनि दीक्षा स्वीकार की...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 116* 📝

*माईदासजी गाधिया*

*दूर देश में*

माईदासजी वहां से चले तो फिर चलते ही गए। उस युग में न तो आज के समान वेगवान् वाहन थे और न सड़कें ही। कहीं कच्चे धूल भरे और कहीं पथरीले मार्गो से पैदल यात्रा ही संभव थी। उस समय के प्रचलित वाहन घोड़ागाड़ी या बैलगाड़ी आदि भी लंबे मार्गों पर नहीं चला करते थे। मूल बात यह थी कि वाहनों की व्यवस्था करने योग्य यदि माईदासजी के पास धन होता तो न भाइयों से कलह होता और न उन्हें घर छोड़ने की आवश्यकता पड़ती।

मारवाड़ से पैदल चलते हुए अहमदाबाद पहुंचे। वहां से आगे रेल मार्ग द्वारा पूना पहुंचे। उस समय अहमदाबाद से पूना तक ही रेल चला करती थी। अतः आगे जाने के लिए उन्हें फिर पैदल यात्रा करनी पड़ी। आखिर दक्षिण भारत के मैसूर राज्य (कर्नाटक) में जाकर उन्होंने कुछ कार्य करने का निश्चय किया। उस राज्य को उन्होंने अपनी भावना के अनुकूल पाया। वहां पर उनकी जान पहचान का तो कोई था ही नहीं, परंतु उनके प्रदेश का भी कोई नहीं था जो कि उनके परिवार वालों को उनके वहां होने की सूचना दे सके। वे वहां मन आए वह वैसा कार्य मना आए जितने दिनों तक करते रहने के लिए पूर्ण स्वतंत्र थे। न कोई टोकने वाला था और न कोई परामर्श देने वाला।

यद्यपि वहां कार्य कर पाना कोई खेल नहीं था। पग-पग पर कठिनाइयां थी। लोग, भाषा, रीति-नीति, वेशभूषा और वातावरण आदि सभी कुछ उनके लिए अपरिचित था। फिर भी कार्यार्थी व्यक्ति इन सबकी परवाह कब करता है? सभी प्रतिकूलताओं को वह अपने परिश्रम से अनुकूलता में ढाल लेता है। माईदासजी ने भी वहां यही किया। कुछ दिनों तक तो उन्हें कार्य की खोज में इतस्ततः भ्रमण करना पड़ा, परंतु अंत में 'सिमोघा' में जाकर उन्हें कार्य मिल गया। वहां वे एक गुजराती व्यापारी की दुकान पर नौकरी करने लगे। परिश्रमी तो वे थे ही साथ ही उच्चकोटि के ईमानदार भी थे। कुछ ही दिनों में उन्होंने अपने स्वामी के मन पर अपनी योग्यता की छाप लगा दी। गुजराती व्यापारी उनके कार्य और व्यापार से पूर्ण संतुष्ट था। उन्होंने भी अपने प्रति स्वामी के व्यवहार को सदा कोमल ही पाया। कोमल होना ही था, क्योंकि वै अन्य नौकरों की अपेक्षा दुगुना कार्य किया करते थे। परिश्रम ही वहां उनका संबल था। अपने परिश्रम में उन्होंने घर और परिवार को एक बार के लिए भुला-सा दिया था। वे स्वयं अपने को भी उसी में भुला देना चाहते थे।

*क्या नौकरी मिल जाने के बाद माईदासजी का घर छोड़ने का लक्ष्य पूरा हो गया था... या अभी जीवन में और भी कुछ करना बाकी था...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 दिल्ली- *अणुव्रत समिति द्वारा राष्ट्रीय अणुव्रत कवि सम्मेलन* का आयोजन
👉 पुणे - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर
👉 सचिन, सूरत- निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर

प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 पर्वत पटिया, सूरत - महिला मंडल होली स्नेह मिलन समारोह
👉 राजाजीनगर, (बेंगलुरु) जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्म दिवस का आयोजन
👉 पुर्वांचल (कोलकाता) - निर्माण’ एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम
👉 कोयम्बत्तूर - 259 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस समारोह
👉 साहूकारपेट, चेन्नई: *"259 वां आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस"* एवं मुनि वृन्द के चेन्नई पदार्पण पर "स्वागत-अभिनंदन समारोह" आयोजित
👉 दक्षिण हावड़ा - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम
👉 चेन्नई: पल्लावरम -
🔹259 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस समारोह
🔸 विषमता से समता की ओर जाने का नाम है सामायिक
🔹 संस्कार निर्माण कार्यशाला आयोजित
🔸 भक्तामर अनुष्ठान का आयोजन
👉 टी.नगर, चेन्नई: साध्वी वृन्द का *"आध्यात्मिक मिलन"* समारोह
👉 राजमेंहन्द्रेवरम - कन्या मंडल ने सेल्फ डिफेंस वर्कशॉप कार्यशाला का आयोजन
👉 बारडोली - मैं हूँ सामायिक साधक कार्यशाला

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "भातपुर" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - यू.जी. हाइस्कूल, भातपुर जिला - रायगढ़ा (ओड़िशा)

प्रस्तुति - *संघ संवाद*

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Bangalore
  2. Mahaveer
  3. Mysore
  4. आचार्य
  5. आचार्य भिक्षु
  6. आचार्य महाप्रज्ञ
  7. ज्ञान
  8. दर्शन
  9. भाव
  10. सागर
  11. स्मृति
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