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*26/04/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*साहूकारपेट, चेन्नई*
☎8910991981,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*नवरत्न जी बाठिया के निवास स्थान पर*
*पोलुर*
☎9602007283,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गैरीलालजी मांडोत*
114 / 7th Main Road 4th block Jaynager
☎9964247709,9448542321
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*ललित जी पिपाडा के निवास स्थान पर*
, *kanchipuram*
☎9943295432
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*गुड़ियातम से 6 किलोमीटर का विहार करके अभीरामी वुमेन कॉलेज चंद्रनायपल्ली पधारेंगे*
(गुडियातम- वेलुर रोड)
☎9566296874,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*श्री सुरेंद्र जी बैद*
*"Prem kunj"*
*5-B,Aks Nagar,*
*Pooniarajpuram,*
*Coimbatore-01.*
☎9629588016,9363103324
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५* का प्रवास
*सुबोध जी चोपड़ा के निवास स्थान पर*
Subodh Chopra,F-133, 7th Street, Flat C-2, 2nd Floor,Anna Nagar East chennai -102
☎8890788494,9380069979
9710586747
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*Villa No 10*
*Binnay mill, Chennai*
☎9290516171,7044937375
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५ का प्रवास*
*किरण जी मेहता के निवास स्थान पर*
*मल्लेश्वरम,बैगलौर*,
☎9784755524,
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 6* का प्रवास
*सुबह का प्रवास*
Nellabali Government school मे पध़ारेंगें
*शाम एंव रात्री प्रवास*
भुवनेश्वरी boys school मे पध़ारेंगें
(विजयवाड़ा- चेन्नई रोड)
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*कंकरिया भवन*
आयशा हॉस्पिटल के पास गली
*पुरुषवाकम*, *चेन्नैइ*
☎8428020772,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*GUDIYATTAM*
(बेंगलुरु- चेन्नई रोड)
☎9894110724
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*सातमील क्रोस स्कूल से 10 km का विहार करके कलुर स्कूल में पधारेंगे*
(रायचुर- सिन्धनुर रोड)
☎8830043723
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*भंवरलाल जी विकास कुमार जी दक के निवास स्थान पर* *इकेगुड, मैसूर*
☎9900451231
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*सुरेश जी भुतेडा के निवास स्थान पर*
*Upahar Darshini Hotel Ke Samne*
*3RD Block Jaynager*
*Bangalore* (कर्नाटक)
☎7798028703
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
👉 *विशाखापट्टनम: अ. भा. ते.म.मं के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा "तपोयज्ञ- सामूहिक आयंबिल अनुष्ठान" का आयोजन*
👉 *विशाखापट्टनम*: तेरापंथ महिला मंडल का "रजत जयंती" कार्यक्रम आयोजित
👉 सिलिगुडी - आचार्य श्री महाश्रमण जी 57वां जन्मदिवस का आयोजन
👉 कोयम्बतूर: आचार्य श्री महाश्रमण जी का 57 वां जन्मदिवस कार्यक्रम आयोजित
👉 कांचीपुरम - पर्यावरण संरक्षण विश्व की जरूरत पर चर्चा
👉 कांचीपुरम - आचार्य श्री महाश्रमणजी का 57वां जन्मदिवस कार्यक्रम आयोजित
👉 सरदारशहर: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आचार्य श्री महाश्रमण जी के 57 वें जन्मोत्सव पर "आयंबिल अनुष्ठान" का आयोजन
👉 शांतिनगर, (बेंगलुरु): आचार्य श्री महाश्रमण जी के 9 वें पदाभिषेक दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
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👉 कांचीपुरम - जैन धर्म की दो धाराओं आध्यात्मिक मिलन
👉 कोयम्बत्तूर - आचार्य श्री महाश्रमण जी का नौ वां पदाभिषेक समारोह
👉 कोलकत्ता - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 बारडोली - अणुव्रत समिति द्वारा सेवा कार्य
👉 अजमेर - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 सचिन, सूरत - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 भुज - युवक परिषद द्वारा सामुहिक तपोयज्ञ का आयोजन
👉 कामरेज, सूरत - तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 अहमदाबाद - आचार्य श्री महाश्रमण जन्मोत्सव व पटोत्सव का आयोजन
👉 बिराटनगर (नेपाल): तपोयज्ञ आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
👉 जयपुर - आचार्य श्री महाश्रमण जी पदाभिषेक समारोह
👉 हनुमन्तनगर, बैंगलोर - फ्री ब्लड शुगर चेकअप केम्प का आयोजन
👉 विजयनगर, बैंगलोर - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 134* 📝
*जेठमलजी गधैया*
*गली में तत्त्व-चर्चा*
मुनि कालूजी उन दिनों रतनचंदजी डागा के मकान में विराज रहे थे। जेठमलजी भोजन आदि से निवृत्त होकर उक्त गली में आ गए। मुनि छबीलजी बाहर खड़े उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उनके आते ही उन्होंने अंदर जाकर मुनि कालूजी से निवेदन कर दिया। वे बाहर आए तथा अपनी ओर से बात प्रारंभ करते हुए मुनि चतुर्भुजजी तथा मुनि छोगजी के पूरे इतिहास से उन्हें अवगत किया।
मुनिश्री ने सारी बात समझाते हुए मुख्यतः उनका ध्यान तीन बातों की ओर आकृष्ट किया। प्रथम बात थी मुनिश्री चतुर्भुजजी तेरापंथ में सम्वत् 1920 तक साधुता स्वीकार करते हैं। जबकि मुनि छोगजी सम्वत् 1927 तक। उनमें परस्पर यह सात वर्षों का जो अंतर है वह स्पष्ट कर देता है कि श्रद्धा की दृष्टि से वे एकमत नहीं हैं। इस स्थिति में उन दोनों में से किसी एक को ही मान्य कर सकते हैं। दूसरे को तो गलत मानना ही होगा।
उनकी दूसरी बात थी कि यदि तेरापंथ में सम्वत् 1920 तक अथवा सम्वत् 1927 तक साधुता थी तो उसके पश्चात् उन्होंने श्रद्धा तथा आचार संबंधी ऐसा कौन सा दोष सेवन कर लिया कि जिससे उनकी साधुता नष्ट हो गई या फिर साधुता किसी पोटली में बांधकर रखी हुई थी कि वे लोग गए तब उसे अपने साथ उठाकर ले गए।
तीसरी बात यह थी कि मुनि छोगजी आदि ने तेरापंथ से पृथक् होने के बाद नई साधुता नहीं ली है। मुनि चतुर्भुजजी ने उस अवस्था में उन्हें अपने साथ लिया और संभोगिक माना है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि वे अभी तक उसी साधुता का पालन कर रहे हैं जो यहां तेरापंथ में ग्रहण की थी। इस स्थिति में यदि तुम उन्हें साधु मानते हो तो फिर हमें असाधु या अन्य तीर्थी कैसे मान सकते हो?
लगभग ढाई घंटे तक गली में वह तत्त्व-चर्चा चलती रही मुनिश्री ने प्रत्येक बात को काफी विस्तार के साथ उन्हें बतलाया। वे भी पूर्ण मनोयोग से सुनते और समझते रहे।
*'ठिकाने' में*
जेठमलजी ने पूरी बात को अच्छी तरह से समझ लिया। उसके पश्चात् उनके सम्मुख तेरापंथ को अन्यतीर्थी मानने का कोई कारण नहीं रह गया। उन्होंने तब ठिकाने के अंदर बात करने में भी कोई संकोच नहीं किया। वे अंदर आए। स्थिरतापूर्वक वहां बैठे और अपनी अन्य अनेक शंकाओं का समाधान प्राप्त किया। दूसरे दिन फिर आए और बातचीत करते रहे। पूर्णरूपेण समाहित और आश्वस्त हो जाने के पश्चात् तीसरे दिन गुरु धारणा कर ली। न तो वे भावावेश में आकर किसी प्रकार की शीघ्रता करने वाले व्यक्ति थे और न तत्त्व समझ लेने के पश्चात् पूर्वाग्रहवश शुभ कार्य में विलंब करने वाले। उनका 'न मानना' जितना पूर्ण था, श्रद्धालु बनने के बाद 'मानना' भी उतना ही पूर्ण हो गया।
*श्रावक जेठमलजी को मुनि चतुर्भुजजी ने रोकने का प्रयास किया तब दोनों के बीच हुई बातचीत* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 310* 📝
*वरिष्ठ विद्वान् आचार्य बप्पभट्टि*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
आर्य बप्पभट्टि पार्शप्रत्यानुनायी आचार्य रत्नप्रभ के समकालीन थे। इस समय ओसवाल जाति का अभ्युदय हुआ था। आचार्य रत्नप्रभ के चामत्कारिक प्रयोगों से एवं उपदेशों से प्रभावित होकर 'ओसिया' नगरी के निवासी क्षत्रिय परिवारों ने सामूहिक रूप से जैन दीक्षा ग्रहण की और वे ओसवाल कहलाए। कई इतिहासकारों के अभिमत से ओसवाल जाति का अभ्युदय वीर निर्वाण 13 वीं (विक्रम संवत् 9 वीं) शताब्दी के बाद हुआ। आचार्य बप्पभट्टि का स्वर्गवास इससे कुछ वर्ष पूर्व हो गया था।
बप्पभट्टि समर्थ व्यक्तित्व के धनी थे। आचार्य रत्नप्रभ की भांति सामूहिक जैनीकरण का कार्य उन्होंने नहीं किया। परंतु राजाओं को प्रतिबोधित करने से बप्पभट्टि द्वारा जैन शासन की श्रीवृद्धि हुई। आम राजा के साथ उनके गहरे संबंध मानवजाति के लिए कल्याणकारी सिद्ध हुए। बप्पभट्टि के गुणानुवाद में निम्न श्लोक विश्रुत है
*बप्पभट्टिर्भद्रकीर्तिर्वादिकुंजरकेसरी*
*ब्रह्मचारी गजवरो राजपूजित इत्यपि।।766।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 110)*
इस श्लोक में ब्रह्मचारी और राजपूजित जैसे विशेषण बप्पभट्टि के लिए प्रयुक्त हुए हैं। इससे स्पष्ट है कि ब्रह्मचर्य की उत्तम साधना करने वाले एवं राजाओं द्वारा विशेष सम्मान प्राप्त विशिष्ट विद्वान आचार्य बप्पभट्टि थे।
*ग्रंथ रचना* बप्पभट्टि ने 52 प्रबंधों की रचना की। उनमें चतुर्विंशति स्तोत्र (जिनस्तुति) एवं सरस्वती स्तोत्र ये दो प्रबंध वर्तमान में उपलब्ध हैं।
धनपाल की तिलकमंजरी में भद्रकीर्ति निर्मित 'तारागण' नामक ग्रंथ का उल्लेख है। भद्रकीर्ति बप्पभट्टि का ही गुरु प्रदत्त नाम था। अतः तारागण ग्रंथ भी बप्पभट्टि की मुख्य रचना संभव है। परंतु यह वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।
*समय-संकेत*
बप्पभट्टिसूरि का जन्म वीर निर्वाण 1270 (विक्रम संवत् 800) मुनि दीक्षा संस्कार वीर निर्वाण 1277 (विक्रम संवत् 807) आचार्य पद प्राप्ति का काल वीर निर्वाण 1281 (विक्रम सम्वत् 811) है। आचार्य पद ग्रहण के समय वे मात्र 11 वर्ष के थे। उनकी कुल आयु 95 वर्ष की थी। 84 वर्ष तक उन्होंने धर्मसंघ के दायित्व को संभाला। उनका स्वर्गवास वीर निर्वाण 1365 (विक्रम संवत् 895) बताया गया है। इस आधार पर बप्पभट्टिसूरि वीर निर्वाण की 13 वीं (विक्रम के 9 वीं) सदी के विद्वान् आचार्य थे।
राजाओं को प्रतिबोध देकर तथा प्रबंध की रचना कर बप्पभट्टि ने विपुल यश का अर्जन किया था। बप्पभट्टिसूरि के महत्त्वपूर्ण वर्षों के समय ज्ञापक श्लोक इस प्रकार हैं—
*विक्रमतः शून्यद्वयवसुवर्षे (८००) भाद्रपदतृतीयायाम्।*
*रविवारे हस्तर्क्षे जन्माभूद् बप्पभट्टिगुरोः।।739।।*
*षड्वर्षस्य व्रतं चैकादशे वर्षे सूरिता।*
*पञ्चाधिकनवत्या च प्रभोरायुः समर्थितम्।।740।।*
*शर-नन्द सिद्धिवर्षे (८९५) नभः शुद्धाष्टमीदिने।*
*स्वातिभेऽजनि पञ्चत्वमामराजगुरोरिह।।741।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 109)*
*उदात्त चिंतक आचार्य उद्द्योतन (दक्षिण्यांक) का प्रभावक चरित्र* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
👉 *तोशाम - जैन भगवती दीक्षा समारोह*
💠 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञानुसार 'शासनश्री' मुनिश्री किशनलाल जी के करकमलों से मुकुल जैन जैन भगवती दीक्षा से दीक्षित हुए। दीक्षार्थी मुकुल जैन बने मुनि मार्दव कुमार।*
💠 *कार्यकम झलकियां*
दिनांक - 25-04-2018
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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