08.05.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 08.05.2018
Updated: 15.05.2018

News in Hindi

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🌈 *09/05/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना* 🌈
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*साहूकारपेट,चेन्नई*
☎ *8910991981*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* *का प्रवास*
*वेलेन्जीपुरम स्कूल मे*
(बेंगलुरु - चेन्नई हाईवे)
☎ 9602007283,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*लक्ष्मीलाल जी पवनकुमार जी कोठारी निवास स्थान पर* D/N-14th main road,3rd block Rajajinager Bangalore
☎ 9448385582,9845947910
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
Rajadesing school se 13.8 km ka vihaar kar ke vidhyalaya college Pappambadi Padarege
*(मेलचीतामुर-तुरुवनन्नामलाई रोड)*
☎ 8107033307,9443349920
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ. मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
Vellore arcot road adyar Anand bhswan kae pass next to church hostel
☎9566296874,9443361767
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*जैन स्थानक,पनीरसेल्वम*
*हॉस्पिटल के पास,*
*मेट्टूपालयम*
☎ 9629588016,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*आरकोणम*
☎ *8072609493*
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*संघ संवाद + संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५ का प्रवास*
*तनसुखलाल जी दिलीप जी नाहर*
Villa-no 6
No-36 पेरम्बुर बेरेक्ष रोड
Near ankur Vasanti
Vepery, Chenni
☎ *7010319801*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*तंडियारपेठ, चैनैइ*
☎ *7044937375,9841098916*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*पुखराज जी श्री श्रीमाल के निवास स्थान पर*
*विजयनगर, बेंगलुरु*
☎ *9784755524*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 6 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन-ट्रिप्लिकेन*
☎ 9051582096
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी आदि ठाणा का प्रवास*
*अभिषेक जी सुराना*
29/A Ranganathan Avenue Road Opp Millers Road Kilpauk-Chennai-1
☎ 8428020772,9884700393
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*वेलुर*
☎9791870109
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*सिंधनूर*
☎ *8830043723*
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*Mandya*
☎ *9844474113*
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
*सुरेश जी भुतेडा के निवास स्थान पर*
*Upahar Darshini Hotel Ke Samne*
*3RD Block Jaynagar,*
*Bangalore (कर्नाटक)*
☎ *7798028703*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Source: © Facebook

Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".

👉 विजयनगर - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
प्रस्तुति: 🌻संघ संवाद🌻

Source: © Facebook

हनुमंतनगर, (बेंगलुरु) जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
प्रस्तुति: 🌻संघ संवाद🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 319* 📝

*वाङ्गमय-वारिधि आचार्य विद्यानन्द*

दिगंबर परंपरा के प्रभावी आचार्य विद्यानन्द विद्या के समुद्र थे। उनका विविध विषयों में ज्ञान अगाध था। वे उच्चकोटि के साहित्यकार, प्रामाणिक व्याख्याता, अप्ररहितवादी, गंभीर दार्शनिक, प्रकृष्ट सैद्धांतिक, उत्कृष्ट वैयाकरण, श्रेष्ठ कवि एवं जिनशासन के अनन्य भक्त थे। अपने युग के वे अद्वित्तीय विद्वान् थे। उनकी गणना सारस्वत आचार्यों में की गई है।

विद्यानन्द नाम के कई आचार्य हुए हैं। प्रस्तुत संदर्भ तत्त्वार्थश्लोक वार्तिक एवं आप्तपरीक्षा आदि परीक्षान्त ग्रंथों के निर्माता आचार्य विद्यानन्द से है। 'राजवलिकथे' में उल्लिखित विद्यानन्द परंपरा पोषक माने गए हैं। प्रस्तुत सारस्वत विद्यानन्द उनसे भिन्न हैं।

*गुरु-परंपरा*

आचार्य विद्यानंद की गुरु-परंपरा के संबंध में उल्लेख नहीं है। शक संवत् 1320 के उत्कीर्ण एक शिलालेख में नन्दी संघ के साथ आचार्य विद्यानन्द का नाम है। इस आधार से आचार्य विद्यानन्द का नन्दी संघ में दीक्षित होना संभव है।

*जीवन-वृत्त*

सारस्वताचार्य विद्यानन्द की जीवन सामग्री नहीं के बराबर उपलब्ध है। उनके माता-पिता, परिवार, कुल, जन्म भूमि का उल्लेख ग्रंथों में प्राप्त नहीं है। दीक्षा स्थान और दीक्षा काल के संकेत भी नहीं मिलते हैं।

जैन दर्शन की भांति वैदिक दर्शन पर अगाध पांडित्य के आधार पर उनके ब्राह्मण कुल में उत्पन्न होने की संभावना शोध विद्वानों ने की है। उभय दर्शनों की पारगमिता से मैसूर प्रांत में उनके उत्पन्न होने का अनुमान है। मैसूर प्रांत जैन और ब्राह्मण दोनों संस्कृतियों का केंद्र रहा है। आचार्य विद्यानन्द के विशाल साहित्य को देखकर विद्वानों ने उनके अविवाहित होने का अनुमान किया है। उनके अभिमत से अखंड ब्रह्मतेज के बिना इस प्रकार का साहित्य रचना संभव नहीं है। धवला, जयधवला टीका के निर्माता वीरसेन एवं जिनसेन आचार्य भी अखंड ब्रह्मचारी थे।

आचार्य विद्यानन्द ने मीमांसक विद्वान् जैमिनी, शबर, कुमारिल भट्ट, प्रभाकर, सांख्य दर्शन के विद्वान् व्योमशिवाचार्य, नैयायिक विद्वान् उद्योतकर आदि के ग्रंथों का समालोचन जिस कुशलता से अपने ग्रंथों में किया है उसी कुशलता से बौद्ध विद्वान् नागार्जुन, वसुबंधु, दिङ्नाग, धर्मकीर्ति, प्रभाकर, धर्मोत्तर आदि का भी अष्टसहस्री, प्रमाणपरीक्षा आदि ग्रंथों में सम्यक् निरसन किया है। इससे प्रतीत होता है कि वे वैदिक दर्शन की तरह बौद्ध दर्शन के भी गंभीर अध्येता थे। जैन दर्शन सम्मत मान्यताओं का आगम सम्मत उदाहरणों के साथ विशद एवं युक्तिसंगत प्रतिपादन उनके जैनशास्त्र ज्ञान की अगाधता को सूचित करता है। जैन, वैदिक, बौद्ध इन तीनों दर्शनों के दार्शनिक, सैद्धांतिक एवं न्याय विषयक बिंदुओं का मर्मोद्घाटन करने में उनकी मेधा अतुलनीय थी।

आचार्य विद्यानन्द की उत्कृष्ट ज्ञानाराधना उनके तपोमय जीवन, संयमित दिनचर्या, मनोनिग्रहात्मिका वृत्ति एवं संतुलित चिंतनधारा की सूचक है। सुविधावादी जीवन जीने की मनोवृत्ति से इस प्रकार की श्रुताराधना कठिन है।

*वाङ्गमय-वारिधि आचार्य विद्यानन्द द्वारा रचित साहित्य* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 143* 📝

*दुलीचंदजी दुगड़*

*आत्मगर्वोक्ति*

दुलीचंदजी दुगड़ लाडनूं के ख्यातनामा श्रावक थे। वे मगनीरामजी के पुत्र थे और अपने चाचा शिवजीरामजी के गोद गए थे। उनका जन्म संवत् 1889 कार्तिक शुक्ला 14 को हुआ। घर की आर्थिक स्थिति पिछले कई वर्षों से काफी अस्त-व्यस्त चल रही थी। व्यापार कार्य प्रायः ठप्प हो गया था। दुलीचंदजी के जन्म के अनंतर उसमें अचानक परिवर्तन आया और फर्म ने अच्छी आर्थिक प्रगति की। उसे बालक के भाग्य का ही चमत्कार माना गया। अपनी युवावस्था में दुलीचंदजी अपने मित्रों पर रौब गांठते हुए आत्मगर्वोक्ति के रूप में कहा करते—

"सित्यासियै सित्या निकली, अठ्यासियै हटनार।
निवासियै नर जनमिया, निबियै जय जयकार।।"

*ससुराल में*

दुलीचंदजी निश्छल स्वभाव के दबंग व्यक्ति थे। हर किसी के साथ मधुर व्यवहार रखते। अतः उनकी मित्र मंडली काफी बड़ी थी। विवाह के पश्चात् वे वर्षों तक अपनी ससुराल इसलिए नहीं गए कि सब मित्रों को साथ ले जाना संभव नहीं था। बार-बार निमंत्रण आते परंतु वे कोई न कोई बहाना बनाकर उसे टाल देते। आखिर ससुराल वालों ने जब बहुत दबाव दिया तब वे थोड़े खुले और कहने लगे कि मेरे मित्र बड़ी संख्या में है। ससुराल आऊंगा तो सीमित व्यक्तियों को ही साथ ला सकूंगा। उस स्थिति में मैं किस से लाऊं और किसे छोड़ूं, यही प्रश्न मुझे रोक रहा है। अन्य कोई बात नहीं है।

ससुराल वालों ने कहा आप अपने मित्रों को लाइए। हम उन सब की पूरी-पूरी व्यवस्था करेंगे। इस स्थिति में उन्होंने ससुराल आना स्वीकार कर लिया। कई सौ व्यक्तियों को साथ लेकर वे वहां गए। कई दिनों तक ठहरे। भरपूर स्वागत-सत्कार पाकर वे वहां से पूर्ण तृप्ति के साथ विदा हुए। विदा देते समय सासु ने अपने पुत्रों से छिपाकर हीरे की एक अंगूठी अपनी पुत्री को दी। दुलीचंदजी को पता लगते ही उन्होंने उसे यह कहकर वापस कर दिया कि छिपाकर लेना तो अनीति का लेना है। मुझे ऐसा धन नहीं चाहिए।

दुलीचंदजी को ससुराल की ओर से उसके पश्चात् भी पूर्ववत् मुक्तता के साथ निमंत्रण आते रहे। परंतु उन्होंने फिर कोई निमंत्रण स्वीकार नहीं किया।

*श्रावक दुलीचंदजी दुगड़ की मां तेरापंथ धर्मसंघ में दीक्षित हुई थीं... उनके दीक्षा प्रसंग* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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*नवीन चतुर्मास घोषणा*:

पूज्य गुरुदेव *आचार्य श्री* *महाश्रमण जी* ने महती कृपा कर *'शासन श्री' साध्वी श्री रविप्रभा जी* का आगामी *2018 का चतुर्मास शालीमार बाग दिल्ली'* फरमाया है।

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Anand
  2. Bangalore
  3. Jainism
  4. Sangh
  5. Sangh Samvad
  6. Terapanth
  7. आचार्य
  8. आचार्य महाप्रज्ञ
  9. जिनसेन
  10. ज्ञान
  11. दर्शन
  12. भाव
  13. सांख्य
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