03.06.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 03.06.2018
Updated: 05.06.2018

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खुद को तुझ से जोड़ दिया,बाक़ी सब तुझ पर छोड़ दिया

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#मंत्रो_की_महिमा

सर्व शक्ति का पिण्ड़ है,
यह महामंत्र णमोकार।
भव्यजनों को है यही,
आदि-अंत आधार।

मंत्रो की महिमा अपरंपार है। संसार सागर से पार होने के लिये अद्भुत जहाज है। जो भी ऋषी, मुनि, संत महात्मा हुये उन सभी महापुरुषों नें मंत्र शक्ति के सहारे ही द्रृष्ट कर्मो से लढ़कर स्वतंत्र हुये। जो आज हमारे लिऐ मार्ग प्रशस्त कर रहे है।

मंत्र, विद्या, सिद्धि आदि अनेक द्रृष्टी से णमोकार महामंत्र महत्वपूर्ण है। कायोत्सर्ग में भी उसका उपयोग किया जाता है। कायोत्सर्ग में मंत्र ध्यानात्मक बनने से बल बढ़ जाता है। कोई भी वस्तु सुक्ष्म बनने पर उसका बल बढ़ जाता है, जिससे बोधि, समाधि तक प्राप्त होती है। णमोकार मंत्र से सभी मंत्रो की उत्पत्ती होती है। इस मंत्र में पंच परमेष्टी के गुणों का स्मरण होता है, जिससे हमें शांति प्राप्त होती है।

उदाहरण के लिये समझना होगा जैसे हम फोन के द्वारा अपने व्यक्ति के साथ बात करते है, फोन जो निर्जीव उपकरण है तो भी बात होती है, वैसे ही प्रतिमा, मंत्र आदि फोन जैसा उपकरण हैं, जो हमें ईश्वर के साथ जोड़ देते है। एक में यंत्र शक्ति है, तो दूसरे में तंत्र-मंत्र शक्ति है।

संत कहते है, मंत्र शक्ति हमे ईश्वर के साथ जोड़ने वाली एक दिव्य शक्ति है ऐसा अभी तक हमारे चित्त को लगा ही नहीं है। इसी कारण मन ईश्वर में चिपकता नहीं है। मंत्र जपते समय भी हमें अपना स्वार्थ दिखना चाहिये। स्व अर्थात आत्मा, अर्थ अर्थात प्रयोजन। मंत्र को बीज कहा गया है जो समय के साथ कल्पवृक्ष समान फलदायी है।

भगवान की पूजा, अर्चना, जप, तप आदि से ज्ञानावरणीय आदि चार घातीया कर्मो का नाश होता है। जैसे जैसे प्रभु भक्ति में मन लगेगा वैसे वैसे प्रभु को देख देख कर मन में प्रसन्नता बढे़गी तब मानना चाहिये हम साधना के सच्चे मार्ग पर चल रहे है।

महामंत्र णमोकार की,
एक अनुठी शान।
जो आता संपर्क में,
बनता नेक महान।

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भगवान महावीर स्वामी को भी बिहार करना पड़ा: आचार्य श्री

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि जगह कम पड़ रही है ज्यादा लोगों को न्यौता दिया गया है, इसलिए हमारा कहना है कि अच्छे परिणाम होते रहते हैं। हमेशा धार्मिक भाव मन में हृदय में अच्छे भाव रखना चाहते। आचार्यश्री ने कहा क्या करें लोगों के परिणाम बिगड़ जाते हैं किसके ऊपर बिगड़ जाते दूसरों के ऊपर या अपने ऊपर। हमारे परिणाम अपने ऊपर कम दूसरों के ऊपर ज्यादा बिगड़ जाते हैं। आचार्य श्री ने कहा भगवान महावीर स्वामी को भी 12 वर्ष तक बिहार करना पड़ा। जिसका आना होता है उसका जाना भी निश्चित है। मैं भी यहां आया था और यहां से चला जाऊंगा।

आचार्यश्री ने कहा हम सामाजिक धार्मिक कार्य करते हैं प्रशंसा आदि की भूख नहीं रखने पर प्रशंसा मिल जाती है। बढा़ई भी मिल सकती है। आचार्य श्री ने कहा कार्य करने वालों की बुराई भी होती है। दूसरों के द्वारा बुराई करने पर हमें अपने परिणामों को बिगाड़ना नहीं चाहिए। अनाेज जैन बम्होरी ने बताया कि आचार्यश्री ने प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं को धर्म आेर जाने का रास्ता दिखाया है। जिससे सामाजिक जीवन में लोग जागरूक हो सकें।

संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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#प्रणम्यसागर_महाराजजी_की_जय

प्रणम्य का अर्थ होता हैं,,जो पूजनीय हो, वंदनीय हो, जिसके चरणों मे नतमस्तक हो जाये,ऐसा ही नाम मेरे गुरूवर का हैं,, उनका नाम ही उनके मुखमंडल की आभा जैसा हैं, भगवन विद्यासागर जी उनका नाम ही इतना सटीक दिया हैं,, जो श्रावक प्रणम्य सागर जी की एक झलक पाता हैं,उसके बरसो के अँधेरे पल भर मे दूर हो जाते हैं,, उनके मुख के नूर से कृष्णानगर के लोगो के ही नही बल्कि आस पास के 10 कॉलोनियों के लोगो के जीवन मे उल्लास और उमंग के रंग भर गए हैं,, भरी जेठ की गर्मी मे,,शरद ऋतू के आगमन की ठंडी तासीर महसूस हो रही हैं,, मुख खोलते ही अमृत पान करा देते हैं श्रावको को,,ऐसे गुरु की और क्या महिमा बखान करू,,शब्द ही कम हैं,, घर हो या बाहर,गुरु के पास बैठो या मन्दिर मे,, हर जगह गुरु की पॉजिटिव इनर्जी हमारे साथ रहती हैं,,🙂🙂कहा थे गुरूवर आप इतने वर्षो से,,हे पञ्च ऋषिराज आप धन्य हैं,, प्रणम्य सागर जी आपको देखने मात्र से ही जिंदगी सरसता से भर जाती हैं,,🙏 वीरसागर जी आपको देखते ही अंदर शक्ति महसूस होती हैं,,🙏 विशाल सागर जी आपको देखने से मन विशाल हो जाता हैं,🙏, चन्द्र सागर जी आपको देखते ही बचपन की शीतलता और दुलार याद आता हैं 🙏,,धवल सागर जी आपको देखने मात्र से जिंदगी सफ़ेद रंगो से दाग़ हीन हो जाती हैं🙏

*हजारो दीपक से न रौशनी हो जग में*
*हजारो सूरज भी भी कम हैं इस नभ् मे*
*मेरे गुरूवर की मुस्कान ही काफी हैं इस धरा पर रौशनी के लिए*
मेरा गुरु के चरणों में बारम्बार नमोस्तु🙏🙏🙏🙏💐

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