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विश्व शांति महायज्ञ के पश्चात विमान उत्सव में उमड़ा जन सैलाब...
आज दिनांक 8 जून को श्री दिगंबर जैन पारसनाथ बड़ा मंदिर, बबीना में सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन समारोह पर प्रातः काल अभिषेक शांतिधारा के पश्चात संगीत की स्वर लहरी के साथ नित्य महा पूजन के पश्चात आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज की पूजन सभी ने की।
श्रीमती तारा मोदी, ब्रह्मचारिणी मंजुला दीदी को सम्मानित किया गया। मोदी परिवार ने सभी ब्रह्मचारी भाई एवं बहनों को सम्मानित किया गया।
ब्रह्मचारिणी बहन रेखादीदी, सरितादीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बबीना वाले बहुत अच्छे भक्त हैं, सभी के सहयोग से यह विधान सानंद संपन्न हुआ। इस विधान में हम लोगों से जो भी गलतियां हुई हो तो आप सभी ध्यान ना दें।
क्षुल्लक श्री रचितसागर जी और मुनि श्री ज्ञेयसागर जी महाराज के भी आशीर्वचन इस अवसर पर प्राप्त हुए।
पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा की तीव्र पुण्य के योग से मोदी परिवार के विधान कराने के भाव हुए। उनका जो स्वप्न था वह साकार हुआ। प्रारंभ में ऐसे लग रहा था कि गर्मी की वजह से उसने इंद्र इंद्राणी नहीं बैठेंगे। परंतु एक-दो दिन के बाद यह मंदिर पूरा भर गया। बच्चों से वृद्धों तक सभी के भरपूर सहयोग से यह विधान सानंद संपन्न हुआ। आप सभी आगे भी इसी तरह धर्म के मार्ग पर श्रद्धा आस्था बनाए रखें। अधिक से अधिक लोग पूजा करें। तदनंतर ब्रह्मचारी किरण भैया के निर्देशन में विश्वशांति महायज्ञ की क्रिया संपन्न कराई।
विमान उत्सव में उड़ता हुआ जनसैलाब मुंगावली का बैंड सम्मिलित था। साथ ही मैनासुंदरी, श्रीपाल, इंद्र-इंद्राणी आदि मोदी परिवार के श्रद्धालु बग्गी में बैठकर शोभा बढ़ा रहे थे।
जुलूस में चार चांद लगाने में आचार्य श्री का पावन सानिध्य माध्यम बना।
विमान का भव्य जुलूस श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर से प्रारंभ होकर मेनरोड, स्टेशन रोड, कबाड़ी मार्केट, बाजार से होता हुआ पटवारी मौहल्ला पहुंचा।
जहां-जहां भी श्रीजी का विमान पहुंचा सभी श्रद्धालुओं ने श्री जी की आरती तथा आचार्य श्री ज्ञानसागरजी मुनिराज के पाद प्रक्षालन एवं आरती कर सभी ने पलक पावड़े बिछाकर भावभीना स्वागत किया।
पश्चात विमान मंदिर जी में पहुंचा श्रीजी का अभिषेक हुआ। सभी के मुख से एक ही आवाज निकल रही थी कि पूज्य श्री के आशीर्वाद से विधान बहुत अच्छा हुआ।
पहली बार किसी आचार्य के सानिध्य में सिद्धचक्र महामंडल विधान हुआ है।
गर्मी के होने के बाद भी सभी श्रद्धालु सुबह शाम आकर भक्ति रूपी गंगा में स्नानभूत हुए। प्रतिदिन अलग-अलग घरों से महाआरती का भव्य जुलूस निकलता था।
Source: © Facebook
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