News in Hindi
👉 *अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में*
💥 *अखिल भारतीय कन्या मण्डल के निर्देशन में*
💥 *गुवाहाटी - असम, बंगाल, बिहार, मेघालय व नेपाल स्तरीय आँचलिक कन्या कार्यशाला पहचान का हुआ आगाज*
💥 *असम के राज्यपाल की धर्मपत्नी श्रीमती प्रेममुखी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित*
💥 *अभातेमम अध्यक्ष कुमुद कच्छारा की उपस्थिति में*
💥 लगभग 150 कन्याओं की उपस्थिति
दिनांक - 09-06-2018
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Video
Source: © Facebook
👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 9 जून 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 छापर - भिक्षु साधना केंद्र में विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन
👉 सिलीगुडी - वर्ष 2018-20 अध्यक्ष पद के दायित्व का हस्तांतरण
👉 हिरियुर - उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक श्री डालमचन्दजी नौलखा का आगमन
👉 राजराजेश्वरी नगर -: अ.भा.ते.यु.प निर्देशित पर्यावरण सप्ताह के अंतरगत पौधा वितरण कार्यक्रम
👉 राजराजेश्वरी नगर - नि: शुल्क ब्लड शुगर जाँच शिविर का आयोजन
प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞
अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 1* 📜
*बहादुरमलजी भण्डारी*
*निपुण व्यक्ति*
बहादुरमलजी भंडारी जोधपुर के प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक थे। जयाचार्य के समय में उन्होंने शासन की अनेक विशिष्ट सेवाएं की थीं। वे जहां एक प्रसिद्ध श्रावक थे, वहां प्रसिद्ध राज्य कर्मचारी भी थे। कुछ समय के लिए वे जोधपुर राज्य के दीवान भी रहे। वे जहां भी जिस कार्य के लिए नियुक्त किए गए, उन्होंने अपनी विशेष योग्यता की छाप छोड़ी। ऐसे निपुण व्यक्ति बहुत कम ही मिला करते हैं।
उनका जन्म अपने ननिहाल बोरावड में संवत् 1872 मिगसर बदी 2 को हुआ। उनके पिता भैरूंदासजी डीडवाना तहसील के दौलतपुरा ग्राम के निवासी थे। बाल्यकाल में बहादुरमलजी ने तत्कालीन शिक्षा पद्धति के अनुसार अक्षर ज्ञान के अतिरिक्त प्रारंभिक गणित का भी थोड़ा बहुत अध्ययन किया था।
घर की आर्थिक अवस्था बहुत साधारण थी, अतः उन्हें शीघ्र ही नौकरी करने को बाध्य होना पड़ा। जोधपुर मोती चौक में उनकी मौसी का परिवार रहता था। उसी आधार से वे जोधपुर गए और नौकरी की खोज करने लगे। नगर कोतवाल से संपर्क करने पर उसने उन्हें नगर के दरवाजे पर चौकीदारी का कार्य सौंपा। बहुत साधारण परिश्रम का कार्य था। अधिक समय तो उनका केवल बैठे रहने में ही व्यतीत होता था। उस समय का उन्होंने उपयोग करना प्रारंभ कर दिया। लिपि सौंदर्य के लिए वे पाटियां लिखते तथा कभी-कभी सीखे हुए गणित के आधार पर लिख-लिखकर सवाल भी हल करते रहते। प्रतिदिन उधर से आने-जाने वाले कई पढ़े-लिखे लोगों को उन्होंने परिचित कर लिया था। अनेक बार उनसे पूछ-पूछ कर वे नया ज्ञान भी अर्जित करते रहते थे। एक दिन नगरसेठ रघुनाथशाह उधर से गुजरे। उन्होंने चौकीदारी करने वाले युवक को इस प्रकार पूरी लगन से पाटी लिखते देखा तो उधर आकृष्ट हुए। उन्होंने उसका परिचय तो प्राप्त किया ही लिखी हुई पाटी भी देखी। मोती जैसे सुंदर अक्षरों की पंक्तियों ने उनके मन को मुग्ध कर लिया। उन्होंने उसी समय उन्हें अपने यहां मुनीमी करने का निमंत्रण दे दिया। भंडारीजी ने अपनी प्रगति का द्वार यों सहज ही खुलते देखा तो चट से चौकीदारी का कार्य छोड़कर नगरसेठ के वहां चले गए। सेठजी का व्यापार अनेक स्थानों पर चलता था। बहादुरमलजी को नागौर की दुकान पर भेज दिया और प्रारंभ में केवल पांच रुपया मासिक देना निश्चित किया। वहां जाकर उन्होंने बड़ी योग्यता से कार्य किया और अपनी प्रतिभा का काफी अच्छा परिचय दिया। क्रमशः उनकी उन्नति होती गई और थोड़े ही दिनों में वे सेठजी के अच्छे विश्वासपात्र बन गए।
*बहादुरमलजी भंडारी का जोधपुर नरेश से मिलन कैसे हुआ और उन्होंने राज्य को अपनी सेवाएं किस प्रकार प्रदान कीं...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞
🌼🗯🗯🗯🗯🌼🗯🗯🗯🗯🌼
🛡 *प्रकाश के प्रहरी* 🛡
🔮
देव गुरु और धर्म की पावन शरण ले, हमने कुछ दिन पूर्व ही 'शासन गौरव' मुनिश्री बुद्धमल्ल जी रचित 51 विशिष्ठ श्रावकों के जीवनवृत के संकलन *"नींव के पत्थर"* की पोस्ट परिसम्पन्न की।
🔮
आज से हम फिर से हाजिर हो रहे हैं, 'शासन गौरव' मुनिश्री बुद्धमल्लजी द्वारा रचित 51 और
जागरूक श्रावक प्रहरियों का जीवनवृत *"प्रकाश के प्रहरी"* की श्रृंखलाबद्ध पोस्ट लेकर...
🔮
इनकी जागरूकता के प्रकाश में हमारी श्रद्धा-भक्ति भी विशेष रूप से प्रभावित और पोषित होगी, ऐसी आशा है।
🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌼🗯🗯🗯🗯🌼🗯🗯🗯🗯🌼
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆
जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 347* 📝
*अमित प्रभावक आचार्य अमितगति (द्वितीय)*
*साहित्य*
आचार्य अमितगति ने जनभोग्य और विद्वद्भोग्य दोनों प्रकार के ग्रंथ रचे। उनका उपलब्ध साहित्य संस्कृत भाषा में है। प्राकृतिक और अपभ्रंश की एक भी रचना उपलब्ध नहीं है। इससे स्पष्ट है आचार्य अमितगति का संस्कृत भाषा पर आधिपत्य था। ग्रंथों की गंभीरता और विविध विषयों की विवेचना से प्रतीत होता है आचार्य अमितगति न्याय, काव्य, व्याकरण आदि विषयों के विशेषज्ञ विद्वान् थे। ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—
*सुभाषित रत्न सन्दोह* यह रचनाकार का स्वोपज्ञ सुभाषित ग्रंथ है। इस ग्रंथ में सुभाषित रत्नों का संग्रह है। यह ग्रंथ के नाम से ही स्पष्ट है। ग्रंथ की भाषा अलंकारमय है। सांसारिक विषय निराकरण, माया-अहंकार निराकरण, इंद्रिय निग्रहोपदेश, सप्त व्यसन निषेध, ज्ञान निरूपण,चरित निरूपण आदि 33 प्रकरण ग्रंथ में हैं। श्रावक धर्म का निरूपण 217 पद्यों में विस्तार से प्रतिपादित है। पूरे ग्रंथ में कुल 922 पद्य हैं। ग्रंथ की परिसमाप्ति वीर निर्माण 1520 (विक्रम संवत् 1050) पौष शुक्ला पंचमी के दिन मुञ्ज के राज्यकाल में हुई। ग्रंथ की प्रशस्ति में ग्रंथकार की गुरु परंपरा प्राप्त है।
*धर्म-परीक्षा* यह संस्कृत काव्य ग्रंथ है। इसमें पौराणिक मनगढ़ंत अविश्वसनीय तथ्यों का निरसन किया गया है। इससे स्पष्ट है आचार्य अमितगति रूढ़ धार्मिक मान्यताओं के पक्षधर नहीं थे। ग्रंथ में 1945 पद्य हैं। दो मास में इस ग्रंथ की रचना हुई। कवि ने इसे वीर निर्वाण 1540 (विक्रम संवत् 1070) में संपन्न किया था। रचनाकार ने ग्रंथ में व्यंगयोक्तियों और अपने अभिमत के प्रकटीकरण में कथाओं का उपयोग विलक्षण ढंग से किया है। पूरे ग्रंथ पर आचार्य हरिभद्र के धूर्त्ताख्यान का प्रभाव परिलक्षित होता है। ग्रंथ के प्रशस्ति पद्यों में गुरु परंपरा दी गई है।
*पंच-संग्रह* यह संस्कृत गद्य-पद्य रचना है। अज्ञात कर्तृक प्राकृत पंच-संग्रह का संस्कृत अनुवाद है। इस ग्रंथ में कर्मवाद का विवेचन है। गोम्मटसार के सैद्धांतिक विषय को इस कृति द्वारा सुगमता से समझा जा सकता है। इस कृति का समापन वीर निर्वाण 1543 (विक्रम संवत् 1073) में मसूतिकापुर में हुआ। इसी समय राजा भोज नरेश मुञ्ज के सिंहासन पर आसीन हुआ था। ग्रंथ के प्रशस्ति पद्यों के अनुसार आचार्य अमितगति के गुरु माधवसेन के समय में सिंधुपति (सिंधुल) का राज्य था। इस कृति की प्रशस्ति में ग्रंथकार की गुरु परंपरा नहीं है। गुरु माधवसेन का नामोल्लेख अवश्य है।
*अमित प्रभावक आचार्य अमितगति (द्वितीय) द्वारा रचित अन्य साहित्य व आचार्य-काल के समय-संकेत* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜ 🔆
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Video
Source: © Facebook
*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*आभामंडल व शक्ति जागरण: वीडियो श्रंखला ५*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 *सूरत - अणुव्रत महासमिति के निर्देशानुसार नशा मुक्ति कार्यक्रम*
🌀 सूरत समीप लाजपोर सेंट्रल जेल में अणुव्रत समिति द्वारा कैदी सुधारणा एवं नशा मुक्ति कार्यक्रम का हुआ आयोजन
दिनांक - 06-06-2018
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook