18.06.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 18.06.2018
Updated: 18.06.2018

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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 18 जून 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 8* 📜

*बहादुरमलजी भण्डारी*

*नरेश के कोप-भाजन*

गतांक से आगे...

भंडारीजी की गिरफ्तारी के आदेश वाली घटना से दो दिन पूर्व ही भंडारीजी की पत्नी, बहुएं आदि पूरा परिवार जयाचार्य के दर्शन करने के लिए जयपुर की ओर विदा हुआ था। वह संवत् 1928 के चातुर्मास का समय था। वे सब पूर्व निर्धारित मंजिलों के क्रम से रथों द्वारा मार्ग पार करते हुए जा रहे थे।

भंडारीजी राजाओं की मानसिकता से बहुत अच्छी तरह परिचित थे। उन्होंने सोचा— "मुझे नहीं पकड़ पाने के कारण नरेश का कुंठित रोष मेरे परिवार पर टूट पड़ने को आतुर हो सकता है, अतः उन्हें सूचना पहुंचा देना अत्यंत आवश्यक है।" यही सोचकर उन्होंने एक पत्र लिखा और उसे अपने पुत्रों तक पहुंचाने के लिए एक तेज घुड़सवार को तत्काल विदा कर दिया।

परिवार ने कुचामण पहुंचकर वहां के ठाकुर का आतिथ्य ग्रहण किया। ठाकुर साहब भंडारीजी के मित्र थे। उसी दिन घुड़सवार भी वहां पहुंच गया। उसने बड़े पुत्र किसनमलजी को पत्र दिया। उन्होंने पढ़कर सबको समाचार बतलाए तो सभी चिंतित हो गए। उसमें मुख्यतः ये समाचार थे कि मैं पोकरण ठाकुर साहब के यहां सुरक्षित हूं। तुम सब अतिशीघ्र जोधपुर राज्य की सीमा से बाहर चले जाना तथा मैं वापस आने के लिए समाचार न भेजूं तब तक जोधपुर मत आना।

सारी स्थिति को सोच समझकर ठाकुर साहब ने सुझाव दिया कि आप लोग मेरे यहीं रह जाओ। कुचामण में मैं सब प्रकार से सुरक्षा कर सकूंगा। यहां रहते नरेश आपका बाल भी बांका नहीं कर सकेंगे। परंतु यह सुझाव उन लोगों को मान्य नहीं हुआ। अपनी सुरक्षा के लिए अपने घनिष्ठ मित्र को संकट में डालना उन्हें उचित नहीं लगा। उस स्थिति में ठाकुर साहब ने दूसरा सुझाव दिया कि आप लोग 'जीवरख' में रह जाओ। आवश्यकता की सभी वस्तुओं की पूर्ति मैं करता रहूंगा। ठाकुर साहब का यह दूसरा सुझाव भी उन्हें मान्य नहीं हुआ। भंडारी जी की पत्नी ने कहा— "गुरु दर्शन से पूर्व किसी ने घी छोड़ रखा है, किसी ने दूध। अतः यथाशीघ्र जयाचार्य के दर्शन करने आवश्यक हैं। यहां एक बार रुक जाने के पश्चात निकलना कठिन हो जाएगा। राजकोप शांत होने में कितना समय लग जाए यह कौन जानता है?" अंततः राज्य सीमा को यथाशीघ्र पार कर देने के लिए उन्होंने उसी रात वहां से प्रस्थान कर दिया।

*क्या भंडारी जी का परिवार सुरक्षित जयपुर पहुंच पाया...? जोधपुर नरेश का कोप किस प्रकार शांत हुआ...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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