10.07.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 10.07.2018
Updated: 12.07.2018

Update

plz do share

Source: © Facebook

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का कल प्रातः कालीन बेला में छतरपुर में भव्य मंगल प्रवेश होगा। अगवानी की व्यापक तैयारियाँ।

Source: © Facebook

today live pic.. आचार्य श्री के दर्शन 🙂🙂

सम्यक् चरित्र ज्ञान की जलती हुई मशाल.. ओह सदलगा के संत तूने कर दिया कमाल..

लहरा रहा अध्यात्म का सागर महा विशाल.. ओह सदलगा के संत तूने कर दिया कमाल..

News in Hindi

तीर्थ बनेगा #ज्ञानसागर महाराज का समाधि स्थल
मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने की घोषणा, मंदिर व संतशाला का विधानपूर्वक शिलान्यास #नसीराबाद।
मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने शनिवार को गांधी चौक स्थित संत शिरोमणि महाकवि आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज के समाधि स्थल को तीर्थ स्थल बनाए जाने की घोषणा की।

शनिवार को मुनिश्री सुधासागर जी महाराज ने नगर में गत दिनों से चल रहे धार्मिक आयोजन के कार्यक्रमों में आयोजित धर्मसभा के दौरान समाधि स्थल को तीर्थ स्थल बनाने की घोषणा की। मुनिश्री द्वारा की गई इस घोषणा से नगर के सकल दिगंबर जैन समाज व आसपास से आए समाज के लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई। इसके बाद मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने समाधि स्थल पर मंदिर का विधि विधानपूर्वक शिलान्यास किया गया और साथ ही संतशाला का शिलान्यास भी किया गया। समाधि स्थल पर आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज की पद्मासन 15 फुट की प्रतिमा लगाई जाएगी। समाधि स्थल पर निर्माण कार्य के लिए सुधासागर महाराज द्वारा निर्माण समिति का गठन भी किया गया

शनिवार को समाज जन ने तीर्थ स्थल की घोषणा की सूचना के चलते सुबह 11 बजे तक अपने प्रतिष्ठान बंद रखे और कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में नगर सहित अजमेर, किशनगढ़, बिजयनगर, ब्यावर, केकड़ी सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के समाज सदस्यों ने भी भाग लिया।

Source: © Facebook

हे गुरुवर! शाश्वत सुख-दर्शक, यह नग्न-स्वरूप तुम्हारा है।
जग की नश्वरता का सच्चा, दिग्दर्श कराने वाला है।।
जब जग विषयों में रच-पच कर, गाफिल निद्रा में सोता हो।
अथवा वह शिव के निष्कंटक- पथ में विष-कंटक बोता हो।।
हो अर्ध-निशा का सन्नाटा, वन में वनचारी चरते हों।
तब शांत निराकुल मानस तुम, तत्त्वों का चिंतन करते हो।।
करते तप शैल नदी-तट पर, तरु-तल वर्षा की झड़ियों में।
समतारस पान किया करते, सुख-दु:ख दोनों की घड़ियों में।।
अंतर-ज्वाला हरती वाणी, मानों झड़ती हों फुलझड़ियाँ।
भव-बंधन तड़-तड़ टूट पड़ें, खिल जावें अंतर की कलियाँ।।
तुम-सा दानी क्या कोर्इ हो, जग को दे दीं जग की निधियाँ।
दिन-रात लुटाया करते हो, सम-शम की अविनश्वर मणियाँ।।
हे निर्मल देव! तुम्हें प्रणाम, हे ज्ञानदीप आगम! प्रणाम |
हे शांति-त्याग के मूर्तिमान, शिव-पंथ-पथी गुरुवर! प्रणाम ||

Artist - कविश्री युगलजी बाबू जी

Source: © Facebook

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. आचार्य
          2. ज्ञान
          3. दर्शन
          4. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 732 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: