27.10.2018 ►Vidyavihar ►International Symposium on the Theme of "Jainism: Past, Present & Future" ►Review

Published: 05.11.2018
Updated: 23.09.2021

Jai Jinendra!

The non-sectarian International Symposium on “Jainism: Past, Present, & Future” as held on 27th Oct 2018 at Somaiya Vidyaviha, Mumbai was a big success and attended by the strong audience of more than 450 people of the Jain Community.

Please herewith find the Press Note of the proceedings of the Symposium along some photographs.

For more photographs of the Symposium please visit at https://drive.google.com/drive/folders/1V3Pb9atedevV7lI6HMkBSYaJkm7DAqmM?usp=sharing

It is important that this kind of summit is promoted and supported by the Jain Community so that concrete work can be done.

Thanking you,

Yours Sincerely,
Hitesh Mutha

Press Note in Hindi

27 अक्तूबर 2018

प्रेस नोट

के.जे. सोमैया जैनिज़म की ओरसे जैनिज़म पर संगोष्ठीका सुंदर आयोजन – जैन धर्म के भविष्य पर गहन चर्चा – शिक्षा संस्था और पाठशाला की भूमिका पर जोर

मुंबई - घाटकोपर - के.जे. सोमैया सेंटर फॉर स्टडीज इन जैनिज़म, मुंबई और 'प्रबुद्ध जीवन' श्री मुंबई युवक संघ इन संस्थाओं के संयुक्त आयोजन से घाटकोपर के सोमैया विद्याविहार के सभागृह में "जैनिज़म: अतीत, वर्तमान, और भविष्य" इस विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 27 अक्तूबर 2018 को किया था l क्रांतिकारी मुनि नयपद्मसागरजी म. सा., आचार्य प.पू. विभवसागरजी, म.सा., प.पू. पारस मुनिजी म.सा. इन संतों के मंगलमय सान्निध्य में संपन्न इस संगोष्ठी में:

  • श्री पाना चंद जैन (निवृत्त न्यायाधीश, राजस्थान हायकोर्ट)
  • श्री वल्लभ भंशाली (अध्यक्ष, सत्य विज्ञान फाउन्डेशन)
  • श्री राजशेखरन पिल्लई (प्रोफेसर, सोमैया विद्याविहार)
  • समनी डॉ चैतन्य प्रज्ञा (जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनू)
  • डॉ सुलेख जैन (भूतपूर्व अध्यक्ष, जैना, अमेरिका)
  • डॉ भागचंद्र (भास्कर) जैन (वरिष्ठ जैन धर्म विद्वान)
  • डॉ शुगन जैन (अध्यक्ष, इंटरनेशनल स्कूल फॉर जैन स्टडीज)
  • डॉ जितेंद्र बी शाह (वरिष्ठ जैन धर्म विद्वान)
  • श्री प्रवीण के शाह (अध्यक्ष, जैना एजुकेशन कमिटी, अमेरिका), तथा
  • साधीका डॉ. प्रग्भाजी विराट (संपादक, 'चरम मंगल' मासिक पत्रिका)
  • डॉ अशोककुमार पगारिया (राष्ट्रीय महामंत्री, श्री ऑल इंडिया जैन कॉन्फरन्स)
  • श्री सुनीलजी जैन, जैन एक्टिविस्ट तथा
  • श्री महेशजी गांधी जैन एक्टिविस्ट

इन्होंने जैनिज़म के विषय में अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किए l मुनिश्री डॉ अभिजित कुमारजी और डॉ डी. आर. मेहता (फाउंडर एंड चीफ पैट्रन, जयपुर फुट) इन्होंने रिकार्डेड विडियो के माध्यम से अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किए l

संगोष्ठी के संयोजक एडवोकेट श्री हितेश मुथा इन्होंने परिचात्मक टिप्पणी में जैन दर्शन के मूल ज्ञान की मौजूदा स्थिति के बारे में चिंता जाहिर कर आनेवाले पीढ़ियों के लिए जैन दर्शन के मूल ज्ञान को संरक्षित करने हेतु एक सुगठित गैर-सांप्रदायिक रचनात्मक कार्यवाही के लिए आवाहन कियाl उन्होंने जैन दर्शन के भविष्य को संरक्षित करने हेतु अकादमिक संस्थानों और पाठशालाओं की भूमिका पर जोर दियाl श्री वल्लभ भंशाली इन्होंने कहा की जैन तत्वज्ञानका भविष्य उज्ज्वल है, यह नितिमुल्यों की रक्षा करने वाला तत्व ज्ञान है और ज्यादा सें ज्यादा लोगों तक यह ज्ञान पहुँचने की आवश्यकता हैl संप्रदाय से हटकर सभी मुनियोंने-संतोंने एक होकर जैन धर्म का प्रचार और प्रसार करना चाहिएl यह अहिंसा का उद्घोष करने वाला तत्व ज्ञान पूरे विश्व में फैलाने की जरूरत हैl संगोष्ठी के मुख्य अतिथि निवृत्त न्यायमूर्ति पाना चंद जैन ने भी कहा जैन तत्व ज्ञान का अतीत समृद्ध है वर्तमान भी समृद्ध है और भविष्य भी समृद्ध रहेगा क्योंकि इतनी उच्चतम मूल्यों की शिक्षा देनेवाला ज्ञान और कही नहीं हैl संतों ने और हम सभी ने एक होकर इन नितीमूल्यों का प्रचार विश्व में करना चाहिए, उन्होंने बताया की अमरिका, जर्मनी जैसे कई देश में जैन धर्म के प्रति लोगों के मन में काफी जिज्ञासा तथा आदर की भावना हैl डॉ डी.आर. मेहता ने अपने विडियो संदेश में कहा कि आज विश्व जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनका समाधान जैन धर्म में निहित है। भगवान महावीर के गहन व स्पष्ट सिद्धांत जैसे की अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांतवाद, पर्यावरण, लैंगिक समानता के आधार पर जैन धर्म आज की दुनिया का मुख्य धर्म हो सकता हैl प्रोफेसर श्री राजशेखरन पिल्लई, डॉ एस पी जैन और डॉ सेजल शाह ने अपने मनोगत रखे और संगोष्ठी को शुभकामनाएँ दीl

डॉ सुलेख जैन इन्होंने जैन तत्त्व प्रणाली को इतना उज्ज्वल अतीत होकर भी हम उसका प्रचार ठीक तरह से नहीं कर पाए और काफी गलत फहमियाँ जैनिज़म के बारे में फैलायी गयीl हम जैन है, इस बात का हमें नाज है गर्व हैl यह आत्मसम्मान की भावना दिन-ब-दिन कम हो रही है, यह चिंता का विषय हैl सभी संप्रदाय को सभी संतों ने एक होकर गंभीरता से इस बात को लेकर जैनिज़म का प्रचार जैन और जैनेतर लोगों में भी करना चाहिएl महावीर को आम आदम तक पहुँचाना चाहिए, तो ही जैनिज़म का भविष्य उज्ज्वल होगाl श्री भागचंद्रजी जैन इन्होंने जैन धर्म को दुनिया प्राचीन धर्म बताते हुए हड़प्पा सिंधु सभ्यता, अनुराधापुर के उदाहरण दिए, समनी चैतन्य प्रज्ञा जी इन्होंने मौजूदा जैन शिक्षा संस्थानों को सशक्त बनाने पर जोर दिया, डॉ. शुगन जैन बताया जैन समुदाय के नेताओं ने जैन 2011 जनगणना की शुद्धता से शिकायत की है, और इंटरनेशनल स्कूल फॉर जैन स्टडीज के जारी सर्वे के आकड़ों को सभा के सामने रखे, डॉ. जितेंद्र शाह इन्होंने शोध-उन्मुख साहित्य को बढ़ावा देने की बात की, तथा प्रवीणजी शाह इन्होंने पुराने ज्ञान को संरक्षित करने और जैन धर्म को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करने की अपील की. पैन चर्चा में डॉ अशोककुमार पगारिया (राष्ट्रीय महामंत्री, श्री ऑल इंडिया जैन कॉन्फरन्स), श्री सुनीलजी जैन, श्री महेशजी गांधी तथा श्री पंकजजी शेठ इन्होंने अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये और सकारात्मक सोच ही जैन धर्म का भविष्य उज्ज्वल बना सकती है, ऐसा प्रतिपादन कियाl, साधिका डॉ प्राग्भाजी विराट इन्होंने भी सुंदर संचालन करते हुए अपने भावों को उजागर किया l

प.पू. आचार्यश्री विभवसागरजी ने कहा " वक्ता श्रोता एवम् आचरणकर्ता इन तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका हैl जैन तत्व ज्ञान को आगे बढाने के लिए प्रभावी वक्ता समर्पित श्रोता, तथा सही आचरणकर्ता यह तीनों समाज के सामने जैनत्वके आदर्श होंगे l जैन धर्मका भविष्य उज्ज्वल है, इसमें कोई शंका नहीं l प.पू. पारसमुनीजीने भी कहा समाज में एक से एक बढकर विद्वान है उनके विचारों को अपनाकर, साधु संतों के प्रवचन वाणी को सुनकर उसको आचरण में लाना होगाl विचार और आचार एक होना चाहिएl स्वाध्याय करने की जरूरत है तथा, विनम्रता के साथ पेश होना जरूरी है l प पू नयपद्मसागरजी ने अपने तथा ओजस्वी वाणी से सभा को मंत्रमुग्ध कर दियाl उन्होंने कहा आबादी यह बढ़ी समस्या जैन धर्म के उज्ज्वल भविष्य के लिए चिंता का विषय है l इसके बारे में गंभीरता से विचार होना चाहिए l सभी धर्म में लंबाई चौडाई है, लेकिन जैन धर्म यह एक ही ऐसा धर्म है जहाँ पर गहराई भी हैl स्वामी विवेकानन्द जी के साथ वीरचंदजी इनका भी आवेश पूर्ण व्याख्यान अमरिकामे हुआ थाl लेकिन उनका नाम नहीं लिया जाता, क्योंकि वह जैन थेl हमें ठोस कदम उठाने चाहिए, जैन धर्म की ओर लोगों को आकर्षित करने हेतु जैन समाज की जनसंख्या बढाने हेतु और भगवान महावीर को हर घर तक पहुँचाने हेतु, उन्होंने विश्वास दिलाया कि जैन धर्म का भविष्य उज्ज्वल होगा और हमारी ग्रंथ संपदा, ज्ञान संपदा, ऋषीमुनिंके प्रवचनों की ताकत समाज के विद्वान तथा तपस्वी लोगों की पुण्य वाणी इन बातों को मध्य नजर रखते हुए, केवल देश में नहीं विश्व में जैन धर्म फैलेगा और फैलाना होगा l युवा साथियों को जैन तत्त्वों का महत्व शास्त्र के आधार पर समझाना होगा l संयोजक हितेश मुथा को उन्होंने धन्यवाद देकर कहा ऐसे संगोष्ठी जैसे उपक्रमों के आयोजन में जिओ उनके साथ हमेशा रहेगा l संगोष्ठी में सबका स्वागत हितेश मुथा इन्होंने कियाl प्रास्ताविक उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष सोमेय्या कॉलेजके प्रोफेसर राजशेखर पिल्लेजीने कियाl तथा सूत्र संचालन डॉ प्रग्भाजी विराट एवम् निधी जैन इन्होंने कियाl इस चर्चा सत्र में दिन भर श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति भारी मात्रा में रहीl

PDF

Click on image to download the PDF.

Sources
Hitesh Mutha
Convener of the Symposium
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • HereNow4U
    • HN4U Team
      • Share this page on:
        Page glossary
        Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
        1. Jinendra
        2. Mumbai
        3. आचार्य
        4. ज्ञान
        5. दर्शन
        6. महावीर
        7. राजस्थान
        Page statistics
        This page has been viewed 342 times.
        © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
        Home
        About
        Contact us
        Disclaimer
        Social Networking

        HN4U Deutsche Version
        Today's Counter: