Update
👉 विजयनगर, बेंगलुरु - जैन विद्या की परीक्षाओं का आयोजन
👉 विजयनगरम् - तप अभिनंदन समारोह
👉 तिरुपुर - 280 सामूहिक एकासन कर तोडा रिकॉर्ड
👉 हनुमंतनगर (बेंगलुरु): कॉन्फिडेंट पब्लिक स्पीकिंग कार्यशाला का आयोजन
👉 राजाजीनगर (बेंगलुरु): कॉन्फिडेंट पब्लिक स्पीकिंग कार्यशाला का आयोजन
👉 गांधीनगर (बेंगलुरु): सास- बहू का मधुर संबंध कार्यशाला आयोजित
👉 विजयनगर, बेंगलुरु - कॉन्फिडेंट पब्लिक स्पीकिंग कार्यशाला का दीक्षांत समारोह का आयोजन
👉 घाटकोपर (मुंबई) - जीवन मूल्यों का विकास कार्यशाला का आयोजन
👉 विजयनगर (बेंगलुरु): सास- बहू सम्मेलन आयोजित
👉 सैंथिया - जैन विद्या परीक्षा का आयोजन
👉 राउरकेला - जैन विद्या परीक्षाओं का आयोजन
👉 बेहाला कोलकाता - अहिंसा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन
👉 अहमदाबाद - जैन विद्या परीक्षाओं का आयोजन
👉 विशाखापट्टनम - जैन विद्या परीक्षाओं का आयोजन
👉 सिलीगुड़ी - जैन विद्या परीक्षाओं का आयोजन
प्रस्तुति 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
🔰🎌♦♻♻♦🎌🔰
⛩
आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल
माधावरम, चेन्नई
🔮
*गुरवरो धम्म-देसणं*
📒
आचार्य प्रवर के
मुख्य प्रवचन के
कुछ विशेष दृश्य
🏮
कार्यक्रम की
मुख्य झलकियां
📮
दिनांक:
20 नवम्बर 2018
🎯
प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔰🎌♦♻♻♦🎌🔰
Source: © Facebook
Update
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆
जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 473* 📝
*भव्यजन-बोधक आचार्य भूधर*
भूधरजी स्थानकवासी परंपरा के प्रभावशाली आचार्य थे। भूधरजी अनुभवी एवं व्यवहारकुशल थे। गृहस्थ जीवन में भी उन्होंने सम्मान का जीवन जीया। उनकी सामाजिक कार्यों में रुचि थी। वे दूसरों की भलाई के लिए तैयार रहते थे। मुनि जीवन में उन्होंने जन-कल्याण के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उनके साधनामय एवं तपोमय जीवन का धार्मिक जनता पर प्रभाव था।
*गुरु-परंपरा*
भूधरजी के दीक्षा गुरु स्थानकवासी परंपरा के आचार्य धन्नाजी थे। पोतियाबंध संप्रदाय से प्रभावित होकर भूधरजी ने कुछ समय तक उनके संप्रदाय का अनुगमन किया था। वहां उन्हें पूर्ण संतोष नहीं मिल सका। एक बार उनका आचार्य धन्नाजी से संपर्क हुआ। भूधरजी को आचार्य धन्नाजी के विचारों ने प्रभावित किया। सम्यक् प्रकार से चिंतन करने के बाद भूधरजी ने पोतियाबंध संप्रदाय को छोड़कर आचार्य धन्नाजी की परंपरा को स्वीकार किया।
*जन्म एवं परिवार*
राजस्थानान्तर्गत नागौर क्षेत्र (मारवाड़) में मुणोत परिवार में वीर निर्वाण 2182 (विक्रम संवत् 1712) में भूधरजी का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम माणकचंदजी और माता का नाम रूपादेवी था। सोजत निवासी शाहदलाजी रातड़िया मूथा के यहां भूधरजी का विवाह हुआ। पत्नी का नाम कंचनदेवी था।
*जीवन-वृत्त*
भूधरजी का बाह्य व्यक्तित्व भी विशेष प्रभावशाली था। उनके शरीर का गठन सुदृढ़ था। उनको प्रकृति से रूप संपदा प्राप्त थी। उनकी आंखों में लाल झांई दिखाई देती थी। वे बात करने में चतुर थे। उन्हें बचपन से सैनिक शिक्षा प्राप्त करने की रुचि थी। अपनी रुचि के अनुसार उन्होंने युद्ध कला में प्रशिक्षण पाया। उत्तरोत्तर अपने क्षेत्र में विकास करते रहे। योग्यता के आधार पर एक दिन उनकी सेना के उच्च अधिकारी पद पर नियुक्ति हुई। सेना के अधिकारी पद पर उन्होंने कई वर्षों तक कार्य किया।
*भूधरजी को संसार से विरक्ति कैसे हुई...?* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜ 🔆
🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞
अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 127* 📜
*श्रीचंदजी गधैया*
*चिड़ी बना दूंगा*
यदि प्रेमचंदजी रतनगढ़ के उपाश्रय में रहते थे। लोग उन्हें बड़ा करामाती समझते थे, अतः आदर भी करते और डरते भी। तेरापंथ के प्रति उनके मन में अत्यंत द्वेष था। जहां कहीं भी अवसर आता वे निन्दात्मक बातें करने से नहीं चूकते। उनकी इस प्रवृत्ति के कारण तेरापंथियों के मन में उनके प्रति कोई आदर-भाव नहीं था।
तेरापंथ के विरुद्ध उन्होंने 'तेरापंथी नाटक' नाम से एक निंदात्मक पुस्तक लिखकर छपवाई। पता लगने पर तेरापंथियों ने उनके विरुद्ध राज्य में शिकायत की। फलतः पुस्तक को जब्त कर लिया गया और यतिजी पर वारंट काट दिया गया। किसी प्रकार से उन्हें वारंट का पता लग गया, अतः वे कहीं छिप गए। पुलिस ने बड़े परिश्रम के पश्चात् उन्हें पकड़ा और हथकड़ी डाल कर अदालत में उपस्थित किया। बाद में उन पर राजवादी मामला चला। जिसमें उनके एक हजार के मुचलके और एक हजार की ही जमानत हुई। इस समग्र कांड में श्रीचंदजी ने ही प्रमुख रूप से कार्य किया। समाज की ओर से आद्योपांत उन्हीं का परिश्रम चालू रहा।
वह मामला सुजानगढ़ की अदालत में चला, अतः प्रत्येक पेशी पर यतिजी को वहां जाना पड़ता। सरदारशहर से श्रीचंदजी भी जाते। एक बार रेल में दोनों एक ही डिब्बे में बैठे थे। यतिजी ने अपनी मंत्रशक्ति का भय दिखलाते हुए उन्हें धमकी दी कि तुम मेरे से भिड़े हो, जान लेना कि मैं तुम्हें चिड़ी बनाकर उड़ा दूंगा।
श्रीचंदजी ऐसी बातों से डरने वाले नहीं थे। उन्होंने बराबर का उत्तर देते हुए कहा— "तुम मुझे क्या चिड़ी बनाकर उड़ा दोगे? मैं उस गुरु का शिष्य हूं जो पूर्णरूपेण चरित्र निष्ठ हैं। मैं स्वयं एक गृहस्थ होते हुए भी पूर्ण निश्चय के साथ कह सकता हूं कि पत्नीव्रत से कभी चुका नहीं हूं। तब फिर तुम्हारे जैसे चरित्रहीन व्यक्ति मेरा क्या बिगाड़ सकते हैं?"
यतिजी आगे कुछ नहीं बोल सके। बोलने पर शायद अपने पर्दे सबके सम्मुख खुल जाने का उन्हें भय था। श्रीचंदजी को तो और अधिक बोलने की आवश्यकता ही नहीं रह गई थी।
*तेरापंथ का विरोध करने वालों को किन परिणामों से रूबरू होना पड़ा...? एक विशेष घटनाक्रम* के माध्यम से जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞
News in Hindi
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
⛩ *चेन्नई* (माधावरम्): *पूज्यप्रवर के दर्शनार्थ प्रबुद्ध जन..*
💠 *एम.डी.एम.के.पार्टी के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी श्री सत्य मलाया*
💠 *पेरुंथलैवर मक्कल कटची (पार्टी) के संस्थापक अध्यक्ष श्री एन आर धनहबलन*
💠 *लायंस इंटरनेशनल के अंतराष्ट्रीय निदेशक श्री सम्पत*
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook