08.02.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 08.02.2019
Updated: 08.02.2019

News in Hindi

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 534* 📝

*सौम्यस्वभावी आचार्य विजयसमुद्र*

विजयशांतिसूरि मंदिरमार्गी परंपरा के एक और प्रभावक आचार्य थे। विजयशांतिसूरि विश्रुत आचार्य थे। उन्हें योगजन्य चामत्कारिक विद्याएं प्राप्त थीं।

*जीवन-वृत्त*

विजयशांतिसूरि का जन्म वीर निर्वाण 2415 (विक्रम संवत् 1945) में हुआ। धर्मविजयजी और तीर्थविजयजी उनके शिक्षक थे। तीर्थविजयजी से 16 वर्ष की अवस्था में दीक्षित होकर 16 वर्ष तक उन्होंने विभिन्न प्रांतों में धर्म-प्रचारार्थ यात्राएं कीं।

माउंट आबू उनकी साधना स्थली थी। वहां उनका वीर निर्वाण 2447 (विक्रम संवत् 1977) में सर्वप्रथम पदार्पण हुआ। इसी वर्ष उनको आचार्य पद से मंडित किया गया।

उनको वीर निर्वाण 2460 (विक्रम संवत् 1990) में 'जीवदया-प्रतिपालक योगलब्ध राजराजेश्वर' की उपाधि से अलंकृत किया गया।

वीर वाटिका में उनको जगद्गुरु का पद मिला। उदयपुर में नेपाल राजवंशी डेपुटेशन ने 'नेपाल राजगुरु' संबोधन देकर अपने राज्य की ओर से उनका सम्मान किया। नेपाल के अतिरिक्त अन्य विदेशी लोग भी उनसे प्रभावित थे। एक अंग्रेज ने उनका पूर्णतः शिष्यत्व स्वीकार किया।

उनकी उपदेशामृत-वाणी से अनेक व्यक्तियों ने शराब और मांस का परित्याग किया तथा अनेक राजाओं और जागीरदारों ने पशु बलि तक बंद कर दी।

आबू का सुरम्य-शांत वातावरण उनको अधिक पसंद आ गया था। वे अधिकतम वहीं रहे।

*समय-संकेत*

विजयशांतिसूरि का स्वर्गवास 'मांडोली' में हुआ। उन्हें आचार्य पद प्राप्ति वीर निर्वाण 2447 (विक्रम संवत् 1977) में हुई एवं जीवदया प्रतिपालक उपाधि वीर निर्वाण 2460 (विक्रम संवत् 1990) में प्राप्त हुई। इस आधार पर विजयशांतिसूरि वीर निर्वाण 25वीं (विक्रम की 20वीं) शताब्दी के प्रभावक आचार्य थे।

*आत्मसंगीत उद्गाता आचार्य आत्मारामजी के प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 188* 📜

*बालचंदजी कठोतिया*

*धर्म-क्षेत्र में*

बालचंदजी कठोतिया सांसारिक कार्यों में जितने तेज और व्यवस्थित थे उतने ही धार्मिक कार्यों में भी। धर्म के प्रति उनकी आस्था बहुत गहरी और सुदृढ़ थी। सामायिक करने से पूर्व चारों आहारों का त्याग था। प्रतिवर्ष कम से कम एक बार आचार्य श्री के दर्शन अवश्य करते। किसी कारण से यदि वर्ष भर में दर्शन नहीं हो पाते तो वे घी का परित्याग रखते। एक बार दर्शन न होने के कारण उन्हें लगातार कई महीनों तक घी छोड़ना पड़ा। साधु-साध्वियों तथा आचार्यश्री की मार्ग की सेवा में भी वे बहुधा जाया करते थे। ऐसे अवसरों पर अपने परिवार तथा संबंधियों को भी वे अपने साथ ले जाया करते थे। बहली ऊंट तथा नौकरों आदि की पूरी सुविधा वे अपने साथ रखते थे। डालगणी की उन पर पूर्ण कृपा थी। वे उन गणनीय श्रावकों में से थे जो डालगणी से निस्संकोच बात कर लेते थे।

मार्ग की सेवा में जाते तब वे मणों मिठाई अपने साथ गांव में ले जाते। कई बार तो ऊंटों पर बोरों में भरकर लड्डू ले जाते और जिन-जिन गांवों में ठहरते वहां-वहां पूरे गांव में बंटवाते जाते। इसीलिए वे जहां भी जाते वहां लोग उन्हें घेरे रहते।

*अंतिम वर्ष*

जीवन के अंतिम वर्ष में उन्हें संग्रहणी रोग हो गया। विभिन्न प्रकार के उपचार किए गए किंतु वह उपशांत नहीं हुआ। कलकत्ता के सुप्रसिद्ध डॉ. कैलाश बाबू को सुजानगढ़ बुलाया गया। कैलाश बाबू बंगाल में समस्त राजस्थानियों के लिए अत्यंत प्रिय और विश्वसनीय डॉक्टर थे। कलकत्ते से बाहर बुलाने पर उस समय उनकी फीस प्रतिदिन 500 रुपया थी। डॉक्टर आया और सारे शरीर का परीक्षण करने के पश्चात् बोला कि रोग बड़ी भयंकर स्थिति में चला गया है, अतः यहां के बजाय कलकत्ते में ही निश्चिंतता से उपचार किया जा सकता है। पारिवारिकों तथा हितैषियों को वह बात जंची नहीं। शरीर की उस दुर्बल अवस्था में घर से इतनी दूर भेजने में उन्हें अनिष्ट का भय था, किंतु जब डॉक्टर ने दबाव दिया और स्वयं बालचंदजी का मन भी हो गया तब सभी ने ले जाना ही उचित समझा। डॉक्टर ने सबको निश्चिंत करते हुए कहा— "बालचंदजी मेरे मित्र हैं। इसलिए तुम लोगों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मैं इन्हें पूर्ण निरोग करके आप लोगों के पास भेज सकूं इसी आशा के साथ ले जा रहा हूं।"

पूरी व्यवस्था के साथ वे वहां से कलकत्ता के लिए रवाना हुए। डॉक्टर भी उनके साथ ही था। मार्ग में उनकी स्थिति अधिक बिगड़ गई। डॉक्टर ने उन्हें संभालने का पूरा प्रयास किया, फिर भी वह सफल नहीं हो सका। कलकत्ते के लगभग 200 मील पूर्व ही उन्हें बड़े जोर से वमन हुई और उसके थोड़ी देर पश्चात् ही उनका वहीं पर शरीरांत हो गया।

*सुदृढ़ संकल्प शक्ति के धनी राजलदेसर के श्रावक टीकमचंदजी चंडालिया के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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⛩ आज प्रातः *परम पावन पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी* अपनी धवल सेना के साथ *विहार करके* ए के एस नगर, *"कोयम्बत्तूर"* स्थित *"तेरापंथ जैन भवन"* पधारे..
👉 आज के *प्रातःविहार*..,
🏳‍🌈 *तेरापंथ भवन में भव्य जुलूस के साथ पदार्पण..* के कुछ..
✨ *मनोरम दृश्य.. आपके लिए..* देखने के लिए *क्लिक करें..*👇
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दिनांक: 08/02/2019

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🌸 *केरल सरकार ने महातपस्वी महाश्रमण को समर्पित किया 'गेस्ट आफ गवर्नमेंट' का सम्मान*🌸

*आचार्यश्री को इस प्रकार का सम्मान समर्पित करने वाला केरल देश का पन्द्रहवां राज्य*

"अहिंसा यात्रा" के साथ निरंतर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी को केरल सरकार ने अपने राज्य में यात्रा करने के सन्दर्भ में *'गेस्ट आफ गवर्नमेंट'* का सम्मान अर्पित किया है। आचार्यश्री को इस तरह का सम्मान समर्पित करने वाला केरल देश का पन्द्रहवां राज्य है। केरल सरकार ने आचार्यश्री की यात्रा के सन्दर्भ में अपने संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

🙏संप्रसारक🙏
*सूचना एवं प्रसारण विभाग*
*जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा*

प्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

🚩 आज प्रातः *परम पावन पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ विहार करके ए के एस नगर, "कोयम्बत्तूर" स्थित "तेरापंथ जैन भवन" पधारे..
*लोकेशन*
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👉 *आज के प्रातःविहार,*
☀ *तेरापंथ भवन में भव्य जुलूस के साथ पदार्पण..*
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दिनांक: 08/02/2019

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💧 *आत्म-शुद्धि रो साधन साचो धर्म कहावै रे।* 🙏
🌊 *भव - सागर में डूबतां नै पार लगावै रे ।।* 🏝
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🙏 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ प्रातःविहार करके ए के एस नगर, "कोयम्बत्तूर" पधारे..*
🛣 *आज प्रातःकाल का विहार लगभग 03 कि.मी. का..*

⛩ *आज का प्रवास: तेरापंथ जैन भवन, कोयम्बत्तूर (T. N.)*
*लोकेशन:*
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👉 *आज के प्रातःविहार के कुछ मनोरम दृश्य..*
दिनांक: 08/02/2019

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ३९* - *शारीरिक स्वास्थ्य और प्रेक्षाध्यान १*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

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