21.02.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 21.02.2019
Updated: 22.02.2019

Update

📍🌼📍 *नवीन घोषणा* 📍🌼📍

*परमपूज्य गुरुदेव ने महती कृपा कर वि. सं. 2076 का यह नया चातुर्मास फरमाया है --*

💢 *साध्वीश्री सोमलता जी*

*डोम्बिवली, मुम्बई*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

News in Hindi

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 540* 📝

*आनन्दघन आचार्य आनन्दऋषि*

आनंद ऋषि जी स्थानकवासी परंपरा में श्री वर्धमान श्रमण संघ के प्रभावी आचार्य थे। वे संस्कृत, प्राकृत, हिंदी, गुजराती, फारसी, राजस्थानी, उर्दू, अंग्रेजी आदि विभिन्न भाषाओं के विद्वान् थे। मराठी उनकी मातृभाषा थी। उनका कंठ मधुर और ध्वनि प्रचंड थी।

*गुरु-परम्परा*

आनंदऋषिजी के गुरु-परम्परा में ऋषि लवजी, सोमजी आदि प्रभावी आचार्य हुए। आनंदऋषि के दीक्षा गुरु रत्नऋषिजी थे। इसी परंपरा में साहित्यकार संत कवि तिलोकऋषिजी एवं आगमोद्धारक अमोलकऋषिजी हुए। अमोलकऋषिजी के बाद देवऋषिजी हुए। देवऋषिजी के उत्तराधिकारी आनंदऋषिजी हुए हैं। आनंदऋषिजी ऋषि परंपरा के सफल संवाहक तेजस्वी आचार्य थे।

*जन्म एवं परिवार*

आनंदऋषिजी का जन्म महाराष्ट्र प्रांत में अहमदनगर के निकट चिंचोड़ी गांव के गुगलिया परिवार में वीर निर्वाण 2427 (विक्रम संवत् 1957, ईस्वी सन् दिनांक 26 जुलाई 1900) श्रावण के शुक्ल पक्ष में हुआ। उनके पिता का नाम देवीचंदजी तथा माता का नाम हुलासीबाई था। उनके ज्येष्ठ भ्राता का नाम उत्तमचंदजी था। आनंदऋषि का नाम गृहस्थ जीवन में नेमीचंद्र था। घर में प्यार का नाम गोटीराम था।

*जीवन-वृत्त*

आनंदऋषिजी के पिता का देहांत उनकी बाल्यावस्था में हो गया, अतः माता हुलासीदेवी ही बालक का पालन-पोषण करने में माता-पिता दोनों की भूमिका कुशलतापूर्वक वहन करती थी।

हुलासीदेवी का धर्म प्रधान जीवन था। वह पांचों तिथियों पर उपवास करती एवं प्रतिदिन सामायिक करती। पाक्षिक प्रतिक्रमण करती एवं अन्य बहनों की धर्म साधना में सहयोग प्रदान करती थी।

*आनन्दघन आचार्य आनन्दऋषि में वैराग्य भाव का जागरण व मुनि-जीवन* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜ 🔆

🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞

अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 194* 📜

*हीरालालजी लोढा*

*सेवा-परायण*

हीरालालजी लोढा उदयपुर निवासी केसरचंदजी के पुत्र थे। उनका जन्म विक्रम संवत् 1928 में हुआ। दृढ़धर्मी होने के साथ-साथ वे अत्यंत सेवा-परायण भी थे। आचार्य तथा साधु-साध्वियों की सेवा में प्रतिवर्ष वे अपना काफी समय लगाते थे। आचार्यश्री कालूगणी के दर्शन करने को वे प्रतिवर्ष जाया करते और वहां दो-तीन महीनों तक ठहर कर सेवा का लाभ लिया करते थे। उनकी पत्नी नीतू बाई भी बहुधा उनके साथ सेवा में रहा करती थी। दोनों ही अच्छे त्याग-प्रत्याख्यान ज्ञान रखने वाले व्यक्ति थे। दोनों की ही सामायिक आदि धार्मिक क्रियाओं में अच्छी रुचि थी। भावना का भी उनमें विशेष गुण था।

*तुरकिया-कांड*

विक्रम संवत् 1984 में साध्वी चांदकंवरजी ने उदयपुर से विहार किया। वहां से लगभग 20 किलोमीटर पर तुरकिया नामक गांव में वह एक रात ठहरीं। उसी रात को वहां स्थानकवासी साध्वियां भी ठहरी हुई थीं। दोनों स्थान बिल्कुल पास में थे। हीरालालजी वहां सपरिवार सेवा में आए हुए थे। कुछ अन्य व्यक्ति भी थे। सायंकालीन प्रतिक्रमण के पश्चात् दूसरी ओर से तेरापंथ के विरुद्ध कोई नींदात्मक ढाल गाई गई और कुछ ओछे शब्द भी कहे गए, जो कि इधर साफ-साफ सुनाई दे रहे थे। उन शब्दों को सुनकर भूरालालजी नागोरी के नौकर घीसूलाल से रहा नहीं गया। वह वहीं से गुस्से में बोल पड़ा— "कौन है जो ऐसी ओछी जुबान निकाल रहा है? अबके ऐसी बात कही तो मुंह जला डालूंगा।"

जो बिना तिल के भी ताड़ बनाने में निष्णात होते हैं, उनके लिए तिल का ताड़ बना देना तो बहुत ही सहज है। नौकर के द्वारा की गई उस तिल जैसी बात को वस्तुतः ही ताड़ बना डाला गया। दूसरे ही दिन से खूब जोर-शोर के साथ सर्वत्र यह प्रचारित किया गया कि तेरापंथी श्रावक हमारी साध्वियों की मुखवस्त्रिका जलाने तथा इज्जत लेने तक को आ गए। प्रथम उदयपुर में और फिर समग्र समाज में इस बात को इतनी बार और इस प्रकार से दोहराया गया कि सारे समाज की भावनाएं सुलग उठीं।

तेरापंथ के विरुद्ध सदा से ही खार खाए रहने वाले व्यक्तियों को उससे बढ़िया अवसर और कौन सा मिल सकता था? उनकी कूट प्रेरणाएं प्रारंभ हुईं और स्थान-स्थान पर तेरापंथियों के बहिष्कार की योजनाएं बनीं। जहां तेरापंथियों के इक्के-दुक्के घर थे वहां उन लोगों को अनेक प्रकार के कष्ट उठाने पड़े। सारे मेवाड़ में पारस्परिक वैवाहिक संबंध छिन्न-भिन्न हो गए। बहू-बेटियों को बुलाना तथा भेजना बंद हो गया।

*न्यायालय में*

सेवा के लिए तुरकिया में गए श्रावकों में हीरालालजी प्रमुख थे, अतः स्थानकवासी समाज की ओर से उन्हीं के विरुद्ध मुकद्दमा चलाया गया। नीचे की अदालत में उन्हें दोषी माना और एक हजार रुपयों का जुर्माना किया, परंतु ऊपर की अदालत ने उन्हें निर्दोष स्वीकार किया और रुपए वापस कर दिए। इस प्रकार न्यायिक स्तर पर हीरालालजी जीत गए।

न्यायिक स्तर पर पराजित होने पर भी उन लोगों ने तेरापंथियों के प्रति अपना मनमुटाव समाप्त नहीं किया। अनेक वर्षों तक वह यथावत् चलता रहा। हीरालालजी का सामाजिक बहिष्कार तो इतनी तीव्रता के साथ चालू रखा गया कि यदि वे किसी भोज में सम्मिलित होते तो उनके आते ही वे लोग थालियां छोड़ कर उठ खड़े होते।

*उदयपुर के सेवा-परायण श्रावक हीरालालजी लोढा का यह सामाजिक बहिष्कार कैसे समाप्त हुआ...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞

👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

🌀 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके पलक्कड़ पधारेंगे*

🌐 *आज का प्रवास - सह्याद्री कॉलोनी, श्री पार्वती मंडप, चन्द्रनगर, पलक्कड़*

👉 लोकेशन - https://maps.google.com/?cid=

👉 *दिनांक - 21 फरवरी 2019*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *चैतन्य विकास के सोपान: श्रंखला १*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ५२* - *शारीरिक स्वास्थ्य और प्रेक्षाध्यान १४*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Sangh Samvad
          • Publications
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. आचार्य
              2. ज्ञान
              3. दर्शन
              4. भाव
              5. महाराष्ट्र
              6. श्रमण
              Page statistics
              This page has been viewed 268 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: