01.07.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 01.07.2019
Updated: 23.07.2019

Update

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👉 भिक्षुधाम (बैंगलौर) - अणुव्रत का नवीन अंक भेंट

: प्रस्तुति:
*अणुव्रत सोशल मीडिया*

: प्रसारक:
🌻 *संघ संवाद* 🌻

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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 80* 📜

*आचार्यश्री भीखणजी*

*जीवन-संग्राम*

*उदयपुर से निष्कासन*

स्वामीजी शेष काल में एक बार उदयपुर पधारे। वहां गवेषणा करने पर मौके का स्थान मिल गया। लोगों का आगमन काफी होने लगा। विरोधीजनों को वह कैसे अच्छा लग सकता था? उन्होंने स्वामीजी के विरुद्ध अंदर ही अंदर षड्यंत्र करना प्रारंभ कर दिया। उनमें अनेक प्रभावशाली तथा पहुंच वाले व्यक्ति थे। उन्होंने उल्टी-सीधी बातें बताकर महाराणा को भ्रांत कर दिया। महाराणा ने भी आगे पीछे का चिंतन किए बिना एक अविमृश्यकारी की तरह आदेश दे दिया कि भीखणजी को उदयपुर से चले जाने के लिए कह दिया जाए।

महाराणा का आदेश-पत्र लेकर हरकारा स्वामीजी के पास आया और उक्त आदेश से उनको अवगत किया। उस अप्रत्याशित आदेश से स्वामीजी को आश्चर्य अवश्य हुआ, परंतु वे क्षुब्ध किंचित् भी नहीं हुए। सहज भाव से उन्होंने वहां से विहार कर दिया।

उदयपुर में उस समय स्वामीजी के अनेक अनुयायी बन चुके थे। फिर भी वे बहुत स्वल्प थे। विरोधियों की संख्या के सम्मुख तो वे नगण्य थे। न उनके पास बहुत बड़ा अर्थ-बल था और न कोई विशेष पहुंच वाला व्यक्ति ही। महाराणा का आदेश उन्हें अत्यंत अपमानजनक लगा, पर वे कुछ नहीं कर पाए। उन भक्तों में एक मनजी पोरवाल थे। वे मारवाड़ से आकर उदयपुर में बसे थे। व्यापार के द्वारा उन्होंने अच्छा धनार्जन किया था। व्यापारियों आदि में जान-पहचान काफी थी, पर महाराणा तक पहुंचने का कभी अवसर नहीं आया। उन्होंने कभी वैसा प्रयास भी नहीं किया। स्वामीजी के प्रति उनकी अनन्य निष्ठा थी। उनके नगर-त्याग से क्षुब्ध होकर उन्होंने महाराणा से मिलने का निर्णय किया। वे राजसभा में गए और 'नजराना' करके कुछ निवेदन करने की मुद्रा में खड़े हो गए। महाराणा ने उनको अपने समीप बुलाया, तब उन्होंने निवेदन किया कि नगर में सभी प्रकार के लोग रहते हैं। वहां संतों को नगर-त्याग का आदेश देना महाराणा परिवार और उदयपुर की परंपरा के अनुकूल कैसे हो सकता है? महाराणा में तब उनसे स्वामीजी के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त की। सारी स्थिति समझ में आने पर महाराणा को पश्चात्ताप हुआ कि उन्होंने भ्रांत धारणाओं के फेर में आकर संतों का अपमान कर दिया। उन्होंने तत्काल अपना पूर्व आदेश वापस ले लिया। इतना ही नहीं अनुश्रुति है कि उन्होंने मनजी के साथ अपने व्यक्ति को भेजकर स्वामीजी को पुनः उदयपुर पधारने का निवेदन करवाया। स्वामीजी उदयपुर से विहार करके वेदला चले गए थे। महाराणा के निवेदन पर वे पुनः उदयपुर पधार गए।

*नाथद्वारा में स्वामीजी को चातुर्मास के बीच में निष्कासन झेलना पड़ा...* जानेंगे... उक्त घटना के बारे में... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति

🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏

📖 *श्रृंखला -- 68* 📖

*गुणोत्कीर्तन*

गतांक से आगे...

आचार्य मानतुंग की माला में गुंथा गया चौथा पुष्प है— असंख्य। आप असंख्य हैं, संख्या से परे चले गए हैं। मैं आपके गुणों की विशेषताओं की गणना नहीं कर सकता। कोई भी व्यक्ति आपके गुणों का व्याख्यान करने में समर्थ नहीं है। आप के असंख्य गुणों को किसी संख्या में बांधा नहीं जा सकता।

पांचवा पुष्प है— आद्य। आप आद्य हैं। आदिनाथ पहले तीर्थंकर हैं, राजा हैं। चंद चरित्र में ऋषभ की इस विशिष्टता का सुंदर चित्रण है— आप प्रथम राजा हैं, प्रथम मुनि हैं, प्रथम केवली हैं, प्रथम तीर्थंकर हैं, प्रथम प्रजापति हैं। इस प्रकार भगवान ऋषभ के जीवन के साथ अनेक आद्य जुड़े हुए हैं।

छठा पुष्प है— ब्रह्मत्व। आप ब्रह्मा हैं। पौराणिक साहित्य में तीन व्यक्तित्व बताए गए हैं— ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव)। ब्रह्मा सृष्टि की संरचना करता है, विष्णु सृष्टि का पालन करता है, शिव सृष्टि का संहार करता है। सृष्टि का निर्माण, सृष्टि का पालन और सृष्टि का संहार— ये तीन तत्त्व हैं। मानतुंग कहते हैं— आप ब्रह्मा हैं। आपने सृष्टि का सृजन किया है। आचार्य जिनसेन ने ऋषभ के लिए धाता, विधाता, ब्रह्मा, प्रजापति आदि-आदि शब्दों का प्रयोग किया है और इसलिए किया है कि ऋषभ ने समूची समाज व्यवस्था का सृजन किया था। धाता, विधाता कोई पौराणिक हैं या नहीं, किंतु ऋषभ सचमुच धाता, विधाता, ब्रह्मा और प्रजापति हैं।

सातवां पुष्प है— आप ब्रह्मा हैं, ईश्वर हैं। ईश्वर को सृष्टि का कर्ता माना गया है। न्यायशास्त्र में ईश्वर की परिभाषा की गई— *कर्तुमकर्तुमन्यथाकर्तुं क्षमः ईश्वरः*— जो करने में, नहीं करने में और अन्यथा करने में समर्थ है, वह ईश्वर है। ईश्वर काजी को पाजी और पाजी को काजी बना देता है। आप ईश्वर हैं। आपने बहुत कुछ किया है, बहुत कुछ बदला है और बहुत कुछ अन्यथा भी किया है। ऋषभ की गाथा को पढ़ने वाला व्यक्ति यह जानता है कि उन्होंने क्या-क्या किया और कितना बदला? बहुत विचित्र कर्तृत्व रहा ऋषभ का, इसीलिए मानतुंग ने आदिनाथ को ईश्वर की उपमा से उपमित किया है।

आठवां पुष्प है— अनंतता। आप अनंत हैं। अनंत ज्ञान, दर्शन, शक्ति और वीर्य से संपन्न हैं।

*आचार्य मानतुंग ने अपनी माला के नौवें, दसवें और ग्यारहवें पुष्पों में ऋषभ के किन गुणों को गूंथा है...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः

प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
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🧩 *नवीन उद्घोषणा..........*
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*संघ दिवाकर आचार्य श्री महाश्रमण जी* ने महत्ती कृपा करके सन् 2021 अथवा 2022 में *आचार्य तुलसी समाधि स्थल (नैतिकता का शक्ति पीठ)* गंगाशहर में पधारने का फरमाया है।

दिनांक 01-07-2019

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

👉 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के शुभारम्भ समारोह के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रम......*

🔹 इंदौर
🔹 पटना
🔹 श्री गंगानगर
🔹 पांडेसरा, सूरत
🔹 औरंगाबाद
🔹 शोलापुर
🔹 नागपुर
🔹 लिम्बायत,सूरत
🔹 कालबादेवी
🔹 साकरी
🔹 मैसूर
🔹 हिसार
🔹 हुबली

👉 सूरत - श्री उत्सव का आयोजन
👉 मैसूर - 'सीख लें अगर रिश्तों की ABCD तो खुशहाल रहेगी हर पीढ़ी सेमिनार का आयोजन
👉 बल्लारी - अणुव्रत समिति द्वारा "जल ही कल है जल ही जीवन है" कार्यक्रम आयोजित
👉 रायपुर - Connection with opportunity Workshop ज़ायका प्रतियोगिता का आयोजन
👉 भिक्षुधाम (बैंगलौर) - अणुव्रत का नवीन अंक भेंट
👉 सूरत - आओ चलें गांव की ओर कार्यक्रम

प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*

👉 चेन्नई: *श्री प्रदीप कुमार जी बच्छावत द्वारा "तिविहार संथारे" का प्रत्याख्यान..*
प्रेषक: 🙏 *संघ संवाद* 🙏

👉 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के शुभारम्भ समारोह के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रम......*
🔹 सवाईमाधोपुर
🔹 कोटा
🔹हिसार
🔹 दलखोला
🔹 अहमदाबाद
🔹 कांकरिया, मणिनगर (अहमदाबाद)
🔹सिलीगुड़ी
🔹कवास
🔹बेहाला (कोलकाता)
🔹 कोयम्बत्तूर
👉 कोयम्बत्तूर - प्रबोध प्रश्नमंच प्रतियोगिता एवं गीत ये निर्माण के पर आधारित धार्मिक अंताक्षरी आयोजित
👉 कोलकता: बेहाला - 'सीख लें अगर रिस्तों की ABCD,खुशहाल रहेगी हर पीढ़ी कार्यशाला का आयोजन
👉 कोलकाता - आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष एवं सामूहिक शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम
👉 जयपुर शहर - ते.म.म का शपथ ग्रहण समारोह
👉 K.G.F.- कार्यशैली बने सटीक-सिखे नयी नयी तकनीक कार्यशाला का आयोजन

प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला १८०* - *चित्त शुद्धि और श्वास प्रेक्षा ३*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

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🌻 *संघ संवाद* 🌻

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