16.08.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 16.08.2019
Updated: 28.08.2019

Update

👉 बारडोली- स्वतंत्रा दिवस पर नशा मुक्ति रैली व ध्वजारोहण कार्यक्रम
👉 कटक - पौधारोपण एवं नशामुक्ति सेमिनार का आयोजन
👉 सादुलपुर - प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन
👉 बल्लारी - स्वतन्त्रता दिवस के कार्यक्रम का आयोजन
👉 अहमदाबाद - 73 वें स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 अहमदाबाद - स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में अणुव्रत समिति की सहभागिता
👉 अहमदाबाद - रक्षाबंधन का त्यौंहार दिव्यांग बहिनों के मध्य आयोजित
👉 कुर्ला, मुम्बई - सामूहिक आयम्बिल तप का आयोजन
👉 उदयपुर - दिव्यांग बच्चों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार
👉 उदयपुर - दिव्यांग बच्चों के साथ स्वतन्त्रता दिवस कार्यक्रम
👉 राजाराजेश्वरी नगर (बेंगलुरु) - तेयुप द्वारा लिवर फंक्शन टेस्टिंग
👉 बेंगलुरु - निशुल्क किडनी फंक्शनल जांच शिविर का आयोजन
👉 बेंगलुरु - स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम
👉 कोटा ~ ते.म.म. द्वारा स्वाधीनता दिवस पर झंडारोहण कार्यक्रम
👉 औरंगाबाद - ते.म.म. बीड़ का शपथ ग्रहण समारोह
👉 कटक ~ जल संरक्षण विषयक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित
👉 जीन्द - सामायिक कार्यशाला का आयोजन
👉 दक्षिण हावड़ा - 73 वें स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 मदुरै - स्वस्थ परिवार स्वस्थ समाज कार्यशाला
👉 चिकमंगलूर - स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित

प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*

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'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...

🔰 *सम्बोधि* 🔰

📜 *श्रृंखला -- 13* 📜

*अध्याय~~1*

*॥स्थिरीकरण॥*

*8. चिरं प्रतीक्षितो रश्मिः रवेरुदयमासदत्।*
*महावीरस्य सान्निध्यमभजत् सोऽपि चञ्चलः।।*

चिर प्रतीक्षित सूर्य की पहली किरण प्रकट हुई। वह अस्थिर विचारों को लेकर भगवान महावीर के पास पहुंचा।

*9. विधाय वन्दनां नम्रः, विदधत् पर्युपासनाम्।*
*विनयावनतस्तस्थौ, विवक्षुरपि मौनभाक्।।*

वह विनयावनत हो भगवान को वंदना कर उनकी पर्युपासना में बैठ गया। वह बोलना चाहता था, फिर भी संकोचवश मौन रहा।

*10. कोमलं भगवान् प्राह, मेघ! वैराग्यवानपि।*
*इयता स्वल्पकष्टेन, कातरस्त्वमियानभूः।।*

भगवान ने कोमल स्वर में कहा— मेघ! तू विरक्त होते हुए भी इतने थोड़े से कष्ट से इतना अधीर हो गया?

*11. पश्य स्तिमितया दृष्ट्या, कष्टं तत्पौर्वदेहिकम्।*
*असम्यक्त्वदशायाञ्च, वत्स! सोढं त्वया हि यत्।।*

वत्स! तू अपने मन को एकाग्र बना और स्थिर-शांत दृष्टि से अपने पूर्वजन्म के कष्ट को देख। उस समय तू सम्यक्-दृष्टि नहीं था, फिर भी तूने अपार कष्ट सहा था।

💠 *मेघः प्राह*

*12. कथं मयाऽथ किं कष्टं, स्वीकृतं ब्रूहि तत् प्रभो!*
*न स्मरामि न जानामीत्यस्मि बोद्धुं समुत्सुकः।।*

मेघ बोला— प्रभो! मैंने क्या कष्ट सहा और कैसे सहा? वह न मुझे याद है और न मैं उसे जानता ही हूं। प्रभो! मैं उसे जानने को उत्सुक हूं। आप मुझे बताएं।

*किस कारण से प्राणी पूर्वजन्म की घटना नहीं जानता... भगवान महावीर ने मेघ की जिज्ञासा को कैसे समाहित किया...?* आगे के श्लोकों में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...

प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति

🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏

📖 *श्रृंखला -- 104* 📖

*अभय: प्रकम्पन और परिणमन*

गतांक से आगे...

यह परिणमन का सिद्धांत है, प्रकंपनों का सिद्धांत है। इसकी स्थूल जगत् में व्याख्या नहीं की जा सकती। अमेरिका की एक पत्रिका में ऐसी घटनाओं की चर्चा हुई है। मनोवैज्ञानिक ने फोटो लिया मनुष्य के मस्तिष्क का और उसमें चित्र आया बहुत बड़ी कार का। फोटो लिया मस्तिष्क का और चित्र आया विशाल मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का। मस्तिष्क में कार और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का फोटो कैसे आया? यह परिणमन का सिद्धांत है— जिस समय आप जो भाव कर रहे हैं, भीतरी जगत् में वह परिणमन हो जाता है। बाहर में यह लगेगा— यह मनुष्य है, यह मनुष्य का मस्तिष्क है, किंतु भीतर में परिणमन हो रहा है कार का, मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का अथवा उस वस्तु विशेष का, जिसके बारे में आप सोच रहे हैं, चिंतन कर रहे हैं। जिस रूप में मन की आकांक्षा है, उसी रूप में परिणाम होता है। जैन दर्शन का सिद्धांत रहा— *जं जं भावे आविसई, तं तं भावे परिणमइ*— व्यक्ति जिस-जिस भाव से आविष्ट हो जाता है, उस-उस भाव में परिणत हो जाता है। यह स्थूल जगत् की भाषा है— यह आदमी है। सूक्ष्म जगत् की, निश्चय नय की भाषा इससे भिन्न है। निश्चय नय की भाषा में कभी वह आदमी होगा, कभी वह घोड़ा होगा, कभी वह हाथी अथवा सिंह होगा। जिस पदार्थ या वस्तु के विषय में चिंतन कर रहा है, उसी रूप में परिणमन हो जाएगा। यह सूक्ष्म जगत् का नियम स्थूल जगत् से भिन्न है।

इस प्रकंपन और परिणमन के सिद्धांत के आधार पर हम इस कथ्य के यथार्थ व्याख्या कर सकते हैं— जिस समय आदमी सिंह को देखता है, उस समय डरता नहीं है। यदि वह डर जाए, तो संभवतः मर जाए। मानतुंग कहते हैं— सिंह को देखकर आदमी आपकी स्तुति में चला जाता है, आप की स्मृति में चला जाता है। जिस समय वह आदिनाथ की स्तुति और स्मृति करता है, उस समय वह स्वयं आदिनाथ बन जाता है। जयाचार्य ने लिखा—

*पाथांना करतां भणी, पाथा कहिये ताहि।*

भाव पाथा वह है, जो पाथा का कर्ता है। वह द्रव्य पाथा है, जो एक किलो का पत्थर है। वास्तविकता पाथा वही है, जो पाथा का कर्ता है। जो पाथा को जानता है, पाथा के अर्थ को जानता है, जो पाथा में उपयुक्त है, वह पाथा है।

*भाव आदिनाथ कौन है...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 116* 📜

*आचार्यश्री भीखणजी*

*जीवन के विविध पहलू*

*5. समझाने की उत्तम पद्धति*

*सात या आठ आत्मा*

माधोपुर के तत्त्वज्ञ श्रावक गूजरमलजी और केसूरामजी एक दिन तत्त्व-चर्चा करते हुए झगड़ पड़े। गूजरमलजी श्रावक में आठ आत्मा बतलाते थे, तो केसूरामजी सात। केसूरामजी श्रावक में चारित्र आत्मा स्वीकार नहीं करते थे। उनके विपरीत गूजरमलजी का कथन था कि श्रावक में चारित्र आत्मा न हो, तो किसी एक वस्तु के त्याग से लेकर बारह व्रतों के धारण करने तक का कार्य निरर्थक हो जाएगा। दोनों का मतभेद शीघ्र ही मनभेद में परिणत हो गया।

विक्रम संवत 1848 में स्वामीजी माधोपुर पधारे। दोनों श्रावक सेवा में उपस्थित हुए, पर स्वामीजी ने एकांत में किसी से बात नहीं की। दोनों आमने-सामने बैठे, तब उन्होंने उनकी सारी बात सुनी और कहा— 'श्रावक जो भी त्याग करता है, वह देश चारित्र कहलाता है। आगम में चारित्र के पांच भेद बतलाए हैं, उनमें देश चारित्र को नहीं गिना गया है, इसीलिए पूर्ण चारित्र की अपेक्षा से श्रावक में चारित्र आत्मा नहीं मानी जाती।'

स्वामीजी के उक्त कथन से गूजरमलजी को वह तत्व हृदयंगम हो गया। केसूरामजी के साथ उनका मनभेद भी उसी के साथ समाप्त हो गया।

*पूर्वजों का अस्तित्व*

एक बार केलवा के ठाकुर मोखमसिंहजी ने स्वामीजी से पूछा— 'आप आगम सुनाते हैं, उसमें भूत और भविष्य संबंधी अनेक घटनाएं आती हैं, परंतु उन्हें किसी ने देखा नहीं है, अतः वे सत्य हैं या नहीं, इसका निर्णय कैसे हो?'

स्वामीजी ने कहा— 'तुम अपने पूर्वजों के नाम तथा उनके जीवन-संबंधी अनेक घटनाएं जानते हो, परंतु उनको तुमने देखा नहीं है, तब उनकी सत्यता पर कैसे विश्वास करते हो?'

ठाकुर बोले— 'पूर्वजों के नाम तथा उनकी जीवनियां भाटों की पुस्तकों में लिखी हुई हैं, उन्हीं के आधार पर हम जानते हैं।'

स्वामी जी ने कहा— 'भाटों के असत्य बोलने तथा लिखने का त्याग नहीं है, फिर भी उनकी लिखी घटनाओं को सत्य मानते हो, तब ज्ञानियों द्वारा प्ररूपित शास्त्रों को सत्य मानने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।'

ठाकुर बड़े प्रसन्न हुए और कहने लगे— 'प्रश्नों का ऐसा प्रभावशाली उत्तर देने वाला अन्य कोई व्यक्ति मैंने नहीं देखा।'

*स्वामीजी के समझाने का तरीका उजागर करने वाले और भी घटना प्रसंगों से...* रूबरू होंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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👉 वणी (महा) - बंधन सात फेरो का दंपत्ति शिविर का आयोजन
👉 गदग - स्वास्थ्य आहार का सेवन श्रेष्ठ आरोग्य हर श्रण' की कार्यशाला
👉 मैसूर - तेयुप शपथ ग्रहण समारोह
👉 मैसूर - स्वतंत्रता दिवस का आयोजन
👉 बल्लारी ~ हैप्पी एंड हॉर्मोनियस फैमिली सेमिनार का आयोजन
👉 सरदारशहर ~ तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान
👉 उधना, सूरत - महिला मंडल द्वारा स्वतंत्रता दिवस का आयोजन
👉 मध्य कोलकाता - स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 जलगांव - स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन का कार्यक्रम आयोजित
👉 हावड़ा - स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 टिटलागढ़ ~ स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 भीलवाड़ा - मुनि श्री मोहजीत कुमार जी द्वारा अठाई की तपस्या
👉 बेंगलुरु - अणुव्रत समिति द्वारा स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 इंदौर - स्वतंत्रता दिवस पर झण्डारोहण का कार्यक्रम
👉 अहमदाबाद ~ माँ तुझे सलाम - फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन
👉 पाली ~ ध्वजारोहण एवं पौधारोपण का कार्यक्रम आयोजित
👉 कोयम्बत्तूर - स्वतंत्रता दिवस पर लोग्गस कल्प अनुष्ठान एवं विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
👉 मदुरै - स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 ट्रिप्लीकेन: चेन्नई - स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन का कार्यक्रम आयोजित

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Video

बेंगलुरु में दिनांक 15 अगस्त को पक्खी के अवसर पर 'संघ महानिदेशिका', मातृहृदया 'असाधारण' साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी के मंगल सान्निध्य में "साध्वीवृन्द द्वारा सामूहिक खमतखामणा" का संक्षिप्त वीडियो..

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⛩ *बेंगलुरु में* दिनांक 15 अगस्त को..

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पक्खी के अवसर पर *'संघ महानिदेशिका', मातृहृदया 'असाधारण' साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी* के मंगल सान्निध्य में *"साध्वीवृन्द द्वारा सामूहिक खमतखामणा"* का संक्षिप्त वीडियो..

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🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*

💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_

📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की कुछ विशेष_
*_झलकियां_ _________*

🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*

⌚ _दिनांक_: *_16 अगस्त 2019_*

🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*

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Update

बेंगलुरु में दिनांक 15 अगस्त को पक्खी के अवसर पर 'असाधारण' साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी के मंगल सान्निध्य में "साध्वीवृन्द द्वारा सामूहिक खमतखामणा" का संक्षिप्त वीडियो..

News in Hindi

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आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ
चेतना सेवा केन्द्र,
कुम्बलगुड़ु,
बेंगलुरु,


महाश्रमण चरणों में

📮
: दिनांक:
16 अगस्त 2019

🎯
: प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २२६* - *चित्त शुद्धि और अनुप्रेक्षा १३*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन

👉 *#साधना #स्वास्थ्य और #आहार*: #श्रंखला ४*

एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482

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              6. ज्ञान
              7. तीर्थंकर
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              9. भाव
              10. महावीर
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