जवानी के जोश में माँ बाप को भुला देना उचित नही: आचार्य ज्ञानसागर मुनिराज
टोक: दिगंबर जैन नसिया, अमीरगंज में परम पूज्य आचार्य 108 ज्ञानसागर मुनिराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जवानी के जोश में माँ बाप को भुला देना उचित नही, बड़े बूढ़े की अच्छी भावनाओं से एवं उनके आशीष से बिगड़े हुए काम भी बड़े सहजता से एवं आसानी से हो जाते, जिन मां बाप ने आपको यहां तक लाकर खड़ा किया है!
आपके कुछ कर्तव्य हैं, स्मरण करो कि आपके माता पिता ने आपका लालन पालन पोषण किन परिस्थितियों में किया होगा जवानी के जोश में माता-पिता को ना भूले किसी भी परिस्थिति हो, धर्म पर पूर्ण रुप से विश्वास रखना चाहिए धर्म पर विश्वास रखने से बड़ी-बड़ी परेशानियां टल जाती है।
टोक: दिगंबर जैन नसिया, अमीरगंज में परम पूज्य आचार्य 108 ज्ञानसागर मुनिराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जवानी के जोश में माँ बाप को भुला देना उचित नही, बड़े बूढ़े की अच्छी भावनाओं से एवं उनके आशीष से बिगड़े हुए काम भी बड़े सहजता से एवं आसानी से हो जाते, जिन मां बाप ने आपको यहां तक लाकर खड़ा किया है!
आपके कुछ कर्तव्य हैं, स्मरण करो कि आपके माता पिता ने आपका लालन पालन पोषण किन परिस्थितियों में किया होगा जवानी के जोश में माता-पिता को ना भूले किसी भी परिस्थिति हो, धर्म पर पूर्ण रुप से विश्वास रखना चाहिए धर्म पर विश्वास रखने से बड़ी-बड़ी परेशानियां टल जाती है।
षष्ठपट्टाचार्य पूज्य सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ का 93वां जेल प्रवचन कल दिनांक 18 जनवरी 2020 को जिला जेल टोंक (राज.) में हुआ।
आचार्य श्री ने कैदियों को संबोधित किया तो सभी कैदियो की आंखे भर आयी और सभी ने आचार्यश्री के समक्ष किया प्रण लिया की जेल से जाने के बाद हम अपराधो मे पुनः लिप्त नही होगे और जीवन में मांसाहार और शराब से भी दूर रहेंगे।
आचार्य श्री की वाणी ने कैदियों को अंदर से झकझोर कर रख दिया, यह ऐसा क्षण था जिसने भी पूज्य श्री की वाणी सुनी वह सभी भावुक हो गये। धन्य है ऐसे संत जो जन जन के कल्याण की भावना रखते हैं।
आचार्य श्री ने कैदियों को संबोधित किया तो सभी कैदियो की आंखे भर आयी और सभी ने आचार्यश्री के समक्ष किया प्रण लिया की जेल से जाने के बाद हम अपराधो मे पुनः लिप्त नही होगे और जीवन में मांसाहार और शराब से भी दूर रहेंगे।
आचार्य श्री की वाणी ने कैदियों को अंदर से झकझोर कर रख दिया, यह ऐसा क्षण था जिसने भी पूज्य श्री की वाणी सुनी वह सभी भावुक हो गये। धन्य है ऐसे संत जो जन जन के कल्याण की भावना रखते हैं।