🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ३८४* ~ *जप और ध्यान: ७*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
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👉 बेहाला, कोलकाता - तेमम द्वारा सेवा कार्य
👉 बारडोली - नशा मुक्ति अभियान
👉 जयपुर शहर - तेमम द्वारा सेवा कार्य
👉 जोरहाट - स्व से शिखर तक कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर शहर - "भावनाएं" कार्यक्रम का आयोजन
प्रस्तुति - *🌻 संघ संवाद 🌻*
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👉 जयपुर शहर - तेमम द्वारा सेवा कार्य
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प्रस्तुति - *🌻 संघ संवाद 🌻*
*प्रेरणा पाथेय:-आचार्य श्री महाश्रमणजी - 19 January 2020, का वीडियो-प्रस्तुति~अमृतवाणी*
*संप्रसारक: 🌻संघ संवाद*🌻
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🙏 *जोधपुर*: *'शासन श्री' साध्वी श्री रामकुमारी जी का "चोविहार संथारे" में देवलोकगमन*
🙏 *संघ संवाद* 🙏
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卐🌼🔺🕉अर्हम् 🕉 🔺🌼卐
🌸 *परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा* 🌸
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*(संभावित कार्यक्रम)*
*19 जनवरी 2020, रविवार*
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*प्रवास स्थल*
K.H. Patil Krishi Vigyan Kendra
Near Hulkoti, Karnataka 582205, India
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*लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे*
https://maps.app.goo.gl/Fyh1GeveK8cZzW89A
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*(संभावित यात्रा- 12.7 km*)
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*प्रस्तुति 🌻संघ संवाद*🌻
卐🌼🔺🕉अर्हम् 🕉 🔺🌼卐
🌸 *परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा* 🌸
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*19 जनवरी 2020, रविवार*
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*(संभावित यात्रा- 12.7 km*)
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*प्रस्तुति 🌻संघ संवाद*🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 235* 📜
*आचार्यश्री रायचन्दजी*
*उत्तराधिकार-प्राप्ति*
*दो नाम*
आचार्य भारमलजी ने युवाचार्य-पद पर नियुक्ति कर देने का निश्चय किया और नियुक्ति-पत्र लिखवाया। वृद्धावस्था के कारण वे स्वयं लिखने की स्थिति में नहीं थे, अतः अन्य से लिखवाया। प्रथम आधी पंक्ति और अन्तिम पूरी पंक्ति स्वयं के हाथ से लिखी और शेष सारा पत्र मुनि जीतमलजी ने लिखा— ऐसा उस पत्र की लिपि से ज्ञात होता है। आचार्यश्री ने छठी पंक्ति में लिखवाया— '...सर्व साधु-साधवी खेतसीजी
रायचन्दजी री आगन्या मांहें चालणो...' मुनि खेतसीजी तथा मुनि हेमराजजी द्वारा मुनि रायचन्दजी के नाम का स्पष्ट समर्थन कर देने के पश्चात् भी आचार्यश्री के मन में कुछ चिंतन रहा प्रतीत होता है, अन्यथा दो नाम लिखाने का कोई कारण दृष्टिगत नहीं होता। मुनि जीतमलजी ने दो नाम लिख तो दिये, परन्तु उनकी कलम भी ठिठक कर वहीं खड़ी रह गई।
मुनिश्री ने निवेदन किया— 'गुरुदेव! आप जिसे भी उपयुक्त समझें उसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करें, परन्तु नाम एक ही होना चाहिए। दो नाम किसी भी स्थिति में नहीं रहने चाहिए।'
आचार्यश्री ने कहा— 'दोनों एक ही तो हैं। मामा-भानजे हैं, अतः परस्पर भेद जैसी कोई बात नहीं है।'
मुनि जीतमलजी ने साहस करके फिर कहा— 'नहीं गुरुदेव! पद के विषय में न कोई विवादास्पद स्थिति रहनी चाहिए और न कोई मनुहार एवं तुष्टीकरण का ही प्रसंग आना चाहिए। मेरा पुनः नम्र निवेदन है कि आप कोई एक ही नाम रखें।'
आचार्यश्री ने उनके सुझाव को उपयुक्त माना, अतः प्रथम नाम पर कुछ बिन्दु लगवाकर उसे अप्रभावी बना दिया। स्वभावतः ही तब नियुक्ति-पत्र में आगे सर्वत्र मुनि रायचन्दजी का ही एक नाम लिखा गया।
*पद-समर्पण*
नियुक्ति-पत्र को सबके सम्मुख पढ़कर सुनाया गया और फिर सबके हस्ताक्षर लिये गये। आचार्य भारमलजी ने उस समय अपनी चादर मुनि रायचन्दजी को उढ़ाकर विधिवत् युवाचार्य-पद समर्पित कर दिया। यह कार्य विक्रम सम्वत् 1877 (चैत्रादि 1878) वैशाख कृष्णा 9 गुरुवार के दिन केलवा में सम्पन्न हुआ।
आचार्य भारमलजी ने उस कार्य से एक दिन पूर्व वैशाख कृष्णा 8 को ही संलेखना तप प्रारम्भ किया था। सर्वप्रथम तेला किया। युवाचार्य-पद प्रदान किया उस दिन आचार्यश्री के प्रथम तेले की तपस्या का दूसरा दिन— बेला था।
*मुनि रायचन्दजी को युवाचार्य-पद देने पर कुछ गृहस्थों में ऊहापोह का वातावरण उभर आया... क्यों...* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 235* 📜
*आचार्यश्री रायचन्दजी*
*उत्तराधिकार-प्राप्ति*
*दो नाम*
आचार्य भारमलजी ने युवाचार्य-पद पर नियुक्ति कर देने का निश्चय किया और नियुक्ति-पत्र लिखवाया। वृद्धावस्था के कारण वे स्वयं लिखने की स्थिति में नहीं थे, अतः अन्य से लिखवाया। प्रथम आधी पंक्ति और अन्तिम पूरी पंक्ति स्वयं के हाथ से लिखी और शेष सारा पत्र मुनि जीतमलजी ने लिखा— ऐसा उस पत्र की लिपि से ज्ञात होता है। आचार्यश्री ने छठी पंक्ति में लिखवाया— '...सर्व साधु-साधवी खेतसीजी
रायचन्दजी री आगन्या मांहें चालणो...' मुनि खेतसीजी तथा मुनि हेमराजजी द्वारा मुनि रायचन्दजी के नाम का स्पष्ट समर्थन कर देने के पश्चात् भी आचार्यश्री के मन में कुछ चिंतन रहा प्रतीत होता है, अन्यथा दो नाम लिखाने का कोई कारण दृष्टिगत नहीं होता। मुनि जीतमलजी ने दो नाम लिख तो दिये, परन्तु उनकी कलम भी ठिठक कर वहीं खड़ी रह गई।
मुनिश्री ने निवेदन किया— 'गुरुदेव! आप जिसे भी उपयुक्त समझें उसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करें, परन्तु नाम एक ही होना चाहिए। दो नाम किसी भी स्थिति में नहीं रहने चाहिए।'
आचार्यश्री ने कहा— 'दोनों एक ही तो हैं। मामा-भानजे हैं, अतः परस्पर भेद जैसी कोई बात नहीं है।'
मुनि जीतमलजी ने साहस करके फिर कहा— 'नहीं गुरुदेव! पद के विषय में न कोई विवादास्पद स्थिति रहनी चाहिए और न कोई मनुहार एवं तुष्टीकरण का ही प्रसंग आना चाहिए। मेरा पुनः नम्र निवेदन है कि आप कोई एक ही नाम रखें।'
आचार्यश्री ने उनके सुझाव को उपयुक्त माना, अतः प्रथम नाम पर कुछ बिन्दु लगवाकर उसे अप्रभावी बना दिया। स्वभावतः ही तब नियुक्ति-पत्र में आगे सर्वत्र मुनि रायचन्दजी का ही एक नाम लिखा गया।
*पद-समर्पण*
नियुक्ति-पत्र को सबके सम्मुख पढ़कर सुनाया गया और फिर सबके हस्ताक्षर लिये गये। आचार्य भारमलजी ने उस समय अपनी चादर मुनि रायचन्दजी को उढ़ाकर विधिवत् युवाचार्य-पद समर्पित कर दिया। यह कार्य विक्रम सम्वत् 1877 (चैत्रादि 1878) वैशाख कृष्णा 9 गुरुवार के दिन केलवा में सम्पन्न हुआ।
आचार्य भारमलजी ने उस कार्य से एक दिन पूर्व वैशाख कृष्णा 8 को ही संलेखना तप प्रारम्भ किया था। सर्वप्रथम तेला किया। युवाचार्य-पद प्रदान किया उस दिन आचार्यश्री के प्रथम तेले की तपस्या का दूसरा दिन— बेला था।
*मुनि रायचन्दजी को युवाचार्य-पद देने पर कुछ गृहस्थों में ऊहापोह का वातावरण उभर आया... क्यों...* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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👉 पूर्वांचल कोलकाता ~ युगल कार्यशाला का आयोजन
👉 गांधीनगर, बेंगलुरु- महिला मंडल द्वारा स्व से शिखर तक कार्यशाला आयोजित
👉 राजराजेश्वरीनगर, बेंगलुरु- जैन संस्कार विधि के प्रगति मान प्रयोग
प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद🌻*
👉 गांधीनगर, बेंगलुरु- महिला मंडल द्वारा स्व से शिखर तक कार्यशाला आयोजित
👉 राजराजेश्वरीनगर, बेंगलुरु- जैन संस्कार विधि के प्रगति मान प्रयोग
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*दीक्षा समारोह,पावन सानिध्य:-आचार्य श्री महाश्रमणजी - 18 January 2020, का वीडियो-प्रस्तुति~अमृतवाणी*
*संप्रसारक:🌻 संघ संवाद*🌻
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