ShortNews in English
Balotara: 13.05.2012
Acharya Mahashraman said that Samlekhana is good way to die. Like art of living there is also art of dying with peace and Samadhi.
News in Hindi
आचार्य ने संलेखना पूर्वक मृत्यु वरण की उपादेयता बताते हुए कहा कि जैसे जीवन जीने का तरीका होता है वैसे ही मरने का भी एक तरीका होता है। आदमी प्रयास करे कि उसके प्राण अनशन पूर्वक, समाधिपूर्वक व आत्मलीनता में छूटे। उसके प्राण अध्यात्म के माहौल में छूटे। इसलिए व्यक्ति का प्रयास रहे कि उसका मरण तपस्या व समाधिकरण में हो। उन्होंने कहा कि त्याग, तप बढऩे पर आत्मा निर्मल को प्राप्त होती है। ऊनोदरी, नवकारसी, आलोयना, साधुओं को वंदना करना, सेवा, स्वाध्याय, व्याख्यान देना, प्रवचन सुनना, संघ की सेवा करना भी निर्जरा है।
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि धर्म का जागरण जिस व्यक्ति के जीवन में आ जाता है वह स्वयं के साथ औरों को भी जगाता है। वह परिवार भाग्यशाली है जिस परिवार का प्रत्येक सदस्य धार्मिक हो। धार्मिक परिवेश वाले परिवार में देवता भी आने चाहते हैं। उन्होंने कहा कि व्यवहार की पढ़ाई के साथ धर्म की शिक्षा भी जुड़ जाए तो वह श्रुत संपन्न बन जाता है। कार्यक्रम की शुरूआत में मुनि राजकुमार ने 'जो गुण मिलते हैं उन्हें अपनाते जाएं' गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में लाडनूं महिला मंडल की ओर से अभाते महिला मंडल की महामंत्री पुष्पा वैद और तेरापंथ सभा भीलवाड़ा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष शैलेन्द्र बोरदिया ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।