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Jasol: 26.07.2012
Acharya Mahashraman while addressing workshop for Jeeven Vigyan trainer told that speaking power is art. People should possess quality in life. Jeevan Vigyan teaches us to control our emotion.
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वाणी में गुणवत्ता जरूरी: आचार्य श्री
जसोल २६ जुलाई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य श्री महाश्रमणजी ने जीवन विज्ञान अकादमी की ओर से आयोजित जीवन विज्ञान प्रशिक्षक कार्यकर्ता सम्मेलन 2012 में व्यक्तित्व निर्माण के आधार पर जीवन विज्ञान विषय पर कहा कि आदमी के शारीरिक व्यक्तित्व का महत्व होता है पर आदमी के जीवन के गुण अच्छे होने चाहिए। शारीरिक व्यक्तित्व में व्यक्ति का स्वस्थ होना चाहिए। आदमी में प्रतिकूल परिस्थितियों को झेलने व भाग-दौड़ कर सकने की क्षमता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का वाचिक व्यक्तित्व भी अच्छा होना चाहिए। बोलना एक कला है और व्यक्ति की वाणी में गुणवत्ता होनी चाहिए। बात को लंबा करना वाणी का विष है और निसार बोलना भी दोष है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति सीमित बोले। आचार्य बुधवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदमी अच्छा चिंतन करें। अच्छे चिंतन से व्यक्ति सुखी बन जाता है। व्यक्ति चिंतन को यथार्थपरक बनाएं। व्यक्ति का मनोबल मजबूत रहे। जीवन विज्ञान के बारे में आचार्य ने कहा कि जीवन-विज्ञान के प्रयोग से मानसिक प्रवृत्तियों का विकास होना चाहिए। जिस व्यक्ति के भाव व मन शुद्ध रहते हैं, जो प्रमाद नहीं करता, उसके कषाय नहीं है वह व्यक्ति महान साधक होता है। भाव शुद्धि की महत्वता के बारे में आचार्य ने कहा कि जीवन विज्ञान की केंद्रीय बात भावनात्मक विकास है। उन्होंने कहा कि पुरुष अनेक चित्तो वाला होता है। आदमी के भीतर विभिन्न भाव होते हैं। व्यक्ति में कभी ऋजुता तो कभी छलना की प्रवृत्ति देखी जा सकती है। व्यक्ति में हिंसा व अहिंसा, अच्छे व बुरे, सद्भाव व असद्भाव आदि भाव देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति लक्ष्य हिंसा से अहिंसा, सत से असत की ओर जाने का हो। आदमी के भीतर संकल्प जाग जाता है। वह लक्ष्य सही लेता है तो आगे बढ़ जाता है।
मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी ने कहा कि हंसकर जीवन जीने वाला व्यक्ति अपनी सांसों का आनंद लेता है। जीवन विज्ञान व्यक्ति को हर परिस्थितियों में मुस्कुराना सिखाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र का जीवन-विज्ञान बन जाए। पारिवारिक जीवन भी अच्छा बन जाए। जीवन-विज्ञान क्रम आने से भावात्मक समस्या खत्म हो जाती है। जीवन विज्ञान शरीर, मन, भाव को स्वस्थ रहने की सीख देता है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि महावीर कुमारजी की ओर से शिक्षा का नव अभियान हो गीत प्रस्तुत किया गया। मुनि किशनलालजी ने जीवन विज्ञान के संदर्भ में विचार व्यक्त किए। जीवन विज्ञान सह संरक्षक सुरेश कोठारी, प्रशिक्षक विक्रम सेठिया, जीवन विज्ञान अकादमी, जसोल के अध्यक्ष रमेश बोहरा ने भी विचार व्यक्त किए।