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Hundo Ki Dhani: 24.12.2012
Muni Dhruv Kumar is Speaking in Presence of Acharya Mahashraman.
News in Hindi
मनुष्य के काम का है महत्व'
हुडो की ढाणी 24 दिसम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जीवन की अनित्यता का बोध कराने वाले अपने प्रेरणादायी पाथेय में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आदमी धन-वैभव में आसक्त होकर अमर की तरह आचरण करने लग जाता है। पर कोई भी प्राणी जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु अवश्यभावी है। नाम भले ही अमर हो पर मरना सबको है। देवताओं को भी आयुष्य पूरा होता है। ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने हुडो की ढाणी में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आदमी के नाम का महत्व काम की तुलना में गौण है। जिस प्रकार पेड़ के पके पीले पान गिर जाते हैं। उसी प्रकार मनुष्य जीवन समाप्त हो जाता है। मृत्यु के लिए कोई भी समय अनवसर नहीं होता है। मृत्यु कभी भी आ सकती है। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि आदमी सत्पुरुषार्थ में विश्वास करें। व्यक्ति अच्छा ज्ञान, ध्यान, काम व साधना करें। बाकी जो नियति में है, वह अपने आप हो जाएगा। व्यक्ति प्रमाद व पाप कर्मों से बचने का प्रयास करें। मंत्री मुनि सुमेरमल ने धर्म को आत्मशुद्धि का साधन बताते हुए कहा कि जब व्यक्ति धर्म को जीवन में अपनाता है तब आत्मशुद्धि होती है। बिना अपनाए, केवल सुनने मात्र से व्यक्ति आगे नहीं बढ़ सकता। उत्थान तभी होता है जब धर्म जीवन में उतार लिया जाए और मनुष्य जीवन धर्म को आत्मसात करने की अच्छी योनि है। कार्यक्रम में मुनि राजकुमार ने 'आत्मशुद्धि रो साधन साचो धर्म कहावै रहे' तथा बाल मुनि ध्रुवकुमार ने 'संयम बिना है जीवन अधूरा' गीत का संगान किया। कार्यक्रम में अंत में आचार्य ने उपस्थित विद्यार्थियों को नशामुक्ति का संकल्प कराया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया।