News in Hindi
श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज की 93वीं जन्म जयन्ती के पावन उपलक्ष्य में आयोजित पुरस्कार-सम्मान समारोह* में आप कुन्द कुन्द भारती नई दिल्ली में *सपरिवार सादर आमन्त्रित हैं।
दिन-रविवार, दिनाँक-23/04/2017, प्रातः-08:00बजे
*प.पू. श्वेतपिच्छाचार्य 108 श्री विद्यानन्द जी मुनिराज*
*प.पू. आचार्य 108 श्री श्रुतसागर जी मुनिराज*
*प.पू ऐलाचार्य 108 श्री प्रज्ञसागर जी मुनिराज*
*स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टराक पंडिताचार्यवर्या स्वामी मूड़बद्री जैन काशी*
*ऋषभ(संघस्थ)
9⃣5⃣8⃣2⃣4⃣0⃣3⃣0⃣0⃣8⃣
••••••••• www.jinvaani.org •••••••••
••••••• Jainism' e-Storehouse •••••••
#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #RishabhaDev #Ahinsa #AcharyaVidyasagar
Source: © Facebook
जिन धर्म के आधार जिनेंद्र देव ओर उनकी जीवंत प्रतिकृति together 💐😍 Jainism' Ideal and Its alive replica together
Source: © Facebook
आज के वर्णन में आपको वर्णीजी के जीवन की णमोकार महामंत्र के माहात्म्य की बहुत बड़ी घटना पढ़ने मिलेगी। ऐसी महिमा युक्त घटनाएँ सामान्यतः प्रथमानुयोग के ग्रंथों में पढ़ते थे जबकि यह घटना मात्र लगभग १५० पुरानी है।
हम जैन होकर भी मंत्र के माहात्म्य में श्रद्धा नहीं रख पाते जबकि वर्णी जी के पिताजी के जीवन में जैन धर्म के प्रति श्रद्धा का आधार यही थी।
कल हम वह वर्णीजी के पिता का अपने बेटे के लिए वह महत्वपूर्ण संदेश पढ़ेंगे, शायद ऐसा महत्वपूर्ण संदेश कोई जैन कुल में पिता, अंतिम समय में अपनी संतान को देता हो।
🍀संस्कृति संवर्धक गणेशप्रसाद वर्णी🍀
*"जन्म और जैनत्व की ओर आकर्षण" क्रमांक - ७
मेरे दो भाई थे, एक का विवाह हो गया था, दूसरा छोटा था। वे दोनों ही परलोक सिधार गए। मेरा विवाह अठारह वर्ष में हुआ था।
विवाह होने के बाद ही पिताजी का स्वर्गवास हो गया था। उनकी जैनधर्म में ही दृढ़ श्रद्धा थी। इसका कारण णमोकार मंत्र था।
वह एक बार दूसरे गाँव जा रहे थे, साथ में बैल पर दुकानदारी का सामान था। मार्ग में भयंकर वन पार करके जाना था।
ठीक बीच में, जहाँ दो कोश गाँव इधर-उधर न था, शेर-शेरनी आ गए। बीस गज का फासला था, मेरे पिताजी के आँखों के सामने अँधेरा छा गया। उन्होंने मन में णमोकार मंत्र का स्मरण किया, दैवयोग से शेर-शेरनी मार्ग काटकर चले गए। यही उनकी जैनमत में दृढ़ श्रद्धा का कारण हुआ।
🌿 *मेरी जीवन गाथा - आत्मकथा*🌿
🔹 आजकी तिथी- वैशाख कृष्ण १०🔹
☀
बंधुओं,
पूज्य वर्णीजी की आत्मकथा हम सभी के लिए बहुत लाभकारी है। यहाँ तो आप छोटे-२ प्रसंगों को ही पढ़ पाते है। अच्छी तरह से पढ़ने के लिए *"मेरी जीवन गाथा"* ग्रंथ को अवश्य पढ़ें।
Source: © Facebook