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#बँधाजी #रविवारीय #प्रवचन संकल्प लो, दूसरों के दुख दूर करने का प्रयास करूंगा #आचार्यश्री exclusive pic
अतिशय क्षेत्र बंधाजी ऐसा पुनीत पावन जैन तीर्थ है। जहां कई वर्षों से धर्म की ज्योति प्रवाहित होती जा रही है। यह जैन तीर्थ बम्होरी बराना से 7 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा की ओर शुरंभ पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यहां हजारों वर्ष प्राचीन भगवान की प्रतिमाएं विराजमान है। भगवान की ऐसी प्रतिमाएं जिनके दर्शन करने से हमारा मन शांत एवं शीतल हो जाता है।
आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज की आगमन के साथ ही अतिशय क्षेत्र बंधाजी देश के दृष्टिपटल पर आ चुका है। देशभर से श्रद्धालु अतिशय क्षेत्र बंधाजी पहुंच रहे हैं।
#अभय सागर जी महाराज ने कहा कि अतिशय कहें या चमत्कार भौयरे वाले अजितनाथ भगवान का महत्व विशेष है। जब बंधाजी का वार्षिक मेला था। करीब 17 मार्च की बात थी हम लोगों को बबीना से बरुआसागर जाना था, लेकिन अजितनाथ भगवान को मंजूर अलग ही था। हम लोगों को वापस लौटना पड़ा। हम तीन मुनि थे अजित सागर महाराज का संघ मिला तो हम लोग 6 हो गए। और अजितनाथ भगवान की कृपा से प्रशांत सागर जी महाराज का संघ मिला तो हम 9 हो गए आज अतिशय क्षेत्र बंधाजी में बड़े बाबा भैायरे में और छोटे बाबा मंच पर अपने संघ के साथ विराजमान है। समयसार में ऐसा कहा जाता है राग भाव जीवन में आकर्षण कारण बनता है। वही संसार में उलझाने का कारण बनता है आपके शरीर में जितना चिकनापन होगा उतने धूलकण चिपक जाएंगे। जीवन में उपसर्ग आते हैं। वह हमें जीवन में बनाते हैं और बिगाड़ देते हैं। राग के लिए कोई लंबा-चौड़ा प्रयास नहीं करना है। जब अपने दुख से गुजरता है तो दूसरों के दुख पहचान लेता है।
3:30 बजे से आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के प्रवचन शुरू हुए आचार्यश्री ने कहा कि आज रविवार है कल शनिवार था अपना-अपना प्रयास करते हैं हमारे सामने ऐसे ही प्रचारक समूह लंबी-लंबी टोपी पहनकर बैठे है। आचार्यश्री ने कहा अभी महाराज ने जो कहा क्या कहा आपके सामने है। राजधानी में तो रहते हैं सिर्फ नाम के लिए सभी संघ अपने-अपने वार्ड में प्रचार को चले जाते हैं। जनता से संबंध रखने से लोकप्रियता बढ़ जाती है। जनता से हमने अभिमत दिया है। जनता की क्या आवश्यकता है हमें उन से परिचय प्राप्त करना है जो हमें चाहता है तो हमारा कल्याण निश्चित है। गुरुजी एक बार कहते हैं एक व्यक्ति कहता है मुझे धर्म का मर्म बता दो मुझे जल्दी भी है ग्राहक आया है नहीं तो ग्राहक को ढूंढने जाना पड़ता है। आचार्यश्री ने कहा प्रत्येक व्यक्ति स्वयं के लिए रोता है आज से संकल्प लो अपने लिए नहीं रोऊंगा। दूसरों के दुख देखकर उसको दुख दूर करने का प्रयास करूंगा। बंधाजी वाले अजितनाथ भगवान जितने छोटे हैं। अतिशय में उतने बड़े बाबा हैं हम बाधाओं को सहन नहीं कर पा रहे हैं। जीवन में पर के लिए रोते हो तुम्हें जीवन में दुख नहीं होगा। तुम्हारा दुख मिट जाएगा जो व्यक्ति दूसरों के दुख की पहचान कर लेता वह व्यक्ति को दुखी नहीं करना उसका सुखी करने का प्रयास करना चाहिए। अतिशय क्षेत्र बंधाजी ट्रस्ट कमेटी एवं प्रबंध कार्यकारिणी कमेटी के सदस्यों ने आचार्य भगवन विद्यासागर जी महाराज के समक्ष बंधा जी में चतुर्मास के लिए श्रीफल भेंट किया।
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परमपूज्य आचार्य देव श्री आदिसागर जी अंकलिकर स्वामी की महत्ती गौरवशाली परम्परा के चतुर्थ पट्टचार्य संयम भूषण-विशाल सन्त संघ के वात्सल्य नायक श्री सुनिलसागर जी गुरुराज जिन्होंने जनवरी 2015 से जून 2018 लगभग साढ़े तीन वर्षों में राजस्थान की वागड- मेवाड़ की धरती को अपनी अतिशय श्रेष्ठ चर्या,कठोर साधना,अंतर्मन को छूने वाली प्रभावशाली प्रवचन शैली के साथ समाज मे धर्म के नाम पर आडम्बर व प्रदर्शन रहित सादगी व सामाजिक एकता के मूल सूत्र के साथ जन जन को अभिभूत कर दिया।
आचार्य श्री ने इस प्रदेश में भगवान की तरह मान्य महातपोमार्तण्ड युगश्रेष्ठ आचार्य श्री सन्मति सागर जी के संस्कारों को गौरव के शिखर तक पहुचा दिया।
हजारो उपमाएं भी जिनके गुणानुवाद को अल्प है ऐसे आचार्य श्री सुनिलसागर जी को मेवाड़ और वागड की समाज ने वर्तमान के वर्धमान व चर्या चक्रवर्ती की उपमा से अलंकृत किया।
विगत इन साढ़े तीन वर्षों में पूज्य आचार्य श्री की पवित्र साधना से जन समूह के मध्य ही स्वतः ऐसे अतिशय प्रसंग हुए जो उपस्थित लोगों के लिए स्वंर्णिम स्मृति के रूप में अंकित हो गए।चाहे वह बिखरी समाज का एकजुट होना हो,चाहे दुःखी जीव का दुःख दूर होना हो,चाहे कमण्डल से जल का ओवरफ्लो होना हो,चाहे कमण्डल जल का सुगन्धित हो जाना हो, चाहे गुमशुदा भक्त का आशीष मात्र से ज्ञात हो जाना हो या बिजली के करंट से घायल हुए पशु-पंछी का आचार्य श्री के वात्सल्य करुणा से स्वस्थ होना हो।
लोगो ने अपने आप महसूस किया कि जो सन्त इतना निस्पृहि,निराडम्बर,तपस्वी,स्वध्याय शील,श्रेष्ठ वीतरागी है चंदे-चिट्ठे-भौतिक निर्माण,ख्याति-लाभ से 100% दूर है उनके आसपास ऐसे अतिशय होना स्वाभाविक है। पूज्य आचार्य श्री का संघ जब राजस्थान की धरा से गुजरात मे विहार कर गया तब कोई एक श्रावक नही,कोई एक समाज नही,कोई एक नगर नही अपितु पूरा का पूरा वागड-मेवाड़-कांठल प्रदेश विरह वेदना में व्याकुल हो उठा है। ऐसे नायाब सन्त का विहार हो जाना साक्षात किसी शाश्वत महातीर्थ से दूर चले जाने का विरह आभास दिला रहा है।
भगवान नेमिनाथ जी की निर्वाण पुण्य भूमि गुजरात की वसुंधरा का परम सौभाग्य है जो इस सदी के ऐसे नायाब महान सन्त के चरणवन्दना से लाभान्वित होगा।जैन धर्म के अनुयायियों का महापुण्य है जो हमे चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागरजी ऋषिराज, आचार्य श्री आदिसागर जी ऋषिराज,आचार्य श्री देशभूषण जी ऋषिराज, आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी ऋषिराज, वात्सल्यरत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी ऋषिराज व महातपोमार्तण्ड आचार्य श्री सन्मति सागर जी ऋषिराज जैसे महामुनियों की तरह इस 21वी सदी में भी ऐसे दुर्लभ आचार्य के जीवन्त दर्शन व सानिध्य मिल रहा है।
अतः गुजरात वासियों को बहुत बहुत शुभकाकमनाए व बधाई, परम्पपूज्य चतुर्थ पट्टचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरुराज के चरणों मे कोटिशः नमन
-शाह मधोक जैन चितरी
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"विद्योदय" movie कुछ झलकियाँ... 🙂😍
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मुनि है पंचम काल के... पर चर्या चौथे काल की #MuniVidyasagar • #AcharyaVidyasagar
आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनिराज की प्रतिकृति मुनिश्री विद्यासागर जी मुनिराज लाॅर्डगंज मंदिर जबलपुर में विराजित है, मुनिश्री संसार-शरीर-भोगो से विरक्त साधक है आज जब छत पर सामायिक कर रहे थे तो अचानक तेज बारिश शुरु हो गई पर गुरुदेव ने 1 घंटे तक अचल अवस्था में सामायिक की।
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दीर्घ अंतराल के पश्च्यात ज्येष्ठ मुनिश्री #योग_सागर_जी महाराज के समीप मुनिश्री #प्रभात_सागर_जी एवं मुनि श्री #पूज्य_सागर_जी महाराज
वहीं वर्षों के अंतराल के बाद आचार्य भगवंत श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा एवं आज्ञा से बुंदेलखंड में जिनशासन की प्रभावना कर रहे मुनिश्री अभय सागर जी महाराज की चरण वन्दना करते मुनिजन ज्ञात रहे इनमें से लगभग 30 मुनिराज ऐसे है जिनकी पिछले 5 वर्षों में मुनि दीक्षा हुई है और वे स्वयं मुनिपद पर रहते हुए प्रथम बार मुनिश्री अभय सागर जी महाराज ससंघ के पावन दर्शन प्राप्त कर रहें है।
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आचार्य श्री के शिष्य मुनि प्रणम्यसागर जी के सानिध्य में लाल मंदिर में कल्ल्यान मंदिर विधान चल रहा हैं.. exclusive pic.. मुनि श्री स्वाध्याय करते हुए 🙂
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मुनि है पंचम काल के... पर चर्या चौथे काल की #MuniVidyasagar • #AcharyaVidyasagar
आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनिराज की प्रतिकृति मुनिश्री विद्यासागर जी मुनिराज लाॅर्डगंज मंदिर जबलपुर में विराजित है, मुनिश्री संसार-शरीर-भोगो से विरक्त साधक है आज जब छत पर सामायिक कर रहे थे तो अचानक तेज बारिश शुरु हो गई पर गुरुदेव ने 1 घंटे तक अचल अवस्था में सामायिक की।
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