04.07.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 04.07.2018
Updated: 05.07.2018

Update

#आचार्य_भगवन_श्री_विद्यासागर_जी आज दिनांक 4 जुलाई को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का 4.20 बजे जैन तीर्थक्षेत्र बंधाजी से बम्होरी की ओर हुआ मंगल विहार । आज पूज्य आचार्य संघ का रात्रि विश्राम बम्होरी में है ।

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Big Surprise -आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार आज दोपहर बाद अतिशय क्षेत्र श्री बंधा जी से हुआ।

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आचार्य महाराज प्रायः घण्टों-घण्टों नासा दृष्टि किए हुए, पद्मासन लगाकर ध्यान मुद्रा में मौन बैठे रहते हैं। और यही हम साधकों से भी उपदेश में कहते हैं। सच है इस कलि काल में भी ऐसी साधना करने वाले साधकों के चरणों में अपना मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है। इनके दर्शन करने से उन जंगलों में रहने वाले मुनियों की याद आती है कि जैसे गुरुदेव हमेशा शहरों से, नगरों से दूर* *एकान्त जंगली इलाके के क्षेत्रों पर जाकर साधना करते हैं, वे मुनिराज भी ऐसा ही करते होंगे। जैसे हमने शास्त्रों में सुना है*, पढ़ा है वैसी ही साधु की अदभुत चर्या के दर्शन उनके चरणों में आकर करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उन्हें देखकर आँखें तृप्त नहीं होतीं।ऐसा लगता है हमेशा उनकी वीतराग छवि के दर्शन करता रहूँ।

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बंधाजी में विराजित अजितनाथ भगवान के दर्शनोपरान्त आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनि महाराज के विचार

“हम सोचते है कि यहाँ 40 गांव बंधे है इसलिए बन्धा जी नाम पड़ा होगा,बंधा जी के बारे में खूब सुना है यहाँ जो भी आता प्रभु से बन्ध जाता है,सुबह से अंतराय कर्म चल रहा था, अभी मस्तकाभिषेक के समय सब बाहर थे तो सोचा अब आराम से दर्शन कर लेंगे!! कई तीर्थो के दर्शन किए पपौरा जी,पवाजी आदि कई जगह पर भौयरे है पर बन्धा जी के अजितनाथ प्रभु का अपना नजारा है!!हमने चौकी के ऊपर चढ़कर पास से देखा तो लगा मानो जीवंत भगवान हो।अंग अंग से प्रभु की वीतरागता झरती है।मानो बोलते हुये भगवान हो।आप लोग अपनी सुनाने लग जाते हो इसलिए सुन नही पाते,इसीलिए जब भी भगवन के पास जाओ तो एकदम मौन हो जाओ,बोलो कुछ भी नही बस सुनो!!

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