01.02.2012 ►Terapanth News 4

Published: 01.02.2012
Updated: 21.07.2015

ShortNews in English:

Amet: 01.02.2012
Life should be Free from Raga Dvesha: Acharya Mahashraman

News in Hindi

राग-द्वेष से मुक्त हो जीवन: आचार्य

महाश्रमण 

आमेट ०१ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 

आचार्य महाश्रमण ने राग-द्वेष को छोडऩे की जरूरत बताते हुए अहिंसा की उत्कृष्ट साधना के लिए इसका परित्याग करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मनुष्य में द्वेष की भावना उस समय प्रबल होती है जब उसमें अपनी किसी प्रिय वस्तु के प्रति दिलचस्पी बढ़ती है। अगर वह इसके प्रति त्याग की भावना का जीवन में समावेश करें तो

 

द्वेष स्वत: ही समाप्त हो सकता है। आचार्य सोमवार को यहां अहिंसा समवसरण में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की ओर से की जा रही निन्दा से भी द्वेष का जन्म होता है। प्रशंसा करने से राग भाव आ सकता है। सुंदर रूप से राग और कुरुप चेहरे से द्वेष का भाव उत्पन्न होता है। जो परम पदार्थों से दूर हो जाए उसे आत्मा की अनुभूति का अहसास होता है। राग-द्वेष के बिना भी जीवन को जीया जा सकता है। मनोज्ञ पदार्थ से व्यक्ति को मन विचलित हो जाता है। इनके प्रति सजगता लाने की आवश्यकता है। यह स्थायी नहीं है। 

आचार्य ने कहा कि शरीर एक दिन नष्ट हो जाएगा। संपति और अन्य भौतिक संसाधन भी आज हमारे पास है, कल हो न हो। इस बारे में कहा नहीं जा सकता। राग आना आसान है, लेकिन इसका परित्याग करना बहुत मुश्किल है। इसीलिए राग चला गया तो द्वेष भी चला जाएगा। पूर्णत: वीतराग बनना मुश्किल ही नहीं बहुत कठिन है। उन्होंने इन्द्रियों को भोग का साधन बताते हुए कहा कि मनुष्य को साधना में चित्त लगाने का प्रयास करना चाहिए। व्यक्ति को जो देखने लायक वस्तु है उसे ही देखना चाहिए अन्यथा स्वयं को उससे अदृश्य कर लो। आचार्य ने कहा कि जब आत्मा परमात्मा से साक्षात्कार कर लेती है तो आसक्ति का भाव स्वत: ही छूट जाता है। बिना मतलब की बात को ग्रहण नहीं करना चाहिए। गलत बात की उत्तेजना करने का प्रयास व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। आचार्यश्री ने मुनि मोहजीतकुमार के भाग्य को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि मुनि को आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और मेरे स्वयं के कार्यक्रम का संयोजन करने का मौका मिला। उन्होंने साधना के प्रति जागरूक रहने की बात कहते हुए इसे आत्म कल्याण में सहायक बताया। मुनि सुखलाल ने कहा कि आज उन्हें संघ की सेवा में 68 वर्ष पूर्ण हो गए है। आज ही के दिन आचार्य तुलसी ने दीक्षा प्रदान की थी। उन्होंने आरोहण नामक कृति को आचार्यश्री के चरणों में विमोचन के लिए भेंट की। 

आमेट में आज निकलेगी दो मुमुक्षुओं की शोभायात्रा, शाम को मंगल भावना समारोह होगा 
मुमुक्षुओं की शोभायात्रा आज 
आमेट ०१ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 

आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य और साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के प्रेरणा पाथेय में गुरुवार को दी जाने वाली दीक्षा समारोह के एक दिन पहले बुधवार को दोपहर में दो मुमुक्षुओं की शोभायात्रा निकलेगी। शाम को अहिंसा समवसरण में मंगलभावना समारोह होगा। प्रचार समिति के सह संयोजक ज्ञानेश्वर मेहता ने बताया कि दीक्षा समारोह में मुमुक्षु हेमाक्षी कुमारी आंचलिया को समण दीक्षा, साथ ही श्रेणी आरोहण कर समणी मुदित प्रज्ञा को साध्वी तथा समण गौतम प्रज्ञ को साधु दीक्षा दी जाएगी। इनके अलावा पूर्वोत्तर राज्य उड़ीसा के तुषरा गांव निवासी मुमुक्षु ज्योति को दीक्षा दी जाएगी।

Sources

Jain Terapnth News

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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