01.27 Matishrutyornibandhah Sarvadravyeshvasar-vaparyāyeshu
Audio: Sanskrit: मतिश्रुतयोर्निबन्ध: सर्वद्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु ।
Hindi: मतिज्ञान और श्रुतज्ञान की प्रवृत्ति (ग्राह्यता) सर्व -पर्यायरहित अर्थात परिमित पर्यायों से युक्त सब द्रव्यों में होती है। केवलज्ञान की प्रवृत्ति सभी द्रव्यों में और सभी पर्यायों में होती है।
01.28 Roopishvavadheh
Audio: Sanskrit: रूपिष्ववधेः ।
Hindi: अवधिज्ञान की प्रवृत्ति सर्वपर्यायरहित केवल रूपी (मूर्त ) द्रव्यों में होती है।
01.29 Tadanantabhāge Manahparyāyasya
Audio: Sanskrit: तदनन्तभागे मनःपर्यायस्य ।
Hindi: मन :पर्यायज्ञान की प्रवृत्ति उस रूपी द्रव्य के सर्वपर्यायरहित अनन्तवें भाग में होती है।
01.30 Sarvadravyaparyāyeshu Kevalasya
Audio: Sanskrit: सर्वद्रव्यपर्यायेषु केवलस्य ।
Hindi: केवलज्ञान की प्रवृत्ति सभी द्रव्यों में और सभी पर्यायों में होती है।
01.27-30
English: The range of sensory and scriptural knowledge can extend to all the objects, but relate to a few modes. That of clairvoyance can extend to all the tangible objects, but relate to some of their modes. That of mind reading capability can extend only to a small section of tangible objects and relate to only a few modes. The scope of omniscience extends to all the objects in all their modes..